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मंत्रों के गुप्त रहस्य, ये इस तरह करते हैं काम

मंत्र शब्द को किसी परिभाषा में नहीं ढाला जा सकता है। वैदिक ऋचाओं के हर छंद भी मंत्र कहे जाते हैं। देवी-देवताओं की स्तुतियों व यज्ञ हवन में निश्चित किए गए शब्द समूहों को भी मंत्र कहा जाता है। तंत्र शास्त्र में मंत्र का अर्थ भिन्न है। तंत्र शास्त्रानुसार मंत्र उसे कहते हैं जो शब्द पद या पद समूह जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है वह उस देवता या शक्ति का मंत्र कहा जाता है।

विद्वानों द्वारा मंत्र की परिभाषाएं इस तरह भी की गई हैं।
1. धर्म, कर्म और मोक्ष पाने के लिए प्रेरणा देने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं।
2. देवता के सूक्ष्म शरीर को या इष्टदेव की कृपा को मंत्र कहते हैं।
3. दिव्य-शक्तियों की कृपा को पाने में उपयोगी शब्द शक्ति को मंत्र कहते हैं।
4. अदृश्य गुप्त शक्ति को जागृत करके अपने अनुकूल बनाने वाली विधा को मंत्र कहते हैं।
5. इस तरह गुप्त शक्ति को विकसित करने वाली विधा को मंत्र कहते हैं।

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