नोटबंदी : अब इस नई मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ का डर फैला रहा टेंशन, 1 दिसंबर से शà¥à¤°à¥‚ ना हो जाठये संकट?
इस समय नोटबंदी को लेकर सारा आरà¥à¤¥à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मीडिया के कोने-कोने से à¤à¤° रहा है और आम आदमी की आंखों, कानों में घà¥à¤² रहा है, लेकिन नोटबंदी के 15 दिनाें में बैंकों, à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® की लाइन में थककर चूर होने वाले गरीब और आम आदमी को अब इस बात की फिकà¥à¤° है कि कहीं नोटबंदी उसकी सैलरी के आड़े तो नहीं आà¤à¤—ी?
दरअसल, केंदà¥à¤° सरकार के नोटबंदी के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• फैसले के लागू होने के बीच यह अहम सवाल सामने है कि दिसंबर के पहले हफ़à¥à¤¤à¥‡ में जब नौकरीपेशा लोगों के बैंक खाते में तनखà¥à¤µà¤¾à¤¹ आà¤à¤—ी, तो कà¥à¤¯à¤¾ वो उसे निकाल पाà¤à¤‚गे? और कà¥à¤¯à¤¾ कंपनियों, कारखानों और छोटे, लघॠà¤à¤µà¤‚ मंà¤à¥‹à¤²à¥‡ उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों के पास सैलरी देने लायक कैश होगा? तमाम तरह के सरà¥à¤µà¥‡ में तो देश की जनता नोटबंदी के सरकार के फ़ैसले के साथ साफ़ खड़ी दिखाई दे रही है, लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ दिसंबर का पहला हफ़à¥à¤¤à¤¾ गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡-गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ à¤à¥€ लोग सरकार के साथ खड़े रहेंगे?
दरअसल, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वरà¥à¤•à¤«à¥‹à¤°à¥à¤¸, यानी वो लोग जो कामकाजी हैं, उनकी संखà¥à¤¯à¤¾ 47 करोड़ से कà¥à¤› ऊपर है। इसमें से करीब 8 करोड़ लोग ऑरà¥à¤—ेनाइज़à¥à¤¡ सेकà¥à¤Ÿà¤° यानी संगठित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कामकाज करते हैं। ये वो लोग हैं, जिनकी नौकरी पकà¥à¤•à¥€ कही जाती है और जिनकी सैलरी व काम नियमबदà¥à¤§ हैं। जैसे कि पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ और सरकारी कंपनियों तथा संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में कामकरने वाले लोग।
वहीं दूसरी ओर है अनऑरà¥à¤—ेनाइज़à¥à¤¡ सेकà¥à¤Ÿà¤°, यानी असंगठित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में करीब 38 करोड़ लोगों को रोज़गार मिलता है। हालांकि असंगठित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में काम की मियाद और वेतन दोनों ही नियमबदà¥à¤§ नहीं हैं। मसलन छोटी फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ या फिर दिहाड़ी पर काम करनेवाले शà¥à¤°à¤®à¤œà¥€à¤µà¥€à¥¤ दोनों पर नोटबंदी का असर पड़ा है, लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ 1 दिसंबर को इनकी सैलरी पर à¤à¥€ नोटबंदी का असर होगा, तो जवाब है, नहीं।
संगठित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में काम करने वाले लोगों की सैलरी तो उनके बैंक खाते में जमा हो जाà¤à¤—ी। नोटबंदी से उनकी सैलरी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बंद होगी? वहीं असंगठित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में काम कर रहे शà¥à¤°à¤®à¤œà¥€à¤µà¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को मिलनेवाले रोज़गार पर इसका असर पड़ा है। हालांकि जिसे काम मिलेगा उसे मेहनताना à¤à¥€ मिलेगा, जिन लोगों के पास à¤à¥€ बैंक खाते हैं, उनका मेहनताना या सैलरी चेक से सीधे टà¥à¤°à¤¾à¤‚सफर की जा सकती है, लेकिन जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कैश देने के लिठछोटे उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों को नकद का इंतज़ाम करना होगा। हालांकि कई जगहों पर तो फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ मालिकों ने नौकरों को पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ करंसी में à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स सैलरी दे रखी है, लेकिन जिन उदà¥à¤¯à¥‹à¤‚गों को बैंक से कैश निकालना है, वो नोटबंदी के दूसरे हफà¥à¤¤à¥‡ से ही कैश निकाल रहे हैं।
