‘रॉक ऑन’ नहीं ‘रॉक ऑफ’ है ये फिलà¥à¤®
देखो यार सीधी बात है किसी फिलà¥à¤® का सीकà¥à¤µà¤² तब बनाओ जब आपके पास पहले पारà¥à¤Ÿ से बेहतर न सही, तो उसके बराबर वजन वाली कहानी हो। इससे कम कà¥à¤› à¤à¥€ लाओगे गà¥à¤°à¥, तो उसे किनारे कर दिया जाà¤à¤—ा, याद रखो..!
अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• कपूर के डायरेकà¥à¤¶à¤¨ में करीब आठसाल पहले आई ‘रॉक ऑन’ की सबसे बड़ी खासियत उसके मà¥à¤¯à¥‚जिक के अलावा उसके किरदारों के आपसी इमोशनल रिशà¥à¤¤à¥‡ थे। दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ को उस फिलà¥à¤® में कà¥à¤› नया, कà¥à¤› अपना, कà¥à¤› दिलकश लगा था और इसी वजह से वह लोगों के दिलों में जगह बना पाई थी। मगर अफसोस ‘रॉक ऑन 2’ अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद उस गहराई तक नहीं उतर पाई है जहां इसे तारीफों के मोती मिल सकते।
‘मैजिक’ बैंड के आदि, के.डी., जो वगैरह अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बॠचà¥à¤•à¥‡ हैं। आदि à¤à¤• हादसे के बाद मेघालय के किसी गांव में रह कर खेती करता है। मेघालय ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° का कोई गांव कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं? अचà¥à¤›à¤¾ मेघालय परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ के साथ गठबंधन जो हà¥à¤† है आपका। पर यह कà¥à¤¯à¤¾, आपने तो मेघालय की सरकार को ही बेईमान बता दिया। खैर, à¤à¤• और हादसा इन सबको फिर से करीब लाता है और ये अपने दो नठसाथियों के साथ अपने पहले पà¥à¤¯à¤¾à¤° यानी मà¥à¤¯à¥‚जिक से फिर जà¥à¥œ जाते हैं।
अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• और पà¥à¤¬à¤¾à¤²à¥€ चैधरी की कहानी में कोई नयापन नहीं है। किसी का रूठकर अपने काम से परे चले जाने और फिर लौट आने का पà¥à¤²à¥‰à¤Ÿ बà¥à¤°à¤¾ नहीं है, लेकिन à¤à¤¸à¥€ कहानी जबरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ शॉक मांगती है। आदि जिस वजह से सब छोड़कर चला जाता है वह बड़ी लगने के बावजूद à¤à¤Ÿà¤•à¤¾ नहीं दे पाती। फिर उसके वापस आने का बहाना à¤à¥€ जबरन ठूंसा गया-सा लगता है।
दरअसल मेघालय वाला पूरा हिसà¥à¤¸à¤¾ ही इस कहानी में मिसफिट लगता है। फिर जिस तरह से उदय और जिया के दो नठकिरदार गà¥à¥‡ गठहैं वे à¤à¥€ सहज नहीं लगते। पटकथा को अपने मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• तोड़ने-मरोड़ने की लेखकों की साजिश जलà¥à¤¦ समठमें आ जाती है और ऊपर से बार-बार धीमी पड़ती फिलà¥à¤® की रफà¥à¤¤à¤¾à¤° इसे कई जगह बेहद बोर बना देती है। शà¥à¤œà¤¾à¤¤ सौदागर के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ में कसावट और कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ का कचà¥à¤šà¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¤²à¤•à¤¤à¤¾ है।
फरहान अखà¥à¤¤à¤°, अरà¥à¤œà¥à¤¨ रामपाल, पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€ देसाई वगैरह बेहद साधारण रहे हैं। पूरब कोहली जरूर उà¤à¤° कर दिखते हैं। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ कपूर, कà¥à¤®à¥à¤¦ मिशà¥à¤°à¤¾, शशांक अरोड़ा जैसे कलाकारों को कायदे के किरदार ही नहीं मिल सके और फिलà¥à¤® इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ज़ाया करती दिखती है। साथ ही इस फिलà¥à¤® की सबसे बड़ी कमी है इसका साधारण मà¥à¤¯à¥‚जिक। à¤à¤•-दो को छोड़ कहीं à¤à¥€ यह दिल में नहीं उतर पाता। मेघालय के चंद बेहद खूबसूरत दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा दिल में उतर पाने में तो यह पूरी फिलà¥à¤® ही नाकाम रही है। ठीक 1000 रà¥à¤ªà¤ के उस नोट की तरह, जो वजनदार तो है, लेकिन अब यह किसी को पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ नहीं रहा।