धारà¥à¤®à¤¿à¤• ही नहीं, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• à¤à¥€ है गणेश उतà¥à¤¸à¤µ
हर चंदà¥à¤° महीने में हिंदू कैलेंडर में 2 चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ तिथि होती है, हिंदू शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ तिथि à¤à¤—वान गणेश से संबंधित होती है। शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· के दौरान अमावसà¥à¤¯à¤¾ या नठचांद के बाद चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ को विनायक चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ के रूप में जाना जाता है और कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· के दौरान à¤à¤• पूरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤¸à¥€ या पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के बाद की चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ को संकषà¥à¤ चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ कहा जाता है।शà¥à¤°à¥€ गणेश उतà¥à¤¸à¤µ १३ सितमà¥à¤¬à¤° से शà¥à¤°à¥‚ हो रहा है .
यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ विनायक चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ उपवास हर महीने किया जाता है, लेकिन सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विनायक चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ के महीने में होती है। à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ के दौरान विनायक चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€, गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ के रूप में मनाई जाती है, गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ का तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ में आता है। चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤¾ होता है।à¤à¤¾à¤¦à¥Œ माह में कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ को गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ मनाई जाती है, जबकि विनायक चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ हर महीने मनाई जाती है। à¤à¤¾à¤¦à¥Œ की गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ से 10 दिन का उनà¥à¤¸à¤µ शà¥à¤°à¥‚ होता है।à¤à¤• बार माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठजाती हैं, तव वे अपने शरीर के मेल को इकटà¥à¤ ा कर à¤à¤• पà¥à¤¤à¤²à¤¾ बनाती हैं और उसमें जान डालकर à¤à¤• बालक को जनà¥à¤® देती हैं। सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठजाने से पूरà¥à¤µ माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ बालक को कारà¥à¤¯ सौंपती हैं कि वे कà¥à¤‚ड के à¤à¥€à¤¤à¤° नहाने जा रही हैं, अत: वे किसी को à¤à¥€ à¤à¥€à¤¤à¤° न आने दे।
उनके जाते ही बालक पहरेदारी के लिठखड़ा हो जाता हैं, कà¥à¤› देर बाद à¤à¤—वान शिव वहां आते हैं और अंदर जाने लगते हैं, तव वह बालक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रोकता है। इससे à¤à¤—वान कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो उठते हैं और अपने तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥à¤² से बालक का सिर काट देते हैं।
जैसे ही माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤‚ड से बाहर निकलती हैं अपने पà¥à¤¤à¥à¤° के कटे सिर को देखकर विलाप करने लगती हैं, कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ होकर पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड को हिला देती हैं, सà¤à¥€ देवता और नारायण सहित बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ वहां आकर माता-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं, पर वे नहीं सà¥à¤¨à¤¤à¥€ हैं।
तब बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ शिव वाहक का आदेश देते हैं कि पृथà¥à¤µà¥€ लोक में जाकर सबसे पहले दिखने वाले किसी à¤à¥€ जीव बचà¥à¤šà¥‡ का मसà¥à¤¤à¤• काटकर ले आओ, जिसकी माता उसकी तरफ पीठकरके सोई हो।
नंदी खोज में निकलते हैं, तब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• हाथी दिखाई देता हैं जिसकी माता उसकी तरफ पीठकरके सोई होती हैं। नंदी उसका सिर काटकर लाते हैं और वही सिर बालक पर जोड़कर उसे पà¥à¤¨: जीवित किया जाता हैं, इसके बाद à¤à¤—वान शिव उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने सà¤à¥€ गणों के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ होने का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देकर उनका नाम गणपति रखते हैं।
अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ à¤à¤—वान और देवता गणेश को अगà¥à¤°à¤£à¥€ देवता अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ देवताओं में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ होने का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देते हैं, तब से ही किसी à¤à¥€ पूजा के पहले à¤à¤—वान गणेश की पूजा की जाती हैं।
à¤à¤• अनà¥à¤¯ कथा जो कि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¥ˆà¤µà¤°à¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शनिदेव शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ को पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की खबर सà¥à¤¨à¤•à¤° उनके घर आà¤à¥¤ वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना सिर नीचे की ओर à¤à¥à¤•à¤¾ रखा था। यह देखकर पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने उनसे सवाल किया कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आप मेरे बालक को नहीं देख रहे हैं?
