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मेजर गोगोई के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश

 à¤¥à¤²à¤¸à¥‡à¤¨à¤¾ प्रमुख जनरल विपिन रावत के शुक्रवार को मेजर गोगोई के दोषी होने पर कठोर सजा दिए जाने के संकेत के कुछ ही देर बाद सैन्य प्रशासन ने पूरे मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश जारी कर दिया। मेजर गोगोई को सेना की 53 आरआर से हटाते हुए चिनार कोर मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है, जबकि उनके कमांडिंग आफिसर को भी लापरवाही बरतने के कारण 53 आरआर की कमांड से हटाकर राज्य से बाहर किसी अन्य वाहिनी में अंडर कमांड पोस्टिंग पर भेजे जाने की तैयारी है।

 

संबंधित अधिकारियों की मानें तो बेशक मेजर के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता हो, लेकिन सैन्य नियमों के तहत उनके लिए दंड से बचना मुश्किल है। उन्होंने वादी में तैनात सैन्याधिकारियों व जवानों के लिए घोषित स्टैंडर्ड आप्रेटिंग प्रोसीजर का तथाकथित तौर पर स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि अगर मेजर लीतुल गोगोई दोषी साबित होते हैं तो न सिर्फ उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि सात साल की कैद भी भुगतनी पड़ेगी।

 

गौरतलब है कि नौ अप्रैल 2017 को बीरवाह, बडगाम में एक पत्थरबाज को मानवढाल बना जीप पर बांध, इलाके में हिंसा पर रोक लगाने के बाद सुर्खियों में आए मेजर लीतुल गोगोई बीते बुधवार से एक नए विवाद में फंस गए हैं। उन्होंने श्रीनगर के एक होटल में कमरा बुक किया था। लेकिन जब वह कमरे में जाने लगे तो होटल प्रबंधकों ने उनके साथ एक स्थानीय युवक-युवती के साथ होने पर एतराज जताते हुए कमरा देने से मना कर दिया था। इसके बाद वहां हंगामा हो गया और पुलिस में मामला जाने के साथ ही इस पूरे घटनाक्रम ने सियासी रंग ले लिया। पुलिस ने मेजर गोगोई, लड़की व उनके साथ पकड़े गए एक अन्य सैन्यकर्मी समीर अहमद मल्ला को उसी दिन शाम को रिहा कर दिया था।

 

 

 

मामले की जांच में जुटे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लड़की के नाबालिग होने का बेशक कई लोगों ने दावा किया है। लेकिन वह बालिग है और जिला मैजिस्ट्रेट के समक्ष उसने अपने बयान में माना है कि वह मेजर को पहले से जानती है और कई बार वह उसके साथ तथाकथित तौर पर घूमने भी गई है। बुधवार को भी वह अपनी मर्जी से ही श्रीनगर घूमने आई थी। उसे कोई जबरन नहीं लाया था।

 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मेजर गोगोई के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। लेकिन हम इस मामले पूरी जांच कर रहे हैं, ताकि सभी तथ्यों और हालात का पता लगाया जा सके। उम्मीद है कि सैन्य प्रशासन इसमें हमारी मदद करेगा, क्योंकि मेजर गोगोई ने कई सैन्य नियमों का उल्लंघन किया है और वह श्रीनगर में क्‍यों आए थे, यह जानना भी जरूरी है।

 

 

 

इस बीच, मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ आज दोपहर को सैन्य प्रशासन ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश जनरल विपिन रावत द्वारा मामले की जांच कराने व दोष साबित होने पर मेजर को कठोर दंड दिए जाने संबंधी दिए गए बयान के बाद ही जारी हुआ है। संबधित सैन्य सूत्रों ने बताया कि मेजर गोगोई के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का औपचारिक आदेश जारी होने के साथ ही मेजर गोगोई को उनकी मौजूदा डयूटी से हटाते हुए चिनार कोर में किसी अन्य वाहिनी के साथ अटैच कर दिया गया है। इसके साथ ही 53 के मौजूदा कमांडिंग आफिसर को अपनी कमांड में अक्षमता दिखाने के आधार पर जम्मू कश्मीर से बाहर किसी अन्य वटालियन में अंडर कमांड पोस्टिंग पर भेजा जा रहा है।

 

उन्होंने बताया कि इस मामले में मेजर लीतुल गोगोई का बचना बहुत मुश्किल है, क्योंकि उन्होंने वादी में तैनात सैन्याधिकारियों व जवानों के लिए निर्धारित स्टैंडर्ड आप्रेटिंग प्रोसीजर का घोर उल्लंघन किया है। वह कंबैट अधिकारी (आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने वाला लड़ाकू अथवा ऑप्रेशनल अधिकारी) हैं। तय नियमों के मुताबिक, वह अपनी यूनिट से बाहर अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित किए बगैर नहीं जा सकते।

 

इसके अलावा तय नियमों के मुताबिक कश्मीर में कोई भी सैन्याधिकारी विशेषकर जो कंबैट हो, सादी वर्दी में किसी भी नागरिक इलाके में नहीं जा सकते नहीं जा सकता और न किसी सीविल होटल में या किसी नागरिक के घर में बिना पर्याप्त सुरक्षा क्वच रुक सकता है। अगर वह कहे कि उसे अपने किसी मुखबिर से मिलना है तो भी नहीं। क्योंकि सूचनाएं जमा करना, मुखबिरों से मिलना, यह सारी जिम्मेदारी सेना के खुफिया विंग की हैं। इसके अलावा मेजर लीतुल गोगोई सेना की विक्टर फोर्स के अधीन आते हैं, जबकि श्रीनगर सेना की 15 कोर का सब एरिया है। श्रीनगर में सेना कहीं भी आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय नहीं है।

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