चाणकà¥à¤¯ नीति- कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही करें कारà¥à¤¯
आचारà¥à¤¯ चाणकà¥à¤¯ ने अपने नीति शासà¥à¤¤à¥à¤° में मितà¥à¤°-à¤à¥‡à¤¦ से लेकर दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ की पहचान तक, पति-परायण तथा चरितà¥à¤° हीन सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में विà¤à¥‡à¤¦, राजा का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ और जनता के अधिकारों तथा वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का उचित निदान हो जाता है।
आचारà¥à¤¯ चाणकà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बताई गई नीतियों में सफल और सà¥à¤–ी जीवन के कई सूतà¥à¤° बताठगठहैं। यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चाणकà¥à¤¯ की नीतियों का पालन करता है तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही वह कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की परेशानियों से बच सकता है।
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अतिà¤à¤¾à¤°: पà¥à¤°à¥à¤·à¤®à¤µà¤¸à¤¾à¤¦à¤¯à¤¤à¤¿à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤
जो राजा अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से अधिक कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° अपने ऊपर लाद लेता है, वह अतिशीघà¥à¤° उदासीन होकर थक जाता है और राज़-काज़ से उदासीन हो जाता है।