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देश में सिर्फ यहीं है माता कौशल्या का मंदिर, अब जन्मस्थली पर विवाद

रायपुर। à¤¬à¤¾à¤²à¥‹à¤¦ जिले के पाटेश्वर धाम में निर्माणाधीन भव्य मंदिर को देवी कौशल्या की जन्मस्थली के रूप में प्रचार करने का मामला अब गरमा गया है। चंदखुरी में लोगों ने जन्मस्थली के प्रचार-प्रसार को अवैधानिक बताकर जल्द ही विरोध तेज करने की बात कही है।

रविवार को इस संबंध में चंदखुरी के ग्रामीणों के साथ मां कौशल्या जन्मभूमि विकास समिति के सदस्यों के बीच बैठक हुई। घंटों तक चर्चा चलने के बाद ग्रामीणों ने बालोद में जन्मभूमि के दावा किए जाने पर निंदा करने की बात कही।

बैठक में शामिल उपेंद्रसिंह वर्मा ने बताया कि बालोद में गौसेवा आयोग छत्तीसगढ़ के श्रीराम बालक दास के संरक्षण में भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इसके निर्माण के साथ ही कौशल्या देवी जन्मभूमि का विवाद सामने आया है।

सातवीं शताब्दी में बना था माता कौशल्या का मंदिर

दरअसल चंदखुरी के ग्रामीणों का कहना है कि सातवीं शताब्दी में बने कौशल्या देवी का मंदिर यहीं है, देश में और कहीं नहीं है। सोमवंशी राजाओं द्वारा माता कौशल्या और उनके बेटे की प्रतिमा स्थापित करने की मान्यता मिलती है।

 

कई बार वैज्ञानिक रिसर्च भी हो चुके हैं। सात तालाबों के बीच यह मंदिर बनाया गया है। अभी कौशल्या जन्मभूमि के नाम से किया जा रहा प्रचार प्रसार बिल्कुल गलत है। समिति की तरफ से बैठक में अध्यक्ष देंवेंद्र सिंह वर्मा, भरत भूषण साहू, संतोष सेन, मालिकराम वर्मा, ओमप्रकाश साहू, सोहनलाल चतुर्वेदी समेत अन्य ग्रामीण शामिल हुए।

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