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हवाई हमले में ढेर हुई बिल्डिंग के मलबे से जिंदा निकला 6 साल का मासूम

मोसूल। इराक की रेतीली जमीन पर इस्लामिक स्टेट के जेहादियों ने जब अपने आका बगदादी के इशारे पर कदम रखा तो वहां के लोगों ने इसे कुदरत का कहर मानकर हादसा करार दे दिया। और इस हादसे के साथ उन्होंने अपनी जिंदगी जीने की करीब करीब आदत सी बना ली थी। लेकिन हालात अब फिर बदलने लगे हैं।

आईएसआईएस को निशाना बनाकर किए जा रहे हवाई हमले में अलेप्पो शहर कई बिल्डिंग मलबे में बदल गई। ऐसी ही एक बिल्डिंग के मलबे में 6 साल का मासूम बच्चा दब गया। जिसकी मां की मौत हो चुकी थी। बच्चे को मौत के चंगुल से बचाने के लिए सैकड़ों हाथ एक साथ उठे। मशीनों के जरिए बिल्डिंग के मलबे में सुराख किया जा रहा था ताकि किसी भी तरह उस बच्चे तक खुली हवा के कतरे पहुंचाए जा सकें। जो इस ढेर के नीचे जिंदगी की आस और उम्मीद की सांस लेने के लिए शायद तड़प रहा था। बिल्डिंगों का मलबा आस पास भी फैला हुआ है। लेकिन तमाम लोगों की तवज्जो इसी ढेर की तरफ थी, जहां उन्हें जिंदगी की आहट महसूस हो रही थी।

एक जिंदगी को बचाने के लिए तकरीबन चार घंटे तक ये कवायद यूं ही चलती रही। सिविल डिफेंस का बचाव दल पूरी शिद्दत से यहां पत्थर हो चुके मलबे का सीना चीर डालने की कोशिश में लगा हुआ था और ये जद्दोजहद उस वक्त तक यूं ही जारी रही जबतक एक मासूम जिंदगी को अपनी गोद में उठा नहीं लिया। बारूदी धमाकों से पूरी तरह तबाही की कगार पर जा पहुंचे इस इलाके में आखिकार एक जिंदगी ने कम से कम अपनी जंग तो जीत ली। यहां एक छह साल के मासूम को मलबे से निकालकर जिंदा बचा लिया गया।

दरअसल, अलेप्पो शहर के पूर्वी छोर में सीरिया के विद्रोही गुट का असर ज्यादा है जिसे अलकायदा और उसका साथ देने वाले तमाम आतंकी संगठनों का समर्थन हासिल है। इसी गुट के इलाके पर बीती रात राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करने वाले रूसी सेना के जंगी जहाजों ने जब तबाही की बमबारी की तो जो मंजर सामने आया उसे देखकर समूची दुनिया कांप उठी।

हालांकि किसी भी जंग के मैदान से ऐसी तस्वीरों का सामने आना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन जब बात एक जिंदगी को बचाने की हो तो वो हर बात से बड़ी और जरूरी हो जाती है। अलेप्पो में ये हाल यहां विद्रोहियों के साथ चल रही जंग की वजह से है। जो यहां से करीब 216 किलोमीटर दूर रक्का में सीरियाई सेना इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को पूरी तरह से खदेड़ने के अब और भी ज्यादा क़रीब पहुंच गई है।

दुनिया भर में अपने नाम की पताका फहराने को बेताब बग़दादी और उसके आतंकियों ने जब सीरिया के रक्का शहर पर कब्जा किया था तो इसे ही अपने इस्लामिक स्टेट का मुख्यालय घोषित कर दिया था। तकरीबन चार साल से आईएसआईएस के कब्जे में रहने के बाद अब सीरियाई और गठबंधन सेना इस शहर के इतने नजदीक तक पहुंच सकी है।

इस इलाके को आतंक के साए से आज़ाद कराने को तैयार रूसी लड़ाकू विमान अपने तरकश में मौजूद सबसे खतरनाक मिसाइलें दाग रहे हैं। हमला इतना सटीक है कि पल भर में बड़ी इमारतें भी आग और धुएं के गुबार में बदल जातीं हैं। आगे बढ़ती सेना के बढ़े हुए हौसले और रेतीली जमीन से उखड़ते आईएसआईएस के कदमों की वजह से अब लड़ाई दिन के वक्त भी आसानी से देखी जा सकती है। उधर समंदर पर तैनात जंगी जहाजों पर लड़ाकू विमानों को क्रूज मिसाइलों से पूरी तरह लैस किया जा रहा है।

दरअसर रूस के जंगी जहाज का बेड़ा भूमध्यसागर में तैनात है और वहीं से उसने सीरिया को जंग का मैदान बनाने पर उतारू विद्रोही गुट के साथ साथ बग़दादी के आईएसआईएस पर निशाना साधने की तैयारी की है। खबरों के खुलासे पर यकीन किया जाए तो रूस के इस ताजा हमले ने अल-कायदा से जुड़े एक आतंकी समूह को निशाना बनाया। जिसे अब फतह अल-शाम फ्रंट के नाम से जाना जाता है। रूस की खुफिया एजेंसियों की खबरों को मान लिया जाए तो इस हमले ने सीरिया में विद्रोही गुट को करारी चोट पहुंचाई है और अल कायदा के तीन बड़े कमांडर मोहम्मद हलाला, अबु जाबिर हरमुजा और अबुल बहा अल-असफरी मारे गए हैं।

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