यह सà¥à¤¨à¤•à¤° शनिदेव बोले, 'माते! मैं आपके सामने कà¥à¤› कहने लायक नहीं हूं लेकिन यह सब करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कारण है। मैं बचपन से ही शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का à¤à¤•à¥à¤¤ था। मेरे पिता चितà¥à¤°à¤°à¤¥ ने मेरा विवाह कर दिया, वह सती-साधà¥à¤µà¥€ नारी छाया बहà¥à¤¤ तेजसà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€, हमेशा तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन रहने वाली थी। à¤à¤• दिन वह ऋतॠसà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद मेरे पास आई।
उस समय मैं धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर रहा था। मà¥à¤à¥‡ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं था। उसने अपना ऋतà¥à¤•à¤¾à¤² असफल जानकर मà¥à¤à¥‡ शाप दे दिया। तà¥à¤® अब जिसकी तरफ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ करोगे वह नषà¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤—ा इसलिठमैं हिंसा और अनिषà¥à¤Ÿ के डर से आपके और बालक की तरफ नहीं देख रहा हूं।
यह सà¥à¤¨à¤•à¤° माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के मन में कौतूहल हà¥à¤†, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शनिदेव से कहा कि आप मेरे बालक की तरफ देखिà¤à¥¤ वैसे à¤à¥€ करà¥à¤®à¤«à¤² के à¤à¥‹à¤— को कौन बदल सकता है।
तब शनि ने बालक के सà¥à¤‚दर मà¥à¤– की तरफ देखा और उसी शनिदृषà¥à¤Ÿà¤¿ से उस बालक का मसà¥à¤¤à¤• आगे जाकर उसके शरीर से अलग हो गया। माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ विलाप करने लगीं। यह देखकर वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ देवता, देवियां, गंधरà¥à¤µ और शिव आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•à¤¿à¤¤ रह गà¤à¥¤
देवताओं की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पर शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ गरà¥à¥œ पर सवार होकर उतà¥à¤¤à¤° दिशा की ओर गठऔर वहां से à¤à¤• हाथी (गज) का सिर लेकर आà¤à¥¤ सिर बालक के धड़ पर रखकर उसे जोड़ दिया। तब से à¤à¤—वान गणेश गजमà¥à¤– हो गà¤à¥¤
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¥ˆà¤µà¤°à¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£ के ही अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• बार नारद जी ने शà¥à¤°à¥€ नारायण से पूछा कि पà¥à¤°à¤à¥ आप बहà¥à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हैं और सà¤à¥€ वेदों को जानने वाले हैं।
मैं आप से यह जानना चाहता हूं कि जो à¤à¤—वान शंकर सà¤à¥€ परेशानियों को दूर करने वाले माने जाते हैं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अपने पà¥à¤¤à¥à¤° गणेश के मसà¥à¤¤à¤• को काट दिया। पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के अंश से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨à¤¾ हà¥à¤ पà¥à¤¤à¥à¤° का सिरà¥à¤« à¤à¤• गà¥à¤°à¤¹ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ के कारण मसà¥à¤¤à¤• कट जाना बहà¥à¤¤ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात है।
शà¥à¤°à¥€ नारायण ने कहा -'नारद à¤à¤• समय की बात है। à¤à¤—वान शंकर ने माली और सà¥à¤®à¤¾à¤²à¥€ को मारने वाले सूरà¥à¤¯ पर तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° किया। सूरà¥à¤¯ à¤à¥€ शिव के समान तेजसà¥à¤µà¥€ और शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ थे इसलिठतà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल की चोट से सूरà¥à¤¯ की चेतना नषà¥à¤Ÿ हà¥à¤ˆà¥¤
जब कशà¥à¤¯à¤ª जी ने देखा कि मेरा पà¥à¤¤à¥à¤° मरने की अवसà¥à¤¥à¤¾ में है। तब वह उसे छाती से लगाकर विलाप करने लगे। देवताओं में हाहाकार मच गया। वे सà¤à¥€ à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ होकर जोर-जोर से रà¥à¤¦à¤¨ करने लगे। सारे जगत में अंधेरा हो गया।
तब बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ के पौतà¥à¤° तपसà¥à¤µà¥€ कशà¥à¤¯à¤ª जी ने शिव जी को शाप दिया, -'जैसा आज तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° के कारण मेरे पà¥à¤¤à¥à¤° का हाल हो रहा है, ठीक वैसे ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पà¥à¤¤à¥à¤° पर à¤à¥€ होगा। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पà¥à¤¤à¥à¤° का मसà¥à¤¤à¤• कट जाà¤à¤—ा।
