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अशुभ योग में 21वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण

हिंदू धर्म के मतानुसार चंद्र ग्रहण का प्रभाव शुभ नहीं माना जाता। खगोलीय दृष्टि से चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी अपनी धूरी पर भ्रमण करते हुए चंद्रमा व सूर्य के बीच आ जाती है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा का पूरा या आधा भाग ढ़क जाता है। इसी को चंद्र ग्रहण कहते हैं। 

21वीं सदी का सबसे लंबा और पूर्ण चंद्रग्रहण 27 जुलाई को आने वाला है। 



आषाढ़ मास को पूर्णिमा की रात है, इसी दिन खग्रास चंद्रग्रहण होगा। लगभग 103 मिनट तक चंद्र ग्रहण का प्रभाव रहेगा। इसे भारत सहित दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिम एशिया, आस्ट्रेलिया और यूरोप में देखा जा सकेगा।

ज्योतिष विद्वानों का कहना है, गोचर में मकर राशि के केतु और चंद्रमा की प्रधानता रहेगी। राहु से समसप्तक दृष्टि संबंध रहेगा। जो अशुभता का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं से रू-ब-रू होना पड़ सकता है।



पृथ्वी की परछाई के बीच से होते हुए चंद्रमा के सीधे गुजरने से यह इतना लंबा वक्त लेगा। इस कालावधि तक सूर्य से उच्चतम दूरी होने के कारण धरती की परछाई का  à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤° बड़ा हो जाएगा। 15 जून, 2011 के बाद यह पहला केंद्रीय चंद्र ग्रहण होगा। 2018 का पहला चंद्रग्रहण जनवरी में आया था। अब यह दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।

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