राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¥€à¤° दà¥à¤°à¥à¤—ादास ने हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की पताका सदैव ऊपर रखी – पवैया
गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° । दà¥à¤°à¥à¤—ादास राठौर अगर औरंगजेब की सलà¥à¤¤à¤¨à¤¤ के सामने सर à¤à¥à¤•à¤¾ देते तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिंहासन मिल सकता था, लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लिये सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ से कोई समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ नहीं किया। इसलिये वे à¤à¤• योदà¥à¤§à¤¾ सैनिक होकर à¤à¥€ हमारे दिलों पर राज करते हैं।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¥€à¤° दà¥à¤°à¥à¤—ादास राठौर जयनà¥à¤¤à¥€ महोतà¥à¤¸à¤µ बिरलानगर चौक के मंच से मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि के तौर पर सà¤à¤¾ को संबोधित करते हà¥à¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ मंतà¥à¤°à¥€ जयà¤à¤¾à¤¨ सिंह पवैया ने यà¥à¤µà¤¾à¤“ं से आवà¥à¤¹à¤¾à¤¨ किया कि वे जमाने के साथ रोजगार के तौर-तरीके तो बदलें लेकिन देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और शौरà¥à¤¯ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को अपने à¤à¥€à¤¤à¤° संजोकर रखें। इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपने लिये मांगने वाले की कà¤à¥€ पूजा नहीं होती, पूजा होती है उन वीर-वैरागियों की जो समाज के लिये कà¥à¤› देते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राठौर समाज की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि इस समाज ने समय के साथ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¥€ किया है और पà¥à¤°à¤—ति की राह पर शांतिपूरà¥à¤µà¤• चल रहा है।
इस अवसर पर कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® संचालक धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° राठौर, आयोजन समिति के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· जयसिंह राठौर, पारà¥à¤·à¤¦ सीमा राठौर à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ के जिला मंतà¥à¤°à¥€ गजेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह राठौर राकेश खà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾, मणà¥à¤¡à¤² अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· दारासिंह सेंगर, ओमपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शेखावत सहित बडी संखà¥à¤¯à¤¾ में समाज के गणमानà¥à¤¯ नागरिक उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।