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मृत्यु के बाद 24 घंटे के लिए यमलोक जाती है आत्मा

अठारह पुराणों में महापुराण गरुड़ का अपना एक विशेष महत्व है। इसके अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु है। अतः यह वैष्णव पुराण है। इसमें विष्णु-भक्ति का वर्णन बहुत अच्छे से किया गया है। इस पुराण में भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन ठीक उसी प्रकार से किया गया है, जिस प्रकार 'श्रीमद्भागवत' में उपलब्ध होता है। इसमें पुराण में à¤¸à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की उत्पत्ति, ध्रुव चरित्र और बारह आदित्यों, सूर्य और चन्द्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र, इन्द्र से सम्बन्धित मंत्र, सरस्वती के मंत्र और नौ शक्तियों के साथ-साथ  à¤¶à¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§-तर्पण, मुक्ति के उपायों तथा जीव की गति का विस्तृत वर्णन मिलता है।

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गरूड़ पुराण मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है।  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं। मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं। अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे पीड़ा सहनी पड़ती है। गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा को दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं। इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था। इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है। 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है।

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पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है। इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है। ये तीन मार्ग हैं अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग. अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है। 

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