यूपी के इस इलाके को हर नेता ने नकारा, अब केवल मोदी हैं सहारा? बीजेपी उतरेगी उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ पर खरी?
वैसे तो लखनऊ में दशहरे के विशेष कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में शामिल होकर पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी ने चंद दिनों बाद होने वाले यूपी विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के लिठअपना चà¥à¤¨à¤¾à¤µ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ कर दिया था।
इसी कड़ी में यूपी में उनका अगला पड़ाव आगामी 24 तारीख को बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–नà¥à¤¡ होगा। जहां वो महोबा में à¤à¤• विशाल महारैली को संबोधित करेंगे, लेकिन इस बार उनके सामने चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कम नही होगी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस बार उनके सामने 'सूखे और बाॠसे तबाह हà¥à¤† किसान' होगा, जो अà¤à¥€ à¤à¥€ सरकारी सहायता की आस लगाये बैठा है।
दरअसल, अगर उनकी पारà¥à¤Ÿà¥€ के नेताओं खासकर बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ के चारों सांसदों की बात करें, तो पिछले ढाई साल के कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में किसानों के दà¥à¤ƒà¤– दरà¥à¤¦ के सामने सà¤à¥€ का आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ बौना ही नजर आया है। लोकसà¤à¤¾ में सà¤à¥€ ने किसानों के à¤à¤•à¤¾à¤§ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ तो मजबूती से उठाठपर, दिलà¥à¤²à¥€ से à¤à¤¸à¥€ कोई योजना नहीं ला सके जो किसानों का दरà¥à¤¦ कम कर सके और न ही इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ कोई à¤à¥€ ठोस पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किठगठजो सूखे और बाॠके समय किसानों के आंसू पोछने के काम आ सके।
आपको बता दें की कà¥à¤› ही महीनों में यूपी में विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ होने हैं, और à¤à¤¸à¥‡ में सà¤à¥€ पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की नजर बà¥à¤‚देलखंड के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पर है, जहां अà¤à¥€ à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का अमà¥à¤¬à¤¾à¤° लगा है। कà¥à¤› किसानों से हमने बात की तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा की ,'बाबू जी ! अब चà¥à¤¨à¤¾à¤µ का समय आवत है, तौ सबै का हमार याद अइ, लेकिन कौनों हमार सहायता नाही करत।'
उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ इलाका पिछले कई वरà¥à¤·à¥‹ से पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आपदाओठका दंश à¤à¥‡à¤² रहा है। 2011 की जनगणना के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बà¥à¤‚देलखंड इलाके में à¤à¥à¤–मरी और सूखे की तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ से अब तक 62 लाख से अधिक किसान 'वीरों की धरती' से पलायन कर चà¥à¤•à¥‡ हैं।
दरअसल, यहां के किसानों को उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी कि अबकी बार के लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में राजनीतिक दल सूखा और पलायन को अपना मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनाà¤à¤‚गे, लेकिन à¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† नही और à¤à¤• बार फिर यह मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ जातीय बयार में दब सा गया है। यहां का किसान 'करà¥à¤œ' और 'मरà¥à¤œ' के मकड़जाल में जकड़ा है। तकरीबन सà¤à¥€ राजनीतिक दल किसानों के लिठà¤à¥‚ठी हमदरà¥à¤¦à¥€ जताते रहे, लेकिन यहां से पलायन कर रहे किसानों के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ नहीं बनाया गया।
बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ के कà¥à¤› समाजसेवियों की मानें तो हर पांच साल बाद यूं ही सà¤à¥€ को चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ बयार के समय बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ की याद आती है। कहीं न कहीं वोट का मामला होता है। कà¥à¤› का कहना था कि हम चाहते हैं कि अपने घणà¥à¤Ÿà¥‡ à¤à¤° के à¤à¤¾à¤·à¤£ में पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° समय किसानों के नाम दें, साथ में ये à¤à¥€ बताà¤à¤‚ कि कà¥à¤¯à¤¾ उनकी सरकार के पास बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ के विकास के लिठकोई ठोस मॉडल है, या केवल योजनाओं की घोषणा à¤à¤° है, या फिर यहां की जनता को सिरà¥à¤« गरीबी और à¤à¥à¤–मरी में ही अवà¥à¤µà¤² दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता रहेगा।
सबसे ख़ास बात यह है कि बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ में बेइंतहा खनिज समà¥à¤ªà¤¦à¤¾ है, लेकिन सब खनन माफियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लूटा जा रहा है, जिसमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सफेदपोशो के हाथ हैं। गौरतलब है कि पिछले तीन दशक से बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ में à¤à¤¯à¤‚कर सूखा पड़ रहा है और इस बार तो बाॠने सब बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ कर दिया है। बà¥à¤¨à¥à¤¦à¥‡à¤²à¤–णà¥à¤¡ के अधिकांश किसानों को आशा है पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी जरूर उनकी मदद करेंगे और उनके दरà¥à¤¦ को समà¤à¥‡à¤‚गे।
यकीनन, केनà¥à¤¦à¥à¤° की मोदी सरकार के सामने यूपी चà¥à¤¨à¤¾à¤µ से पहले किसानों की करà¥à¤œà¤®à¤¾à¤«à¥€ को लेकर जबरदसà¥à¤¤ दबाव है। à¤à¤¸à¥‡ में बड़ा पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ अपने à¤à¤¾à¤·à¤£ के दौरान पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी किसानों का करà¥à¤œà¤¾ माफ़ करने की घोषणा करेंगे।