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मठ मंदिर के प्रमुख कमिश्रर के गुलाम बन जाएंगे ; स्वामी स्वरूपानंद

ग्वालियर। द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गुजरात सरकार द्वारा बनाए गुजरात सार्वजनिक ट्रस्ट कानून २०११ का पुरजोर विरोध करते हुए कहा है कि हिन्दुत्व वादी नरेन्द्र मोदी सरकार ऐसे कानून को लाकर मठ , मंदिरों पर कब्जा करना चाहती है। उन्होने कहा कि सरकार ने यदि ऐसा कानून पारित किया तो देश में हिन्दुत्व विलुप्त प्राय: हो जाएगा। 
द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपने प्रवास के दौरान पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि २०११ में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक चैरिटी विधेयक पारित करवा कर सरकार की अंतिम स्वीकृति के लिए भेज दिया था। उस समय स्वामी स्वरूपानंद जी के नेतृत्व में मठ मंदिरों के धर्माचार्यों ने विरोध किया और राज्य सरकार को विधयेक वापस लेना पडा। उन्होंने कहा कि हाल ही में ऐसा ही विधेयक पूरे भारत में केन्द्र सरकार लाने पर विचार कर रही है। क्योंकि पीएम नरेन्द्र मोदी का अभी भी हृदय परिवर्तन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि चैरिटी एक्ट में एक कमिश्रर की नियुक्ति की जाएगी इसमें बौद्ध जैन सिक्ख का समावेश तो हिन्दू के साथ किया जाएगा लेकिन मुसलमान और ईसाई को अलग दर्जा देकर सम्मिलित किया जाएगा। कानून हिन्दुओं को प्रभावित करेगा। वहीं कमिश्रर मठ मंदिरों की अचल और चल संपत्ति पर पूरी निगाह रखेगा। वहीं मठ मंदिरों का हिसाब किताब लेगा। उन्होंने कहा कि मुसलमानों से अरब देश से और ईसाईयों को ईसाई देशों से धन आता है वह उससे अपना खूब प्रचार प्रसार करते हैं और हमारी सरकार सिर्फ और सिर्फ हिन्दुत्व धर्म के प्रचार प्रसार पर ही रोक लगा रही है। स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि केन्द्र सरकार में बैठे हिन्दुत्ववादी नेता प्रधानमंत्री मोदी को पीएम बनते ही गौमांस निर्यात पर रोक लगाना चाहिए थी। काश्मीर से धारा ३७० हटानी थी। लेकिन सरकार ने ऐसा तो नहीं किया साथ ही अचानक नोट बंदी और जीएसटी जैसे नियम लाद दिये। स्वामी जी ने कहा कि सरकार तो मुसलमान और ईसाईयों से इतना डरती है कि कक्षा पांच तक में ना तो रामायण पढाई जा सकती है और ना ही गीता । उन्होंने कहा कि उनकी मांग तो अयोध्या में रामलला के जन्म स्थान पर भव्य राम आराधना केन्द्र बने। 

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