कà¥â€à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¥à¤¯à¥‚ महाराज के जीवन में वाकई आ गया था डाउनफॉल!
इंदौर। à¤à¤¯à¥à¤¯à¥‚ महाराज के सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ आशà¥à¤°à¤® के बोरà¥à¤¡ पर मंगलवार को लिखी संतवाणी उनके जीवन में चल रहे उतार-चà¥à¤¾à¤µ को बयां कर रही थी। कà¥à¤› समय से वाकई उनके जीवन में डाउनफॉल आ गया था और अकसर वे बातों ही बातों में इसे बयां à¤à¥€ कर देते थे।
आशà¥à¤°à¤® के à¤à¤¾à¤°à¥€-à¤à¤°à¤•à¤® खरà¥à¤š, पारिवारिक कà¥à¤²à¥‡à¤¶ और कम होती साख ने उनके आसपास नैराशà¥à¤¯ का à¤à¤¸à¤¾ जाल बà¥à¤¨ रखा था कि वे चाहकर à¤à¥€ उससे उबर नहीं पाà¤à¥¤ कà¥à¤› दिनों से उनकी मनोदशा को à¤à¤¾à¤‚पकर सेवादार à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कम ही अकेला छोड़ते थे।
कम होने लगी थी à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾
दूसरा विवाह करने का à¤à¤¯à¥à¤¯à¥‚ महाराज का फैसला उनके जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को नहीं à¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ किसी ने सामने तो नाराजगी जाहिर नहीं की, लेकिन धीरे-धीरे आशà¥à¤°à¤® की गतिविधियों में à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ का गà¥à¤°à¤¾à¤« गिरने लगा था। आशà¥à¤°à¤® में पहले जो बड़े आयोजन होते थे, वे छोटे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में सीमित होने लगे थे। खà¥à¤¦ à¤à¤¯à¥à¤¯à¥‚ महाराज को इस बात का अहसास होने लगा था।
पहली पतà¥à¤¨à¥€ की मौत के बाद बड़ी बेटी के लिठà¤à¥€ महाराज जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चिंतित रहते थे। वह पà¥à¤¾à¤ˆ के लिठपà¥à¤£à¥‡ में रहती थी। महाराज को अकसर लगता था कि मां की मौत के बाद बेटी खà¥à¤¦ को अकेला महसूस कर रही है और दूसरे विवाह के बाद वे पारिवारिक सामंजसà¥à¤¯ ठीक से बैठा नहीं पा रहे हैं।
à¤à¤• समय à¤à¤¯à¥à¤¯à¥‚ महाराज से मिलने के लिठवीवीआईपी à¤à¤•à¥à¤¤ कतार में लगे रहते थे, लेकिन कई à¤à¤¸à¥‡ थे जो महाराज के संबंधों को à¤à¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° अपने काम निकलवाने आते थे। बड़े à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से दान में कमी होने से आशà¥à¤°à¤® की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¥€ खराब होने लगी थी।
महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के कोलà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤ªà¥à¤° के आयोजन में सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन से संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लेने की बात के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खà¥à¤¦ अपनी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बयां की थी और कहा था कि चार महीने से वे आशà¥à¤°à¤® के लोगों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। लोग उनके पास मतलब से आते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहां तक कह दिया था कि वे कोई बà¥à¤°à¥‹à¤•à¤° नहीं है कि कमीशन लेकर काम करें।