अमेरिकी राषà¥â€à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के लिठबदला था इस गांव का नाम, यहां बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— कर रहे हिलेरी-टà¥à¤°à¤‚प की चरà¥à¤šà¤¾
कारà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ (गà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤°à¤¾à¤®)। साइबर सिटी के कारà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ गांव की बड़ी चौपाल पर बैठे ताराचंद à¤à¤‚डारी चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ अमेरिका के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ को लेकर अपने साथियों से बात कर रहे हैं। उनके साथी अतर सिंह à¤à¥€ गà¥à¤£à¤¾ à¤à¤¾à¤— कर रहे हैं हिलेरी कà¥à¤²à¤¿à¤‚टन और डोनालà¥à¤¡ टà¥à¤°à¤‚प में से à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पकà¥à¤· में कौन बेहतर रहेगा...।
ये बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— यूं ही नहीं अमेरिकी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में इतनी दिलचसà¥à¤ªà¥€ ले रहे हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है। संयà¥à¤•à¥à¤¤ राजà¥à¤¯ अमेरिका के 39वें राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ जिमà¥à¤®à¥€ कारà¥à¤Ÿà¤° का इस गांव से खास लगाव था। वह 3 जनवरी 1978 को इस गांव में आठथे। तब इस गांव का नाम दौलतपà¥à¤° नसीराबाद था। लेकिन उनके आने के बाद इसका नाम कारà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ रख दिया गया। तब से इस गांव के लोग अमेरिका के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में पूरी दिलचसà¥à¤ªà¥€ लेते हैं।
इस गांव के निवासी ताराचंद à¤à¤‚डारी गà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® के इस गांव का नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° विजेता जिमà¥à¤®à¥€ कारà¥à¤Ÿà¤° से रिशà¥à¤¤à¥‡ के बारे में बताते हैं। कहते हैं कि ‘जिमà¥à¤®à¥€ कारà¥à¤Ÿà¤° की मां लेडी लिलियन गोरà¥à¤¡à¥€ कारà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤• रजिसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¡ नरà¥à¤¸ थीं। वह दूसरे वरà¥à¤²à¥à¤¡ वार के दौरान मिशनरी के साथ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में थीं। वह इस गांव के जेलदार सरफराज की हवेली पर अकà¥à¤¸à¤° आती थीं। जब उनकी मां यहां थीं तो जिमà¥à¤®à¥€ उनके गरà¥à¤ में थे।
इसीलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ही जिमà¥à¤®à¥€ कारà¥à¤Ÿà¤° को जीवन में कà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ जाने पर दौलतपà¥à¤° नसीराबाद आने के लिठकहा था। इसलिठजिमà¥à¤®à¥€ कारà¥à¤Ÿà¤° राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बनने के बाद अपनी पतà¥à¤¨à¥€ रोजलीन कारà¥à¤Ÿà¤° के साथ जनवरी 1978 में दौलतपà¥à¤° नसीराबाद पहà¥à¤‚चे। उनके साथ ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मोरारजी देसाई à¤à¥€ थे।’
सà¥à¤µà¤¾à¤—त करने वालों में शामिल मासà¥à¤Ÿà¤° दीपचंद उस वकà¥à¤¤ की फोटो दिखाते हà¥à¤ बताते हैं कि उनके आगमन पर अचà¥à¤›à¥€ साफ-सफाई हà¥à¤ˆ थी। गांव में उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ था। डॉ. मनोहर नंबरदार बताते हैं कि उस वकà¥à¤¤ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ वीरवती ने रोजलीन कारà¥à¤Ÿà¤° का चà¥à¤‚दरी ओढ़ाकर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रोजलिन के सिर पर चà¥à¤‚दरी रखकर घूंघट बनाया तो जिमà¥à¤®à¥€ खूब हंसे थे। कà¥à¤› लोगों को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पतà¥à¤° à¤à¥€ लिखे। अब तो गांव के लोग यही चाहते हैं कि डेमोकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° जीते।
ताराचंद à¤à¤‚डारी कहते हैं कि वही जीते जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤²à¤¾ करे। इस गांव का à¤à¤²à¤¾ तो तब के नेताओं ने नहीं होने दिया। जिमà¥à¤®à¥€ ने उस वकà¥à¤¤ के नेताओं से इस गांव को गोद लेने की पेशकश की थी लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मना कर दिया। आज देखिठ(चौपाल पर खà¥à¤²à¥€ नाली दिखाते हà¥à¤) ये हाल है। इसी चौपाल पर जिमà¥à¤®à¥€ और उनके साथ आठकरीब दो सौ लोगों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤®à¤‚डल का सà¥à¤µà¤¾à¤—त हà¥à¤† था। यहीं पर वो हवेली थी जिसमें जिमà¥à¤®à¥€ की मां रà¥à¤•à¤¾ करती थीं।
बदलते वकà¥à¤¤ के साथ तीन मंजिला हवेली खतà¥à¤® हो गई। लेकिन लोगों के जहन में अमेरिका से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ यहां की यादें अकà¥à¤¸à¤° ताजा हो उठती हैं। खासतौर पर चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के वकà¥à¤¤ और वहां के किसी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के à¤à¤¾à¤°à¤¤ आगमन पर। गांव के लोगों का कहना है कि कारà¥à¤Ÿà¤° यहां पर करीब दो घंटे रà¥à¤•à¥‡ थे। पूरे गांव में घूमे थे इसलिठउस पल को हर बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— याद करता है और अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बताता है।