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‘पद्मावती’ देखने वाले वैदिक बोले- फिल्म में शौर्य और वीरता की कहानी है,आपत्तिजनक कुछ नही

नई दिल्ली: à¤¦à¥‡à¤¶ के वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने पद्मावती फिल्म को हाल ही में देखा है. एबीपी न्यूज़ ने उनसे जानना चाहा कि क्या इस फिल्म में कहीं कोई ऐसी चीज तो नहीं जिससे राजपूत समाज की भावनाएं आहत होती हों या फिर कहीं ऐसा तो कुछ नहीं जो आपत्तिजनक हो. एबीपी न्यूज़ ने उनसे ये भी पूछा कि क्या वो ड्रीम सीक्वेंस उन्हें फिल्म में दिखा जिसके बारे में लगातार बातें की जा रही थीं. वेद प्रताप वैदिक ने सभी सवालों के जवाब दिए हैं और उनके जवाबों से साफ है कि फिल्म कमाल की है और हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा करने की क्षमता रखती है.

 

वैदिक जी ने कहा-

 

- पहले तो मैंने पता किया कि क्या रिलीज से पहले फिल्म को देखना ये गैरकानूनी और अनैतिक तो नहीं है
- मैं सावधान होकर बैठा था क्योंकि मुझे फिल्म को आंकना था, गलत को तालाश करना था
- मुझे ये देखना था कि फिल्म भारत या फिर हिन्दुओं के खिलाफ तो नहीं है, लेकिन फिल्म अच्छी थी
- अलाउद्दीन को जब मैंने देखा तो जैसे अफगानिस्तान मेरे सामने आ गया
- दरअसल गिलज़ई सही शब्द है, खिलजी नहीं. ये कबीला बेहद क्रूर था
- खिलजी ने तो अपने सगे चाचा की हत्या कर दी, उसकी बेटी के साथ शादी कर ली
- खिलजी ने चित्तौड़ को घेरा, राज्य और पद्मावती को हड़पने की कोशिशें कीं
- इसके बाद भी राजा ने उसे राजमहल में बुला लिया और उसकी आवभगत की
- मुझे ऐसा कोई प्रसंग नहीं लगा जिससे आपत्ति होती हो
- रत्नसेन गिरफ्तार हुए तो दुर्गा अवतार में पद्मावती ने छुड़ाया
- दासियों के बहाने अपने सैनिकों को साथ ले गई थीं पद्मावती
- घूमर नृत्य के बारे में मुझे भी काफी संदेह था
- लेकिन मैंने जब देखा तो दंग रह गया, वह कमाल का था
- नृत्य के दौरान कोई नहीं था मौके पर, कुछ देर बाद रत्नसेन पहुंचे
- पहले तो मुझे लगा कि शायद वहां खिलजी होगा लेकिन नहीं था
- कहीं अस्वभाविक नहीं लगा, कहीं कोई कांट-छांट नहीं लगी.
- फिल्म कहीं अश्लील नहीं लगी, कहीं आपत्तिजनक नहीं लगी.
- राजपूत समाज के शौर्य की कहानी दिखाई गई है
- रत्नसेन के साथ तो धोखा हुआ था, पीछे से वार दिखाया गया है
- राजपूत समाज के जो लोग रुष्ट हैं उनको ये फिल्म देखनी चाहिए
- इसके बाद फिल्म से जुड़े लोगों को तो आमंत्रित करना चाहिए

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