Homeदेश विदेश ,
यूएन को भारत का जवाब, पहले करो आतंकियों पर कार्रवाई

सीमा पर भारत की तरफ से मिल रहे मुंहतोड़ जवाब पर पाकिस्तान की शिकायत के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को ही घेर लिया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि बढ़ता आतंकवाद संयुक्त राष्ट्र की सत्ता को चुनौती दे रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा संदेश देने के लिए और कदम उठाने की मांग की है।

भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को आतंकी समूहों तक सही संदेश पहुंचाने के लिए और भी प्रयास करने चाहिए क्योंकि कुछ आतंकी समूहों पर असंगत प्रतिबंध लागू करने से संयुक्त राष्ट्र के प्राधिकार पर सवालिया निशान लग रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा है कि सही संदेश पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को और प्रयास करने होंगे। कुछ आतंकी समूहों पर अनियमित प्रतिबंध लागू करने से संयुक्त राष्ट्र के प्राधिकार पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

भारतीय राजनयिक ने कहा, प्रतिबंधित संगठन तालिबान के नेता को आतंकी व्यक्ति घोषित किया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी कार्रवाई का बेसब्री से इंतजार कर रही है। à¤‡à¤¸ हफ्ते की शुरूआत में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति के प्रतिनिधिमंडल से तालिबान के नए नेता मुल्ला हैबतुल्ला (अखुंदजादा) और ऐसे ही अन्य लोगों को आतंकियों की सूची में शामिल करने की मांग की थी।

अकबरुद्दीन ने कहा, जब तक सुरक्षा परिषद और उसके अनुगामी संगठन वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट प्रतिक्रिया का हिस्सा नहीं बनेंगे तब तक उन पर सदस्य देशों की मूलभूत प्राथमिकताओं से अलग-थलग होने का खतरा मंडराता रहेगा जिसका ताना-बाना आतंकी पहले ही तार-तार कर चुके हैं।

महासभा में अफगानिस्तान पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद महासभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अफगान सरकार और जनता जिन सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करते आ रहे हैं वह अभी भी बरकरार हैं। à¤‰à¤¨à¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा है कि हम इस बात का उल्लेख करना चाहते हैं कि रिजाल्यूट सपोर्ट फोर्स के साथ मिलकर अफगानिस्तान आतंक से निबटने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

अकबरुद्दीन ने कहा है कि तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएसआईएस, अलकायदा और इनसे संबद्ध संगठन मसलन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों के संदिग्ध समर्थक अभी पीछे नहीं हटे हैं और यह जनहानि के बढ़ते आंकड़ों से स्पष्ट है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में सर्वसम्मति से अपनाए गए प्रस्ताव में अफगान सरकार द्वारा अफगानिस्तान को स्थिर, सुरक्षित, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर, आतंकवाद और मादक पदार्थों से मुक्त देश बनाने और संवैधानिक लोककतंत्र के आधार को मजबूत करने में लगातार समर्थन देने का संकल्प जताया गया।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत मलीहा लोधी ने कहा कि अफगानिस्तान के व्यापक गैर शासित इलाकों में बड़ी संख्या में आतंकियों, विदेशी लड़ाकों और आतंकी समूहों की मौजूदगी युद्ध से जर्जर देश की दीर्घकालिक स्थिरता के समक्ष चुनाती पेश कर रहे हैं।

लोधी ने कहा है कि वे न केवल अफगानिस्तान बल्कि पाकिस्तान और पूरे क्षेत्र के लिए खतरा बने हुए हैं। अफगानिस्तान एक बार फिर से वैश्विक आतंक का स्रोत बन सकता है जिसके गंभीर परिणाम इस क्षेत्र और पूरी दुनिया को भुगतने होंगे।

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की मुंहतोड़ फायरिंग के जवाब से बौखलाए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की शिकायत की थी। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से रोना रोया था कि भारत तनाव को बढ़ावा देने का काम कर रहा है और इलाके में शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने कहा था कि पिछले 13 साल में भारत की तरफ से कभी इतनी बड़ी फायरिंग नहीं की गई। इसलिए संयुक्त राष्ट्र को इसमें दखल देने की मांग की है।

Share This News :