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समान आरक्षण पर वोटिंग कराने से सरकार की किरकिरी, राज्यसभा में गिरा प्राइवेट मेंबर प्रस्ताव

मॉनसून सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को प्राइवेट मेंबर कामकाज का दिन था और इसी कड़ी में सपा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद की ओर से लाए देशभर में समान आरक्षण व्यवस्था लागू करने से जुड़ा एक प्राइवेट मेंबर प्रस्ताव लाया गया. दिलचस्प बात यह रही कि इस प्रस्ताव पर नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश ने वोटिंग करा दी, जिससे सदन के भीतर सरकार की किरकिरी हो गई.

वोटिंग में इस प्रस्ताव पर 98 सदस्यों ने वोट किया जिसके समर्थन में 32 और विरोध में 66 वोट पड़े. प्रस्ताव तो गिर गया लेकिन सदन में सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने दलित विरोधी होने की नारेबाजी की. बता दें कि आम तौर पर प्राइवेट मेंबर प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराई जाती है, लेकिन नए उपसभापति हरिवंश ने से इस पर वोटिंग करा दी.  

इस प्रस्ताव के गिरने के बाद सदन में मोदी सरकार के खिलाफ दलित विरोधी होने के नारे लगाए गए. विपक्षी सांसदों की नारेबाजी को देखते हुए उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को यहां तक कहना पड़ा कि यह नारेबाजी की जगह नहीं है. यहां पर बहस और चर्चा होती है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने भी वोटिंग कराने को लेकर आसन के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की.

इस प्रस्ताव में पूरे देश में एक समान आरक्षण व्यवस्था लागू करने की बात कही गई थी. दरअसल, सत्ता पक्ष के सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया. अगर सत्ता पक्ष के सांसदों का समर्थन मिल जाता, तो यह प्रस्ताव राज्यसभा में पारित हो जाता है.

इस प्रस्ताव को दलितों और पिछड़ों के हित में माना जा रहा था. हालांकि केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि इस संकल्प पर कभी वोटिंग नहीं हुई, लेकिन आज नई परंपरा डाली जा रही है. उपसभापति हरिवंश ने कहा कि एक बार कहने के बाद वोटिंग करानी ही पड़ती है, उसे वापस लेने का कोई नियम नहीं है.

इसके बाद विपक्षी दलों के सांसदों के हंगामे के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अच्छा होता कि अगर ये सभी सांसद तीन तलाक बिल पर सरकार के साथ खड़े होते. 

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