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इटावा में अमित शाह की रैली, जानें मोदी के चाणक्य ने क्यों चुना इटावा?

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के भीतर मची कलह के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुरूवार को इटावा में रैली कर रहे हैं. इटावा देश के सबसे बड़े सियासी यादव परिवार का गृह जिला है. इटावा और उसके आसपास की विधानसभा सीटों पर मुलायम सिंह यादव, उनके परिवार के सदस्यों या उनके करीबियों की जबरदस्त पकड़ है. ऐसे में यहां हो रही अमित शाह की संकल्प महारैली के क्या मायने हो सकते हैं, जानिए...

समाजवादी पार्टी के भीतर पिछले कुछ दिनों से सत्ता को लेकर कलह मची है. सीएम अखि‍लेश यादव की सपा के प्रदेश अध्यक्ष शि‍वपाल यादव के बीच सुलह की तमाम कोशि‍शें नाकाम हो गई हैं. इटावा रैली के जरिये अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी इस मौके का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी.

पिछले कई चुनावों से इटावा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टीऔर बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है. 2012 में हुए चुनाव में सपा के रघुराज सिंह शाक्य ने बीएसपी के महेंद्र सिंह राजपूत को हराया था. इससे पहले 2007 के चुनाव में महेंद्र सिंह राजपूत सपा के टिकट से चुनाव लड़े थे और बीएसपी के नरेंद्र नाथ चतुर्वेदी पर विजयी रहे थे. 2009 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा उम्मीदवार के तौर पर महेंद्र सिंह राजपूत ने सपा के प्रत्याशी विजय सिंह बहादुर को मात दी थी.

बीजेपी ने इटावा में बीएसपी के दबदबे को मात देने के लिए भी काट खोज ली है. ब्रजेश पाठक को इटावा में अमित शाह की संकल्प रैली के लिए भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बीएसपी के पूर्व सांसद और ब्राह्मण नेता ब्रजेश पाठक को मायावती की पार्टी से निकाले जाने के बाद बीजेपी ने हाथोंहाथ लिया था. बीएसपी से उन्नाव के सांसद रहे ब्रजेश पाठक की रणनीति से सोशल इंजीनियरिंग पर असर पड़ेगा. इससे बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है.

शाह की रैली के जरिये बीजेपी की नजर केवल इटावा ही नहीं बल्कि आसपास की दस सीटों- जैसे भरथना, जसवंतनगर, औरैया, दिबियापुर, बिधूना, कानपुर देहात की सिकंदरा, मैनपुरी जिले की मैनपुरी और करहल, फिरोजाबाद जिले की सिरसागंज पर है.

शाह की इटावा रैली का मकसद समाजवादी पार्टी के गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति भी है. बीजेपी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए तैयार की गई अपनी रणनीतियों में इसे भी शामिल किया था कि उसे किस तरह सपा के गढ़ में रैली कर सपा के दिग्गजों को मनोवैज्ञानिक तरीके से परास्त करना है.

बीजेपी अध्यक्ष की यह रैली ऐसे समय में हो रही है जब यादव परिवार के दो सदस्यों शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के बीच भगवा पार्टी को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए. शिवपाल ने रामगोपाल पर सीबीआई के डर से बचने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाने और बीजेपी से मिलकर समाजवादी पार्टी के खिलाफ साजिश करने और पार्टी को कमजोर करने के आरोप लगाए हैं.

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