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ITR के इस नियम से फर्जीवाड़ा, 25 फीसदी कमीशन पर TDS वापसी की गारंटी

इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक टैक्स रिटर्न फाइल करते समय किसी टैक्सपेयर को अपनी सैलरी डिडक्शन या निवेश के दस्तावेज आईटीआर के साथ संलग्न करने की जरूरत नहीं है. आईटीआर के साथ दस्तावेज न लागने की इस छूट का फायदा उठाया जा रहा है जिससे सरकार को टैक्स से कमाई में नुकसान उठाना पड़ रहा है.

सूत्रों के मुताबिक टैक्स कंसल्टेंट टैक्सपेयर को यह भरोसा दिलाते हैं कि उनकी कंपनी में टैक्स के तौर पर काटे जा रहे टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) को वह रिटर्न में वापस दिला देंगे. इनकम टैक्स कानून के मुताबिक टीडीएस की वापसी उस स्थिति में होती है जब टैक्सपेयर ने उक्त वित्त वर्ष में 80सी, 80सीसी, 80सीसीडी और 80डी के तहत निवेश किया है. साथ ही इस निवेश की जानकारी टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले उसने टैक्स विभाग के साथ साझा किया है.

लेकिन टैक्स सलाहकार टैक्सपेयर से रिफंड में मिलने वाले पैसे का 25 फीसदी बतौर कमीशन देने की शर्त पर उन्हें टीडीएस का पैसा दिला देते हैं. इस तरह के ज्यादातर फ्रॉड आईटी क्षेत्र की कंपनियों में देखा गया है.

देश में ये है टैक्स का आलम(मार्च 2017 के आंकड़े)

सिर्फ 24 लाख लोग साल भर में 10 लाख रुपये से अधिक आय की की घोषणा करते हैं.

99 लाख लोगों ने अपनी वार्षिक आय को 2.5 लाख रुपये से कम घोषित किया है.

वहीं बीते साल बिजनेस और टूरिज्म के लिए 2 करोड़ लोगों ने विदेश यात्रा की.

देश में टैक्स चोरी आम धारणा है जिसका बोझ इमानदार टैक्सपेयर पर पड़ता है. 1.72 लाख करोड़ लोगों ने अपनी वार्षिक आय 50 लाख रुपये से अधिक घोषित की है.

 

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