दिन में तीन रूप बदलती हैं खैरी वाली माता , मेला आज
दतिया। सà¥à¤¬à¤¹ बाल रूप, दोपहर में यà¥à¤µà¤¾ अवसà¥à¤¥à¤¾ और देर सायं पà¥à¤°à¥Œà¥à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के रूप में मां महिषासà¥à¤° मरà¥à¤¦à¤¿à¤¨à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं। माता के यह तीन रूप बदलती पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ आज के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में à¤à¥€ देवीय चमतà¥à¤•à¤¾à¤° से कम नहीं है। माता का यह मंदिर खैरी वाली माता के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। मंदिर दतिया से उनाव रोड पर 5 किलोमीटर दूर à¤à¤• पहाड़ी पर बना हैं। जहां पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सैकड़ों शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ खैरी वाली माता को शीष नवाने पहà¥à¤‚चते हैं। बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° 28 मारà¥à¤š को यहां दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥€ का मेला लगेगा, जहां à¤à¤¾à¤°à¥€ संखà¥à¤¯à¤¾ में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ पहà¥à¤‚चेंगे।
जानकारी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° खैरी वाली माता का मंदिर काफी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ और आकरà¥à¤·à¤• व à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ लिये हà¥à¤¯à¥‡ हैं। खैरी वाली माता की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ महिषासà¥à¤° मरà¥à¤¦à¤¿à¤¨à¥€ मां दà¥à¤°à¥à¤—ा का अवतार के रूप में हैं। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ दिनà¤à¤° में तीन रूप में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बदलती है और माता के इन रूपों के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का दिनà¤à¤° तांता लगा रहता है। सà¥à¤¬à¤¹ माता के बालरूप, दोपहर में यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और सायं पà¥à¤°à¥Œà¥ अवसà¥à¤¥à¤¾ में दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं, जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤• अपने आप में चमतà¥à¤•à¤¾à¤° है। मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ रामलखन तिवारी बताते है कि मंदिर की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सैंकड़़ों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ और जीवंत है।
सेवà¥à¤¾ के सनकà¥à¤†à¤‚ में उस समय के शासक को सपने में माता के दरà¥à¤¶à¤¨ के उपरांत मिली थी। जब राजा यह मूरà¥à¤¤à¤¿ लेकर आये तब यह मंदिर में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गई। इस बात को सैंकड़ों वरà¥à¤· बीत चà¥à¤•à¥‡ है। खैरी वाली माता के मंदिर में सà¥à¤¬à¤¹ नियमित आरती होती है और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• माह में पहले और आखिरी रविवार को यहां à¤à¤‚डारे का आयोजन किया जाता है। अब मंदिर के आसपास धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ व मारà¥à¤•à¥‡à¤Ÿ बनाने की सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की योजना है, ताकि यहां आने वाले धारà¥à¤®à¤¿à¤• शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ न हो।