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किडनी के इलाज में आयुर्वेद का लोहा अमेरिका ने भी माना

नई दिल्ली। à¤•à¤¿à¤¡à¤¨à¥€ की बीमारी के इलाज में आयुर्वेद का लोहा अब अमेरिका भी मानने लगा है। अमेरिकी जर्नल में हाल ही में प्रकाशित लेख के अनुसार पौष्टिक भोजन और आयुर्वेदिक दवाओं के इस्तेमाल से किडनी की बीमारी को न सिर्फ बढ़ने से रोका जा सकता है, बल्कि खराब हो चुकी कोशिकाओं को स्वस्थ्य भी किया जा सकता है। ध्यान देने की बात है कि एलोपैथी चिकित्सा में किडनी बदलने या डायलिसिस के अलावा बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं है।

जर्नल ऑफ दि एकेडमी ऑफ न्यूट्रीशियन एंड डाइटिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार किडनी की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए घरेलू नुस्खे के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी कारगर होती हैं। इसके अनुसार अदरक, प्याज, लहसुन के सेवन को किडनी के लिए फायदेमंद पाया गया है।

किडनी पर नए शोध के बाद अमेरिका में आयुर्वेदिक दवाओं का नया बाजार खुल सकता है। भारत में निर्मित नीरी केएफटी नाम की दवा किडनी के इलाज में काफी सफल साबित हो रही है। नीरी केएफटी को लंबे शोध के बाद तैयार किया गया है। इसमें पुनर्नवा का इस्तेमाल किया गया है, जो किडनी की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को फिर से पुनर्जीवित करती है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च ने नीरी केएफटी पर अलग से शोध प्रकाशित किया है। इसके अनुसार नीरी केएफटी के सेवन से सीरम क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड तथा इलेक्ट्रोलेट्स के स्तर में काफी सुधार पाया गया।शोध में आयुर्वेद की दवाओं के साथ-साथ खान-पान को भी किडनी के इलाज के लिए अहम बताया गया है। इसके अनुसार पौष्टिक आहार से किडनी की बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।

शोध में किडनी की बीमारी से ग्र्रसित रोगियों को आहार विशेषज्ञ से भी सलाह लेना जरूरी बताया गया है। शोध से जुड़े लोयोला यूनिवर्सिटी, शिकागो के डॉ. होली क्रमेर के अनुसार ज्यादातर मरीजों को पता नहीं होता कि बीमारी को बढ़ने से रोकने में भोजन की क्या भूमिका है। इसीलिए नेशनल किडनी फाउंडेशन एंड दि एकेडमी ऑफ न्यूट्रीशियन डाइटिक्स ने ऐसे मरीजों के लिए मेडिकल न्यूट्रीशियन थैरेपी की सिफारिश की है।

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