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बेजान खंडहरों के अंधेरे में अवध रियासत के 'आखिरी प्रिंस' को नसीब हुई गुमनाम मौत

नई दिल्ली: à¤¯à¤¹ कहानी है एक ऐसे दर्दनाक अंत की है जिसके अतीत के सामने कभी सोने की चमक भी फीकी थी. खुद को अवध रियासत का वारिस बताने वाले प्रिंस रियाज अली शाह की मौत हो गई. एक उजड़ी हुई रियासत के आखिरी वारिस रियाज अली की जिंदगी बरसों से गुमनामी के अंधेरों में डूबी हुई थी. उसने दिल्ली के खंडहरनुमा 'मालचा महल' की चारदीवारी में खुद को कैद कर रखा था. आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि राजधानी दिल्ली का सबसे पॉश इलाका यानी लुटियन जोन यहां से महज कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है.

जर्जर और वीरान महल में प्रिंस रियाज अली शाह ने अपनी पूरी दुनिया बसा रखी थी. लेकिन बाहरी दुनिया के लिए इस इलाके का रास्ता पूरी तरह बंद था. महल के गेट पर लगे बोर्ड पर साफ-साफ लिखा है, ''अंदर आना सख्त मना है...अंदर जंगली कु्त्ते हैं...अगर किसी ने घुसने की कोशिश की, तो गोली मारी जा सकती है.'' खुद को अवध रियासत का प्रिंस बताने वाले रियाज़ अली ने कई खूंखार कुत्ते पाले हुए थे. जिनकी मौत भी कुछ साल पहले हो गयी थी.

महल के मेन गेट पर पत्थर लगा है. जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- प्रिंसेस विलायत महल. विलायत महल, प्रिंस रियाज अली की मां का नाम था. महल की दीवारों पर आज भी मां-बेटों की कई तस्वीरें लगी हैं. खंडहर में तब्दील हो चुके इस महल के अंदर चारों तरफ धूल-मिट्टी और गंदगी फैली हुई है. इन हालात में कोई एक पल के लिए भी खड़ा होना मुश्किल है, लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि खंडहरनुमा इमारत में कोई शख्स बिना बिजली और पानी के सालों से रह सकता है. अवध वंशज राजकुमार रियाज सालों से अकेले रह रहे थे.

 

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इस महल को हासिल करने के लिए à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤‚सेस विलायत महल ने धरना किया था, तब जाकर उन्हें रहने के लिए ये महल दिया गया. 'मालचा महल' करीब 40 साल पहले अवध की बेगम विलायत महल को दिया गया था. बेगम विलायत महल अपने बेटे प्रिंस रियाज अली शाह और बेटी प्रिंसेज सकीना महल के साथ रहती थीं. बताया जाता है कि विलायत महल ने साल 1983 में खुदकुशी कर ली और प्रिंस की बहन सकीना महल की मौत साल 1994 में हो गई थी. तभी से प्रिंस रियाज अली यहां अकेले रहते थे. एक वीरान खंडहर में तब्दील हो चुका 'मालचा महल' के दरों-दीवार एक शानदार अतीत के गवाह रहे हैं.

 

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पड़ताल करने पर कि मरने से पहले प्रिंस रियाज एक काल्पनिक जीवन भी जी रहा था. क्योंकि वो हर रोज़ डायनिंग टेबल पर अपनी मां और बहन के लिए खाने की प्लेट भी लगाता था.

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