चाचा-à¤à¤¤à¥€à¤œà¥‡ की कलह के पीछे कहीं नेताजी तो नहीं! जानें, कैसे अखिलेश के लिठवरदान बने मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह
सा दिखता तो है कि उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ के राजनीतिक दंगल में मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच हो रहा है. दोनों आमने-सामने हैं और राजनीतिक वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ में अपने को और मज़बूत करने में लगे हà¥à¤ हैं. लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ वाकई है कि पिता और पà¥à¤¤à¥à¤° में ठनी हà¥à¤ˆ है या फिर यह सारा खेल दरअसल किसी बड़ी रणनीति की ओर इशारा करता है.
à¤à¤¸à¤¾ मानने के पीछे खासी ठोस वजहें हैं. उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤° की लड़ाई में राजनीति का सारा खेल दो लोगों के बीच खेला जा रहा है और बाकी सब या तो पà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡ बने हà¥à¤ हैं और या फिर तमाशबीन. इससे हà¥à¤† यह है कि मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव और अखिलेश यादव और मज़बूत होकर निकले हैं. खासकर अखिलेश के लिठयह लड़ाई कई मायनों में सकारातà¥à¤®à¤• है.
मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह राजनीति में इस तरह के खेलों के लिठजाने जाते रहे हैं. कहा जाता है कि मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह कयासों और अटकलों को हमेशा से ही धता बताते आठहैं और वो à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं जो किसी à¤à¥€ वकà¥à¤¤ किसी को à¤à¥€ चौंकाने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखते हैं. वो दाà¤à¤‚ बाजू कà¥à¤¯à¤¾ कर रहे होते हैं, यह बाà¤à¤‚ बाजू को à¤à¥€ समठनहीं आता है.
इसलिठबेवजह ही मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® अपनी पारà¥à¤Ÿà¥€ और परिवार को असà¥à¤¥à¤¿à¤° होने दे रहे हैं और वो à¤à¥€ ठीक तब जब राजà¥à¤¯ के विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ सिर पर खड़े हों, à¤à¤¸à¤¾ यकीन करना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² लगता है. जिस मिटà¥à¤Ÿà¥€ के मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® बने हà¥à¤ हैं, उसमें मंच के पीछे à¤à¤• दूसरे और बड़े खेल की à¤à¤¨à¤• साफ मिल रही है. और यह à¤à¤¨à¤• है उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤° के यà¥à¤¦à¥à¤§ की.
नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ किसे
ज़रा गौर से देखिठसमाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ और उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सरकार के पूरे राजनीतिक संकट को कि कौन हैं वो लोग जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यादव परिवार के पूरे खेल का सबसे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ हà¥à¤† है.
शिवपाल ज़रूर मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® की शै पर खेलते नज़र आ रहे हैं लेकिन इस दौरान शिवपाल मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल से मकà¥à¤–ी की तरह निकालकर बाहर किठजा चà¥à¤•à¥‡ हैं. उनको à¤à¤• महीने के अंदर ही दो बार अखिलेश ने मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल से बाहर कर दिया. आज सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि संगठन पर à¤à¤•à¤›à¤¤à¥à¤° राज करने वाले सेनापति की सेना का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ अखिलेश के पकà¥à¤· में नारे बà¥à¤²à¤‚द करता नज़र आ रहा है. सरकार में शिवपाल की साख न के बराबर है. और समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ में उनकी किलेबंदी को अखिलेश धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कर चà¥à¤•à¥‡ हैं.
रामगोपाल वो दूसरे चेहरे हैं जिसमें इस पारà¥à¤Ÿà¥€ के अंदर खेल करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है. वजह है उनका यादव परिवार से होना. उनके पास à¤à¤²à¥‡ ही जनसमरà¥à¤¥à¤¨ कम हो और वो पारà¥à¤Ÿà¥€ के कम लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ चेहरे हैं लेकिन वो कà¥à¤¨à¤¬à¥‡ की कमज़ोर नबà¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ से वाकिफ़ हैं और इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अखिलेश के नाम पर फिलहाल दंडित करना उनके कद को कमतर करने जैसा है. यह आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं है कि सपा के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° साहेब अब अखिलेश सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ गाने के लिठबाधà¥à¤¯ हैं.
कà¥à¤› लोग कह सकते हैं कि पारà¥à¤Ÿà¥€ की इस अंदरूनी कलह का सीधा नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ अखिलेश यादव को हà¥à¤† है. लेकिन à¤à¤¸à¤¾ है नहीं. दरअसल, नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ को हà¥à¤† है. पारà¥à¤Ÿà¥€ को हà¥à¤† नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ साà¤à¤¾ है. वो केवल अखिलेश का नहीं है. इस नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ की कीमत केवल अखिलेश को नहीं चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥€ है, सब इसके à¤à¥à¤•à¥à¤¤à¤à¥‹à¤—ी बनेंगे.
अखिलेश हà¥à¤ और मजबूत
बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤¸à¤¾ कहा जा सकता है कि अखिलेश इस पूरे घटनाकà¥à¤°à¤® में सबसे कम नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हैं. अखिलेश तो बलà¥à¤•à¤¿ फायदे में रहे हैं. सरकार पर अब उनका पूरी तरह से नियंतà¥à¤°à¤£ है. आज लगà¤à¤— सारे विधायक अखिलेश के साथ हैं. मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल उनके साथ खड़ा है. अखिलेश के साथ पारà¥à¤Ÿà¥€ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ जà¥à¤¡à¤¼ गया है और अखिलेश के इशारे पर वो à¤à¤• नठराजनीतिक मंच के साथ उनको मज़बूत करने में जà¥à¤Ÿ सकता है.
