कड़ा था मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾, फिर à¤à¤¸à¥‡ साफ हà¥à¤† कमलनाथ के कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ MP चीफ बनने का रासà¥à¤¤à¤¾
साल à¤à¤° से अटका सियासी फैसला राहà¥à¤² गांधी ने अब जाकर किया है. मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में नेताओं की गà¥à¤Ÿà¤¬à¤¾à¤œà¥€ और जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ सिंधिया या कमलनाथ में से किसको कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ ईकाई की कमान सौंपी जाà¤, ये पारà¥à¤Ÿà¥€ में à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ बन गया था. राहà¥à¤² सà¤à¥€ पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से बात कर चà¥à¤•à¥‡ थे. कह सकते हैं कि बहस पूरी हो गई और फैसला लंबे वक़à¥à¤¤ के लिठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हो गया था. दरअसल, राहà¥à¤² की पसंद सिंधिया थे, लेकिन दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ समेत तमाम नेता और सोनिया गांधी के करीबी माने जाते रहे दिगà¥à¤—ज à¤à¥€ कमलनाथ के हक में थे. इसीलिठराहà¥à¤² फैसला नहीं कर पा रहे थे. आखिर में कोई रासà¥à¤¤à¤¾ ना देख राहà¥à¤² ने कमलनाथ के नाम पर सहमति जता दी.
सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, पारà¥à¤Ÿà¥€ में पहले गहन विचार के बाद मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की कमान सौंपने के लिठजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ सिंधिया और कमलनाथ के नाम उà¤à¤°à¤•à¤° सामने आà¤. आखिर दोनों की पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ के तौर पर पारà¥à¤Ÿà¥€ का चेहरा बनने की रही है. à¤à¤¸à¥‡ में कई दौर की बैठकों के बाद कà¥à¤› अहम तथà¥à¤¯ उà¤à¤°à¤•à¤° सामने आà¤.
1. उमà¥à¤° के हिसाब से कमलनाथ के पास तकरीबन आखिरी मौका है. साथ ही तमाम कोशिश के बावजूद अब से पहले उनको कà¤à¥€ बतौर सीà¤à¤® चेहरा नहीं बनाया गया.
2. कमलनाथ à¤à¤®à¤ªà¥€ में दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ सिंह, कांतिलाल à¤à¥‚रिया, अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह के बेटे अजय सिंह और सà¥à¤°à¥‡à¤¶ पचौरी सरीखे नेताओं को साध सकते हैं, ये तमाम नेता सिंधिया से वरिषà¥à¤ à¤à¥€ हैं.
3. पिछले चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में आखिरी वकà¥à¤¤ के लिठही सही लेकिन सिंधिया को बतौर सीà¤à¤® चेहरा पेश करके ही चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ा था, तब उनको कैमà¥à¤ªà¥‡à¤¨ कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था.
सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ सिंह और सिंधिया की सियासी अदावत ने à¤à¥€ राहà¥à¤² को कमलनाथ के हक़ में आखिरकार फैसला करने को मजबूर कर दिया. अपनी नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ से पहले ही दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ ने सिंधिया और कमलनाथ की मौजूदगी में राहà¥à¤² से साफ कह दिया था कि, वैसे तो किसी को चेहरा बनाने की जरूरत नहीं है. सà¤à¥€ नेता मिलकर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ाà¤à¤‚ और सरकार बनने पर बाद में राहà¥à¤² फैसला कर लें. लेकिन जब राहà¥à¤² ने जोर देकर पूछा कि, पहले किसी को चà¥à¤¨à¤¨à¤¾ हो तो राय बताइà¤. इस पर दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ ने जवाब दिया कि, सिंधिया के पास आगे वक़à¥à¤¤ है, लेकिन कमलनाथ का अंतिम मौका है. इसलिठकमलनाथ हों और वो होते हैं तो मेरा पूरा समरà¥à¤¥à¤¨ रहेगा.
वहीं सिंधिया खà¥à¤¦ कमान संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ के लिठजोर लगाते रहे. अब सिंधिया को राहà¥à¤² के वीटो का ही सहारा था. इसी उधेड़बà¥à¤¨ में इतना वक़à¥à¤¤ गà¥à¤œà¤° गया. साथ ही दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ ही नहीं à¤à¤®à¤ªà¥€ के ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° नेता दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ की लाइन पर ही सहमति जताते रहे. चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करीब आता देख आखिरकार राहà¥à¤² ने नेताओं की राय के साथ जाते हà¥à¤ कमलनाथ के नाम को हरी à¤à¤‚डी दे दी. कमलनाथ के नाम का औपचारिक à¤à¤²à¤¾à¤¨ 29 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² की रैली के बाद कर दिया जाà¤à¤—ा.