दाबू और अलà¥à¤œà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट से तैयार साड़ियां विदेशों में à¤à¥€ लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯
नीमच। जिले के तारापà¥à¤°-उमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¾ में साड़ियों पर दाबू के साथ अलà¥à¤œà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट का अनूठा काम हो रहा है। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रंगों और हाथों की जादूगरी से तैयार साड़ियों की मांग विदेशों में à¤à¥€ है। यहां के कारीगर लगà¤à¤— 200 साल से कपड़ों पर छपाई कर रहे हैं।
यहां से 25 किमी दूर तारापà¥à¤° और उमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¾ गांव गंà¤à¥€à¤°à¥€ नदी के दो किनारों पर बसे हैं। दोनों गांव à¤à¤• ही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और कला के पूरक बन चà¥à¤•à¥‡ हैं। यहां के दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ कारीगरों ने कपड़ों पर छपाई की खास कला को न केवल सहेज रखा है, बलà¥à¤•à¤¿ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में इसे पहचान à¤à¥€ दिलाई है।
मपà¥à¤° हसà¥à¤¤ शिलà¥à¤ª à¤à¤µà¤‚ करघा निगम की मॉनीटरिंग में कलाकार पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रंगों और मिटà¥à¤Ÿà¥€ की मदद से आकरà¥à¤·à¤• साड़ियां तैयार कर देते हैं। इन साड़ियों की कीमत 1500 से 2000 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ नग तक है।
दाबू पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट : इसे बà¥à¤²à¥‰à¤• पà¥à¤°à¤¿à¤‚टिंग के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है। काली मिटà¥à¤Ÿà¥€, गोंद और चूना मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। बाद में इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की मदद से पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रंगों से कपड़े पर छपाई की जाती है।
अलà¥à¤œà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट : इसे दाबू के साथ ही उपयोग किया जाता है, लेकिन इसमें इमली के बीज के पावडर और फिटकरी मिलाकर पेसà¥à¤Ÿ तैयार किया जाता है। इसमें पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रंग मिलाकर छपाई की जाती है।
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रंग à¤à¤¸à¥‡ करते हैं तैयार
लोहे के बरà¥à¤¤à¤¨ में गà¥à¥œ को सड़ाकर काला रंग, अनार के छिलकों से पीला और अनà¥à¤¯ रंग, हरड़ के पावडर से पीले और हलà¥à¤•à¥‡ रंग, फिटकरी और इंडिगो पौधे से नीला रंग बनाया जाता है। इसी तरह धावड़े के फूल से लाल और उससे मिलते-जà¥à¤²à¤¤à¥‡ रंग तैयार किठजाते हैं।
कपड़ा यहां से
यहां के कारीगर इंदौर, बà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤¨à¤ªà¥à¤°, महेशà¥à¤µà¤°, अशोक नगर और चंदेरी से सिलà¥à¤•, शिफॉन और अनà¥à¤¯ तरह का हाथ से बà¥à¤¨à¤¾ कपड़ा लाते हैं। इसे कई दिनों तक पानी में गलाने के बाद छपाई के लिठतैयार किया जाता है।
विदेश में कर चà¥à¤•à¥‡ हैं कला का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨
दाबू और अलà¥à¤œà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट से तैयार साड़ियां नई दिलà¥à¤²à¥€, मà¥à¤‚बई, कोलकाता, मदà¥à¤°à¤¾à¤¸, इंदौर, à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤², जबलपà¥à¤°, उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨, जयपà¥à¤° सहित अनà¥à¤¯ बड़े शहरों के शोरूम की शोà¤à¤¾ बà¥à¤¾à¤¤à¥€ हैं। इस कला की गूंज अब विदेशों तक पहà¥à¤‚च चà¥à¤•à¥€ है। तारापà¥à¤°-उमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¾ के कारीगर पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ बरà¥à¤²à¤¿à¤¨ की यातà¥à¤°à¤¾ कर वहां अपनी कला का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कर चà¥à¤•à¥‡ हैं।