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सऊदी अरब के शहजादे को फांसी, 2 सालों में 292 लोगों को मौत की सजा

सउदी अरब ने मंगलवार को मर्डर के जुर्म शाही खानदान के सदस्य प्रिंस तुर्की बिन सउद अल-कबीर को मौत की सजा दी। अल-कबीर 2016 में मौत की सजा पाने सऊदी अरब में 134वें व्यक्ति हैं। मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी के मुताबिक 2015 में सउदी अरब मौत की सजा देने वाले देशों की सूची में 158 फांसी के साथ ईराना और पाकिस्तान के बाद तीसरे नंबर पर था। पिछले 22 महीने के आंकड़ों के अनुसार यहां अब तक 292 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। सऊदी अरब के गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रिंस अल-कबीर को राजधानी रियाद में मौत की सजा दी गई। अल-कबीर पर सऊदी नागरिक आदिल अल-मोहम्मद की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था । अरब न्यूज ने नवंबर 2014 में खबर दी थी कि रियाद की एक अदालत ने अपने दोस्त की हत्या के जुर्म में एक अनाम शहजादे को मौत की सजा सुनाई। आपको बता दें कि यहां अधिकतर लोगों को सर कलम करके मौत की सजा दी जाती है।

एमनेस्टी की इसी साल अप्रैल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार 2014 की तुलना में पिछले साल पूरे विश्व में फांसी की सजा देने के मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इस मानवाधिकार संस्था ने यह भी कहा कि दुनिया भर में 1989 के बाद 2015 में सबसे अधिक मौत की सजा दी गई। 2015 में कुल 1634 लोगों को फांसी दी गई लेकिन इनमें चीन के आंकड़े शामिल नहीं है। वहां हजार से ज्यादा लोगों को फांसी दिए जाने का अनुमान है।

एमनेस्टी के रिपोर्ट के अनुसार ईरान में सबसे ज्यादा फांसी की सजा हुई जहां 977 लोगों को मौत की सजा दी गई। ईरान में 2014 में 743 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। पाक में 2015 में 326 लोगों को फांसी दी गई। इसका कारण है कि 16 दिसंबर 2014 को पेशावर के स्कूल में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान में मौत की सजा पर लगी रोक को हटा लिया गया था। सऊदी अरब मौत की सजा देने वाले देशों की सूची में 158 फांसी के साथ तीसरे नंबर पर है. वहां इस साल एक ही दिन में 50 से ज्यादा को फांसी दे दी गई। यहां मौत की सजा पाने वाले अधिकत लोग मर्डर या फिर ड्रग तस्करी के दोषी होते हैं। 2015 में फिजी, मेडागास्कर, रिपब्लिक ऑफ कांगो और सूरीनाम जैसे कुछ देशों ने अपने यहां फांसी की सजा का प्रावधान खत्म करने का ऐलान किया। दुनिया के 102 देशों में फांसी की सजा का कानून नहीं है। भारत में यह कानून लागू है। हालांकि भारत में पिछले साल सिर्फ एक फांसी हुई। पिछले साल जुलाई में नागपुर सेंट्रल जेल में मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी दी गई थी।

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