रहसà¥à¤¯-रोमांच से à¤à¤°à¥€ है दाती महाराज की कहानी, जानें- चाय की पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€ उठाने वाला कैसे बना जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€
चाय की पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€ उठाने से लेकर टेलीविजन चैनलों पर सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ बाबा बनने वाला दाती महाराज à¤à¤• दिन 25 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ यà¥à¤µà¤¤à¥€ से दà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¥à¤® के आरोपों के चलते दर-दर फिरेगा, यह किसी ने सोचा तक नहीं था। अगर दाती महाराज के जीवन संघरà¥à¤· पर नजर डालें तो यह सब किसी रहसà¥à¤¯-रोमांच सरीखा लगता है। दरअसल, बाबा दाती महाराज की कहानी किसी फिलà¥à¤® की तरह है, जिसमें जगह-जगह टà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ à¤à¤‚ड टरà¥à¤¨ आते हैं।
चाय की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ खोली, नाम रखा- मदनलाल पंडित नाम से चाय की दà¥à¤•à¤¾à¤¨
दाती महाराज उरà¥à¤« मदनलाल ने कà¥à¤› ही सालों में चाय की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ से लेकर आलीशान जिंदगी तक का सफर तय किया। बचपन में ही सात साल की उमà¥à¤° में उसके मां-बाप दोनों की मौत हो गई तो दो जून रोटी की तलाश में वह राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से दिलà¥à¤²à¥€ आ गया। इसके बाद कोई काम नहीं मिलने पर वह दिलà¥à¤²à¥€ के फतेहपà¥à¤°à¤¬à¥‡à¤°à¥€ में मदनलाल पंडित नाम से चाय की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ चलाने लगा। कà¥à¤› समय बाद उसने पटरी-बलà¥à¤²à¥€ और शटरिंग की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ खोली, फिर ईंट-बालू तथा सीमेंट की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ खोलकर उसमें à¤à¥€ हाथ आजमाया। इसके बाद उसने फतेहपà¥à¤°à¤¬à¥‡à¤°à¥€ में ही टेंट हाउस खोला और कैटरिंग का काम शà¥à¤°à¥‚ कर दिया।
कैटरिंग का काम सीखने के बाद उसके पास इससे पैसे आने लगे, जिससे उसकी रोजी-रोटी चलने लगी। इस दौरान वरà¥à¤· 1996 में मदन की जिंदगी तब 360 डिगà¥à¤°à¥€ घूम गई, जब उसकी मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¤• नामी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ से हà¥à¤ˆà¥¤ इस जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ की संगत में मदन ने हाथ देखने का काम बारीकी से सीखा और à¤à¤• दिन à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आया जब उसने जनà¥à¤®à¤•à¥à¤‚डली देखना à¤à¥€ सीख लिया। अब उसने इस काम का अपना पेशा बनाने का निरà¥à¤£à¤¯ ले लिया और कैटरिंग के धंधे को बंद कर दिया।
जमीन पर किया कबà¥à¤œà¤¾ à¤à¥€
हाथ देखने का काम चल निकला तो मदन ने फतेहपà¥à¤°à¤¬à¥‡à¤°à¥€ गांव में ही अपना जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· केंदà¥à¤° खोल लिया। फिर इसी जमीन पर उसने शनिधाम मंदिर बना लिया। कà¥à¤› साल में ही आस-पास की जमीन पर कबà¥à¤œà¤¾ करके आशà¥à¤°à¤® और टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ बना लिà¤, दशकों तक कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं आई। चेलों, à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ सैकड़ों से हजारों में तबà¥à¤¦à¥€à¤² हो गई।
मदन से बन गया दाती महाराज, काम बदला तो नाम à¤à¥€ बदल लिया
जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ का काम सीखकर मदन ने जान लिया था कि इस काम में जबरदसà¥à¤¤ पैसा है और शोहरत à¤à¥€ है। फिर कà¥à¤¯à¤¾ था मदन ने कैटरिंग का काम बंद कर दिलà¥à¤²à¥€ की कैलाश कॉलोनी में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· केंदà¥à¤° खोल लिया। जिंदगी में बदलाव आया तो उसने काम पीछे छोड़ने के साथ नाम à¤à¥€ छोड़ दिया और नाम बदलकर दाती महाराज रख लिया।
सात साल में ही खो दिया था मां-बाप को
टेलीविजन खासकर नà¥à¤¯à¥‚ज चैनलों पर अपनी जादà¥à¤ˆ बातों से लोगों को अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने वाले दाती महाराज का बचपन बेहद अà¤à¤¾à¤µ में गà¥à¤œà¤°à¤¾à¥¤ अब à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से लोग ये बात नहीं जानते होंगे कि मदन के दाती महाराज बनने के पीछे कà¥à¤¯à¤¾ कहानी है। दाती महाराज के à¤à¤• करीबी के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, मूलरूप से राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पाली जिले के अलावास गांव के रहने वाले दाती का असली नाम मदन लाल है। मदन लाल का जनà¥à¤® इस गांव में रहने वाले मेघवाल परिवार में जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 1950 में हà¥à¤†à¥¤ जनà¥à¤® के कà¥à¤› समय बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया। मदन जब सात साल का हà¥à¤† तो देवाराम की à¤à¥€ मौत हो गई।