तब तक à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ का कà¥à¤°à¥‹à¤§ शांत हो चà¥à¤•à¤¾ था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सूरà¥à¤¯ को फिर से जीवित कर दिया। सूरà¥à¤¯ कशà¥à¤¯à¤ª जी के सामने खड़े हो गà¤à¥¤ जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कशà¥à¤¯à¤ª जी के शाप के बारे में पता चला तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¤à¥€ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। à¤à¤—वान बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ सूरà¥à¤¯ के पास पहà¥à¤‚चे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके काम पर नियà¥à¤•à¥à¤¤ किया। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, शिव और कशà¥à¤¯à¤ª आनंद से सूरà¥à¤¯ को आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देकर अपने-अपने à¤à¤µà¤¨ चले गà¤à¥¤
संकटहरà¥à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं गणेश
à¤à¤• बार पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड में संकट छा गया था। तब सà¤à¥€ à¤à¤—वान शिव के पास पहà¥à¤‚चे और उनसे इस समसà¥à¤¯à¤¾ का निवारण करने के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। उस समय कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯ और गणेश वहीं मौजूद थे। तब पारà¥à¤µà¤¤à¥€ ने शिव से कहा हे à¤à¥‹à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ आपको इस दोनों बालकों में से इस कारà¥à¤¯ को करने के लिठà¤à¤• बालक का चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करना चाहिà¤à¥¤
तब शिव ने गणेश और कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯ को बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° कहा तà¥à¤® दोनों में से जो सबसे इस पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड का चकà¥à¤•à¤° लगाकर आà¤à¤—ा मैं उसी को सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के दà¥à¤– हरने का कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° दूंगा। इतना सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯ अपने वाहन मोर पर सवार होकर चले गà¤, लेकिन गणपति वहीं बैठे रहे, थोड़ी देर बाद उटे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने माता-पिता की à¤à¤• परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की और वापस अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठघअ।
कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯ जब अपनी परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पूरी करके आठतब à¤à¤—वान शिव ने गणेश से वहीं बैठे रहने का कारण पूछा तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उतà¥à¤¤à¤° दिया माता-पिता के चरणों में ही समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड बसा हà¥à¤†à¤¹à¥ˆà¤‚, अत: उनकी परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ से ही यह कारà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ हो जाता हैं जो मैं कर चà¥à¤•à¤¾ हूं। उनका यह उतà¥à¤¤à¤° सà¥à¤¨à¤•à¤° शिव जी बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¾ हà¥à¤ और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गणेशजी को संकट हरने का काम सौंपा।
पूजा विधि
1. à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ की गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ में सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® पंचांग में मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ देखकर गणेशजी की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करें।
2. ईशान कोण में साफ जगह चौक पूरे।
3. उस पर पाटा या चौकी रखकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाà¤à¤‚।
4. गणपति जीको जल चà¥à¤¾à¤•à¤° वसà¥à¤¤à¥à¤° पहनाà¤à¤‚। कà¥à¤®à¤•à¥à¤® और चावल चà¥à¤¾à¤•à¤° पà¥à¤·à¥à¤ª चà¥à¤¾à¤à¤‚।
5. दूरà¥à¤µà¤¾ चà¥à¤¾à¤à¤‚।
6. à¤à¥‹à¤— लगाà¤à¤‚। गणपतिजी को मोदक का à¤à¥‹à¤— पà¥à¤°à¤¿à¤¯ कहा जाता है।
7. आरती करें और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ वितरित करें।