सोमवार का गà¥à¤¡à¤²à¤•: संकटों के नाश हेतॠपरशà¥à¤°à¤¾à¤® जी पर चà¥à¥€ यह चीज करें जलपà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹
आज सोमवार दि॰ 26.02.18 को फालà¥à¤—à¥à¤¨ शà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ तिथि, आरà¥à¤¦à¥à¤° व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¸à¥ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°, विषà¥à¤Ÿà¤¿ व बव करण व आयà¥à¤·à¥à¤®à¤¾à¤¨ योग है। इस दिन आमलकी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ का परà¥à¤µ मनाया जाà¤à¤—ा। यह à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ विषà¥à¤£à¥ के परशà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤µà¤°à¥‚प को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है। कहते हैं आमलकी आंवले में विषà¥à¤£à¥ व लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ की पूजा की जाती है। शासà¥à¤¤à¥à¤° हेमादà¥à¤°à¤¿ व सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿-कौसà¥à¤¤à¥à¤ में आंवले के पेड़ के नीचे दामोदर-राधा की पूजा का वरà¥à¤£à¤¨ है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ पà¥à¤°à¤¾à¤£ में मानà¥-धाता व वशिषà¥à¤ संवाद के अंतरà¥à¤—त आमलकी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के माहातà¥à¤®à¥à¤¯ के वरà¥à¤£à¤¨ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पौराणिक काल में वैदिश नगर में आमलकी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ की संधà¥à¤¯à¤¾ पर à¤à¤• शिकारी à¤à¥‚खा पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ शिकार की तलाश में वहां आ पहà¥à¤‚चा। उसने विषà¥à¤£à¥ मंदिर में हरि कीरà¥à¤¤à¤¨ कर रातà¥à¤°à¤¿ जागरण करते हà¥à¤ लोगों को देखा, इस पर शिकारी वहीं रà¥à¤• गया तथा उसने à¤à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨ किठबिना रातà¥à¤°à¤¿ जागरण किया। अगले दिन शिकारी जब घर वापस आया तो उसने शाकाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया। कालांतर में शिकारी की मृतà¥à¤¯à¥ हà¥à¤ˆ आमलकी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के वà¥à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से उसने दूसरे जनà¥à¤® में जयंती नगर के राजकà¥à¤®à¤¾à¤° वसà¥à¤°à¤¥ के रूप में जनà¥à¤® लिया। वसà¥à¤°à¤¥ à¤à¤• दिन जंगल में मारà¥à¤— à¤à¤Ÿà¤•à¤•à¤° वहीं सो गया तथा उसपर परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ मे रहने वाले मलेचà¥à¤› यवनो ने पà¥à¤°à¤¾à¤£ घातक वार किà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ की आजà¥à¤žà¤¾ से वसà¥à¤°à¤¥ की रकà¥à¤·à¤¾ देवी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ ने की तथा यवनों का वध किया। आकाशवाणी से शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ ने वसà¥à¤°à¤¥ को ततà¥à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ दिया। आमलकी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के विशेष पूजन वà¥à¤°à¤¤ व उपाय से संकटों का नाश होता है, पारिवारिक समृदà¥à¤§à¤¿ आती है व अमंगल का नाश होता है।