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कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी क्यों थे आतंकियों के निशाने पर?

कश्मीर के प्रख्यात पत्रकार, संपादक शुजात बुखारी की गुरुवार को श्रीनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई. वह प्रेस कॉलोनी स्थ‍ित अपने दफ्तर से एक इफ्तार पार्टी में शामिल होने जा रहे थे, तभी कुछ हमलावरों ने उन पर गोलियों की बरसात कर दी. आइए जानते हैं कि कौन थे शुजात बुखारी और कश्मीर के लिए उनका क्या योगदान था...

-शुजात बुखारी श्रीनगर के पत्रकार थे और उन्हें घाटी के मामलों का विशेषज्ञ माना जाता था. उन्होंने दुनिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों के लिए कॉलम लिखे थे.

-वह श्रीनगर के अखबार राइजिंग कश्मीर के एडिटर-इन-चीफ थे. शुजात ने कश्मीर टाइम्स से अपने करियर की शुरुआत की थी.

-90 के दशक में वे द हिन्दू से जुड़ गए. इस दौरान कई खबरों के चलते उन्हें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. वह 15 साल तक द हिंदू अखबार के कश्मीर ब्यूरो चीफ रहे.

-बुखारी कश्मीर में होने वाली हर घटना पर ग्राउंड रिपोर्ट करते थे. वह लगातार कश्मीर और भारतीयता से जुड़े मसले उठाते थे और पाकिस्तानपरस्ती, आतंकवाद की मुखालफत करते थे. उनके विचार आतंकियों को रास नहीं आ रहे थे, इसी वजह से वह आतंकियों के निशाने पर थे.

-वह कश्मीर घाटी की सबसे बड़ी और पुरानी साहित्य संस्था अदबी मरकज कामराज के अध्यक्ष थे.

-उन्होंने मनीला के एंटीनियो डी मनीला यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में मास्टर डिग्री हासिल की थी और सिंगापुर के एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्म में फेलो थे.

-उन्हें वर्ल्ड प्रेस इंस्टीट्यूट (WPI) यूएसए से भी फेलोशिप मिली थी. वह अमेरिका के हवाई स्थ‍ित ईस्ट वेस्ट सेंटर के फेलो भी थे.

-शुजात पर इसके पहले भी तीन बार हमला हो चुका था. साल 2000 में हुए एक हमले के बाद बुखारी को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी.

-शुजात के अखबार राइजिंग कश्मीर को कई बार सरकार की तरफ से सेंसरशिप का सामना करना पड़ा था.

-कश्मीर घाटी में कई शांति सम्मेलनों के आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.

-वह ट्रैक टू डिप्लोमेसी के तहत पाकिस्तान से वार्ता प्रक्रिया में शामिल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा रहे हैं.

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