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उमा भारती बोलीं - मैंने जान की बाजी लगाई है, राम मंदिर बनकर रहेगा

उमा भारती का नाम लेते ही फायरब्रांड नेता की छवि जेहन में उभरती है. मोदी सरकार में केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहीं उमा भारती बेबाक बयानों के लिए जानी जाती रही हैं. अतीत में ऐसे मौके भी आए जब उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं से ही नाराजगी दिखाने में गुरेज नहीं किया.

एक चैनल से बात चीत के दौरान  उमा भारती ने कहा कि वो ना टायर हैं ना रिटायर और आखिरी सांस तक राजनीति करती रहेंगी. उमा भारती ने ये भी जताया कि कर्नाटक में पार्टी को पहले 4 से 40 में लाने और फिर सरकार बनाने तक की स्थिति में पहुंचाने में उनकी अगुवाई में चले तिरंगा आंदोलन की खास भूमिका रही है.

उमा भारती ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वो अपना बेहतर एडिशन मानती हैं और उनके रास्ते में कोई बाधा नहीं आने देंगी. उन्नाव, कठुआ जैसी घटनाओं पर उमा भारती ने कहा कि इन्हें राजनीति की नजर से नहीं देख सकते और पीड़ित लड़कियों को लेकर उनके अंदर की महिला जगेगी ही जगेगी.

उमा भारती ने कहा कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जहां कहेंगे, वहां प्रचार के लिए जाने को तैयार हूं. राम मंदिर पर उमा भारती का कहना है कि इसके लिए उन्होंने जान की बाजी लगाई है और वो बन कर रहेगा.

आखिरी सांस तक करूंगी राजनीति

अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि ना टायर होंगे ना रिटायर होंगे, लेकिन लगता है थोड़ा-थोड़ा आप हो गई हैं, क्या हो गया है? इस सवाल के जवाब में उमा भारती ने कहा, ‘ना मैं टायर हूं ना रिटायर हूं, मैं 27 साल की उम्र में पहली बार सांसद बनी, 36 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनी. 42 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनी. 6 बार लोकसभा चुनाव और 2 बार विधानसभा चुनाव जीती. दो राज्यों में चुनाव जीती. असम में घुसपैठ के खिलाफ सबसे बड़ा मूवमेंट मैंने ही खड़ा किया.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'कर्नाटक में तिरंगा आंदोलन में 4 से 40 और अब सरकार बनाने की स्थिति में लाने में मेरी अगुवाई रही. उत्तर प्रदेश मेरी कर्म भूमि रही, राम जन्म भूमि आंदोलन के समय मैं उत्तर प्रदेश में ब्लॉक लेवल पर पहुंच गई. मध्य प्रदेश में 10 साल से जमी जमाई सरकार को उखाड़ फेंका. ना मैं टायर हूं ना रिटायर हूं. मुझे तो मोदीजी के साथ उनके सहयोगी के तौर पर काम करना है.’

उमा भारती से जब पूछा गया कि ‘9 टू 5’ जैसी चीज आपके साथ सूट ही नहीं करती है तो उन्होंने कहा, ‘नेताओं के लिए बड़ी मुश्किल होती है कि उनको आत्मस्तुति और परनिंदा करनी पड़ती है. मैं दोनों करना नहीं चाहती हूं लेकिन अपने बचाव में आत्मस्तुति करनी पड़ेगी. 58 साल की ज़िंदगी में 50 साल काम कर चुकी हूं, अभी भी आगे काम करना चाहती हूं. आखिरी सांस तक राजनीति करती रहूंगी, मोदीजी के सहयोगी की तरह काम करना चाहती हूं, बस पैटर्न थोड़ा बदलना चाहती हूं.’

नरेंद्र मोदी जैसी ऊर्जा किसी में नहीं देखी

आपने कहा था कि तीन साल चुनाव नहीं लड़ूंगी, इसका ये मतलब नहीं निकाला जा सकता कि आप नाराज़ हैं किसी से? इस सवाल के जवाब में उमा भारती ने कहा, ‘किसी से नाराज़ क्यों हूंगी, ये मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति के साथ काम कर रही हूं जिसने भारत की राजनीति में नवाचारों (नए और उपयोगी तरीकों) का प्रयोग किया है.

उमा ने कहा, 'मैं भारत के सभी नेताओं से मिली हूं और उन्होंने मेरे प्रवचन सुने हैं. इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, नेल्सन मंडेला, मार्ग्रेट थैचर. लेकिन मैंने ऐसा व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) नहीं देखा, उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ. वे मुझसे दस साल बड़े हैं, उनसे मैं अपने थकने की बात कहूंगी, ये तो डूब मरने वाली बात है. हर एक के जीवन में ये समय आता है, अटल जी ने भी 7-8 साल का ब्रेक लिया था. मोदीजी के जीवन में भी ये समय आया था जब उनसे कहा गया था कि 7-8 साल गुजरात नहीं आना, उन्होंने जमकर काम किया.’

राम मंदिर बन कर रहेगा

उमा भारती से जब पूछा गया कि पैटर्न तो सरकार का भी बदला है, राम सर्किट की बात होती है लेकिन रामलला तंबू में ही नज़र आते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘तीन बार मुझे लगा कि मैं मर सकती हूं, एक था राम मंदिर, एक था कर्नाटक में तिरंगा फहराना और एक बार मध्य प्रदेश में जब सरकार बनाने की बात आई और जिस प्रकार से मेरा मुकाबला किया था दिग्विजय सिंह ने पूरी फोर्स के साथ, उसमें तो मुझे अपने आप को झोंकना पड़ा था क्योंकि बीजेपी वहां पर कमज़ोर हो चुकी थी. उसमें मुझे स्टीरॉयड्स खाने की नौबत आ गई थी.

"मैंने तो राम मंदिर के लिए जान की बाज़ी लगाई है, मंदिर बनकर रहेगा, राम लला बैठे हैं, वहीं मंदिर बनेगा, कोर्ट के अंदर दो तरह की सुनवाई चल रही है, एक ये कि क्या हमने कोई कॉन्सपिरेसी की तो मैंने साफ कह दिया कॉन्सपिरेसी की ज़रूरत तो तब होती है जब चोरी छिपे काम हो रहा हो, खुले आम खड़े हैं गोली खाने के लिए कहां की कॉन्सपिरेसी."

 

 

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