अखिलेश ने कà¥à¤¨à¤¬à¥‡ और बाहरियों के हमलों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤² में समाज के हर वरà¥à¤— की सहानà¥à¤à¥‚ति हासिल कर ली है. हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अखिलेश की ओर सहानà¥à¤à¥‚ति की नज़रों से देख रहा है. कà¥à¤› महीने पहले तक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ नहीं थी. अखिलेश को अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के साथ साथ पूरे कà¥à¤¨à¤¬à¥‡ की छवि को à¤à¥€ ढोना पड़ रहा था. अब à¤à¤¸à¤¾ नहीं है. उसी कà¥à¤¨à¤¬à¥‡ के होते हà¥à¤ à¤à¥€ अखिलेश आज à¤à¤• अलग वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और बेहतर विकलà¥à¤ª के तौर पर देखे जा रहे हैं.
अखिलेश की सबसे बड़ी जीत यह है कि à¤à¤²à¥‡ ही वो राजनीति अपने पिता और परिवार के जैसी करते आठहों, लेकिन आज अखिलेश अपने पिता सहित बाकी सारे लोगों से अलग अपनी à¤à¤• आधà¥à¤¨à¤¿à¤• और मज़बूत छवि के साथ à¤à¤• बेहतर राजनीतिक विकलà¥à¤ª बनकर उà¤à¤°à¥‡ हैं.
साढ़े चार साल जिस सरकार पर साढ़े चार मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सरकार होने का आरोप लगता रहा, वो सरकार चà¥à¤¨à¤¾à¤µ से ठीक पहले à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की सरकार है. मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव जैसा à¤à¤•à¤›à¤¤à¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ उसे उसकी गदà¥à¤¦à¥€ से हिला नहीं पाता है. अखिलेश पहली बार इतने मज़बूत और निडर मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनकर उà¤à¤°à¥‡ हैं.
मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कर रहे हैं à¤à¤¸à¤¾
अपनी उमà¥à¤° के उतार पर आते मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® के लिठसबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है अपने उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ को चà¥à¤¨à¤¨à¤¾ और उसे अपने रहते सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर देना. मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® ने शायद इसी मंशा से इस पूरी रणनीति को रचा होगा, à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नज़र आता है.
मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव की पहली पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ खà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ है. लेकिन उनके बाद वाले सवाल पर उनका à¤à¤• ही विकलà¥à¤ª है और वो है उनका बेटा अखिलेश यादव. लोग कह सकते हैं कि बेटा तो पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• यादव à¤à¥€ है. लेकिन पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• यादव मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव के बेटे नहीं, साधना गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ के बेटे हैं. मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपना नाम दिया है लेकिन वो उनके खून से पैदा औलाद नहीं हैं. इसलिठमà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® का जो मोह और लगाव अखिलेश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ है, वो कà¤à¥€ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ नहीं हो सकता है. अखिलेश ने à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› ग़लत किया à¤à¥€ नहीं है कि वो मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® की आंखों से उतरें और उनकी जगह कोई और ले ले.
बलà¥à¤•à¤¿ पिता ने जो ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤¤à¥à¤° को सौंपी, उसे अखिलेश ने बखूबी निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है. पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• कà¤à¥€ à¤à¥€ राजनीति को लेकर उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ नहीं रहे. इसलिठमà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव को बबूल में आम लगने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं है. पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पढ़े लिखे अखिलेश ने पिता की खड़ाऊं को सिर पर रखकर अपने पैर राजनीति की बैतरणी में उतार दिठहैं.
अब मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® चाहते हैं कि उनका पादà¥à¤•à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤• उनके नाम और पà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¥à¤µ को आगे ले जाà¤. यही कारण है कि पूरे परिवार के लोगों को किनारे रखकर 2012 में सतà¥à¤¤à¤¾ का मà¥à¤•à¥à¤Ÿ अखिलेश के सिर रखा गया. लेकिन 2012 में जो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤° पांच साल की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ तक सीमित था, वो अब वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होकर पारà¥à¤Ÿà¥€ और परिवार तक आ गया है.
सूबे में इस चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में सपा की वापसी की गà¥à¤‚जाइश कम है. और अगले चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के आने तक या उसके लिठपारà¥à¤Ÿà¥€ को जिस चेहरे की ज़रूरत पड़ेगी, वो नेताजी शायद न हों कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उमà¥à¤° अब उनपर हावी होने लगी है.
आज समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ में मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव के बाद दूसरा सबसे बड़ा नाम अखिलेश यादव है. अपने बाद के गृहयà¥à¤¦à¥à¤§ की आशंकाओं को जनà¥à¤®à¤¨à¥‡ से पहले ही नेताजी से खतà¥à¤® कर दिया है और अब अखिलेश अपने परिवार और पारà¥à¤Ÿà¥€ की छवि से मà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ हो गठहैं और उसके उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€ बन गठहैं. à¤à¤¸à¥‡ में अखिलेश राजनीति में रखने-दिखाने के लिठà¤à¤• अधिक मजबूत, आधà¥à¤¨à¤¿à¤•, ईमानदार, कà¥à¤¶à¤² शासक और साफ छवि का नेता बनकर उà¤à¤°à¥‡ हैं.
यह सब नाहक नहीं हà¥à¤† है. इसमें से काफी कà¥à¤› इस महीने à¤à¤° से जारी पारिवारिक कलह के का