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प्रदूषण पर एनजीटी ने सरकार को फटकारा, कहा - बच्चों को भयावह भविष्य मत दीजिए

पिछले 17 साल में दिल्ली के ऊपर छाए धुंध की सबसे बदतर स्थिति पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र और दिल्ली सरकार को लताड़ लगाई है। एनजीटी ने खतरनाक वायु प्रदूषण स्तर को नियंत्रण में करने के लिए कदम नहीं उठाने और केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण करने को लेकर नाराजगी जाहिर की।
एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने कहा कि आपके लिए दिल्ली के लोग मायने नहीं रखते, लेकिन हमारे लिए वे मायने रखते हैं। हमसे जो कुछ भी बन पड़ेगा, हम करेंगे। साथ ही कहा कि जरा ये तो देखिए कि हम अपने बच्चों को कैसा भविष्य दे रहे हैं। यह खौफनाक है।
हालात की तुलना आपातकाल से करते हुए अधिकरण ने कहा कि केंद्र, दिल्ली सरकार और अन्य प्राधिकार को बढ़ते वायु प्रदूषण की तथा दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम की कोई परवाह नहीं है और एक दूसरे पर दोष मढ़ने का काम हो रहा है। एनजीटी के अध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य प्राथमिक चिंता की वजह है। पीठ ने दुख जताया कि 10 साल पुरानी डीजल गाडियों का चलन रोकने के लिए दिल्ली सरकार को दिए गए उसके आदेश को समुचित तरीके से लागू नहीं किया गया।
पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि 10 साल से पुरानी सभी डीजल गाडियों को सड़क से हटाया जाना चाहिए। इस मुद्दे से किस तरह निपटा जाए इस सवाल पर केंद्र तथा दिल्ली सरकार से उचित जवाब नहीं मिलने पर पीठ ने नाराजगी जताई। माना जा रहा था कि कल एक बैठक में दिल्ली के मुख्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा अन्य के बीच इस संबंध में चर्चा की जानी थी। पीठ ने कहा कि दुनिया के सामने हम अपनी राजधानी को कैसे पेश कर रहे हैं। यह बेहद दुखद है।

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