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उमा भारती को ‘चुभ’ गई योग गुरु बाबा रामदेव की ये बात, पत्र लिखकर निकाला गुस्सा

योग गुरु बाबा रामदेव के एक बयान से केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती नाराज हो गई हैं. बीते दिनों लंदन में एक टीवी चैनल को इंटरव्यू के दौरान बाबा रामदेव ने गंगा की सफाई पर असंतोष जताते हुए नितिन गडकरी की तारीफ की थी. उन्होंने उस दौरान दो मंत्रियों के कामों की तुलना करते हुए कहा था कि आज भी गंगा दूषित ही है. बाबा रामदेव ने कहा कि गंगा पर काम तो हुआ है, लेकिन उतना नहीं जितना होना चाहिए.

उमा भारती को बाबा रामदेव की यही बात ‘चुभ’ गई है. उन्होंने अब इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए बाबा रामदेव को बकायदा एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा कि इस योजना में शुरू से ही नितिन जी भागीदारी रहे हैं. अब वे मेरी भी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं. गंगा पर पहले जो हुआ उसमें उनकी भूमिका थी, अब जो हो रहा उसमें मेरी भूमिका है. इसमें तुलना नहीं हो सकती. पहले प्लानिंग की स्टेज थी और अब क्रियान्वयन की स्टेज है. 2019 तक गंगा के संबंध में प्रधानमंत्री जी संकल्प पूरा कर देंगे.

पत्र में उमा भारती ने ये भी बताया कि इन विषयों की अंदरूनी जानकारी प्रधानमंत्री, नितिन गडकरी और मेरे अलावा किसी को नहीं हो सकती. लिहाजा इस बारे में बाहर निकली जानकारी भ्रामक हो सकती है. उमा भारती ने कहा कि गंगा पर किए गए कार्य से मुझे संतोष है. नितिन गडकरी भी इसकी प्रशंसा करते हैं.

उमा ने कहा कि मुझे आपके द्वारा गंगा की विवेचना करते समय दो मंत्रियों की तुलना करना अजीब लगा. मैं स्वयं भी नितिन गडकरी जी की प्रशंसक हूं. साथ ही उनकी संगत में काम करके में गर्व महसूस करती हूं. उमा भारती ने कहा कि पूरी दुनिया के सामने लंदन से एक टीवी चैनल पर मेरे बारे में चर्चा करते समय शायद यह आपको ध्यान नहीं रहा कि आप मुझे निजी तौर पर आहत और मेरे आत्मसम्मान पर आघात कर रहे हैं.

पत्र में आगे उन्होंने कहा कि आठ साल की उम्र से अभी तक इन 50 सालों में घोर परिश्रम, विचारनिष्ठा और राष्ट्रवाद मेरी शक्ति है. यही मेरी विश्ववसनीयता के आधार रहे. इसी से देश की राजनीति में, भाजपा और संगठन में मुझे उचित स्थान मिले. चालाकी, चापलूसी और साजिश मुझे आती नहीं. इसके बिना ही मेरा काम चल गया और आगे भी चल जाएगा.

उमा ने बाबा रामदेव को अपना मार्गदर्शक बताते हुए उन्हें याद दिलाया कि आपके मुंह से निकला कोई भी जुमला मुझे हानि पहुंचा सकता है. पत्र के अंत में उन्होंने ये भी कहा कि मेरा जीवन तो गंगा से जुड़ चुका है. अपनी जान पर खेलकर भी गंगा का कार्य करके रहूंगी और रिवर लिंकिंग योजना को भी लागू करवाकर रहूंगी.

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