छातà¥à¤°à¤¾ से अशà¥à¤²à¥€à¤² हरकत करने बाला निगमकरà¥à¤®à¥€ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° ,नौकरी से बरà¥à¤–ासà¥à¤¤
इंदौर। आठवीं ककà¥à¤·à¤¾ की छातà¥à¤°à¤¾ से à¤à¤• निगमकरà¥à¤®à¥€ सà¥à¤•à¥‚ल जाते वकà¥à¤¤ रासà¥à¤¤à¤¾ रोककर अशà¥à¤²à¥€à¤² हरकत करने लगा। डर के कारण छातà¥à¤°à¤¾ सà¥à¤•à¥‚ल जाने के बजाय गारà¥à¤¡à¤¨ में छिप जाती थी। यह सिलसिला सात दिन तक चला। जब बचà¥à¤šà¥€ लगातार अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ रही तो सà¥à¤•à¥‚ल पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन ने परिवार को छातà¥à¤°à¤¾ के सà¥à¤•à¥‚ल न आने की जानकारी दी, जबकि छातà¥à¤°à¤¾ घर से रोज सà¥à¤•à¥‚ल जा रही थी। चिंतित परिजन ने समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ दिखाते हà¥à¤ उसका पीछा किया तो घटना पता चली।
इसके बाद सोमवार को पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने आरोपित निगमकरà¥à¤®à¥€ को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया। घटना à¤à¤°à¥‹à¤¡à¥à¤°à¤® थाना कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की है। à¤à¤¸à¤†à¤ˆ ललिता डाबर के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, आरोपित आकाश पिता मà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¾à¤²à¤¾à¤² गोडाले है। महादेव नगर निवासी 12 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ मासूम निजी सà¥à¤•à¥‚ल में पà¥à¤¤à¥€ है। उसके सà¥à¤•à¥‚ल जाने का समय सà¥à¤¬à¤¹ 8 बजे है, जबकि छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ होने के बाद वह दोपहर 2 बजे घर लौटती थी। सोमवार सà¥à¤¬à¤¹ छातà¥à¤°à¤¾ सà¥à¤•à¥‚ल जा रही थी।
इसी दौरान विनायक गारà¥à¤¡à¤¨ के पास आरोपित ने उसे रोक लिया और घूमने-फिरने चलने का दबाव बनाने लगा। फिर अशà¥à¤²à¥€à¤² हरकतें करने लगा। छातà¥à¤°à¤¾ के विरोध करने पर हतà¥à¤¯à¤¾ की धà¥à¤®à¤•à¥€ देने लगा। इसी दौरान पीड़िता के परिजन पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरोपित की पिटाई की और पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को सूचना दी। तब डायल 100 के सिपाही आरोपित को थाने ले गà¤à¥¤ आरोपित वारà¥à¤¡ 13 के जोन 4 में सफाई करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ है।
दरोगा ने मामला रफा-दफा करने का किया पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• आरोपित के बचाव में निगम का दरोगा कमल पांचाल पहà¥à¤‚चा और उसने मामला रफा-दफा करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। उधर, आरोपित को निगम अधिकारियों ने नौकरी से बरà¥à¤–ासà¥à¤¤ कर दिया। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ मंगलवार को आरोपित को कोरà¥à¤Ÿ में पेश करेगी.
छातà¥à¤°à¤¾ ने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को बताया कि 9 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को आरोपित ने पहली बार उसे रोका था और किसी को बताने पर परिवार की हतà¥à¤¯à¤¾ की धमकी दी थी। इस कारण उसने किसी को नहीं बताया। सà¥à¤•à¥‚ल पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• छातà¥à¤°à¤¾ पहली घटना के बाद से सà¥à¤•à¥‚ल नहीं जा रही थी, जबकि परिजन के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• वह रोज सà¥à¤•à¥‚ल के लिठनिकलती थी। सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• सà¥à¤•à¥‚ल पहà¥à¤‚चने के बजाय छातà¥à¤°à¤¾ गारà¥à¤¡à¤¨ में छिपकर बैठजाती थी और दोपहर में घर आ जाती थी।