इधर, छोटे उदà¥à¤¯à¥‹à¤—, जिनके पास करंट à¤à¤•à¤¾à¤‰à¤‚ट है, वो à¤à¤• महीने में करीब 2 लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ या 50 हज़ार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ निकाल सकते हैं, वहीं नौकरीपेशा लोग या आम लोग अपने सैलरी अकाउंट या बचत खाते से हर हफà¥à¤¤à¥‡ 24 हज़ार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ निकाल सकते हैं, यानी महीने à¤à¤° में करीब 2 लाख 20 हज़ार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡à¥¤ शरà¥à¤¤ बस इतनी है कि ये पैसा आप सिरà¥à¤« चेक के ज़रिठनिकाल सकते हैं, तो यदि आपके पास चेकबà¥à¤• नहीं है, तो बैंक जाकर ले लीजिà¤à¥¤ वैसे सरकार और बैंकों को विडà¥à¤°à¥‰à¤² सà¥à¤²à¥€à¤ª के ज़रिठà¤à¥€ पैसे निकालने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ बढ़ानी चाहिà¤, ताकि छोटे खाता धारक जिनके पास चेकबà¥à¤• नहीं है और जो अब तक सिरà¥à¤« à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ थे, वो à¤à¥€ अपनी सैलरी दिसंबर के पहले हफà¥à¤¤à¥‡ बैक जाकर निकाल सकें।
अब सवाल यह कि कà¥à¤¯à¤¾ बैंक दिसंबर के पहले हफà¥à¤¤à¥‡ में लगने वाली à¤à¥€à¤¡à¤¼ का सामना करने को तैयार हैं। लोग तो आज à¤à¥€ बैंकों के बाहर कतार में खड़े हैं और कई जगहों पर तो अपना ही पैसा निकालने के लिठपà¥à¤²à¤¿à¤¸ के लाठी डंडे खा रहे हैं। फिर 1 दिसंबर को बैंकों के बाहर कौन का कोलाहल होगा? इस सवाल का जवाब à¤à¥€ इसी में है। पहली बात तो बैंक à¤à¤• हà¥à¤«à¥à¤¤à¥‡ पहले तक करीब 33 हज़ार करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ नोट बदल चà¥à¤•à¥‡ हैं और करीब 10316 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लोगों ने अपने बैंक अकाउंटà¥à¤¸ से à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® या बैंक शाखाओं से निकाले हैं। अंदाज़ा लगाया जाà¤, तो बीते à¤à¤• हफà¥à¤¤à¥‡ में कम से कम इतना ही और रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ जनता के पास नगद के रà¥à¤ª में जा चà¥à¤•à¤¾ है। अब इनमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग डर के मारे ही सही अगले 2 महीनों की कामà¤à¤° नगदी अपनी अंटी में रख चà¥à¤•à¥‡ हैं।
बैंकों के दावे को अगर सच मानें, तो देशà¤à¤° में फैले कà¥à¤² 2 लाख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® में से करीब 70 हज़ार à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® नठनोट बाहर निकालने के काबिल हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। करीब 2000 इंजिनियरà¥à¤¸ रोज़ाना 10000 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® का रिकैलिबिरेशन कर रहे हैं। हालांकि यह काम सिरà¥à¤« रात में हो पा रहा है, जबकि सरकार ने बैंकों को रोज़ 12000 à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® को रिकैलिबिरेट करने की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ दी है। यानी, सबकà¥à¤› ठीक रहा तो दिसंबर के पहले हफà¥à¤¤à¥‡ तक 1,70,000 à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® नई करंसी देने के काबिल हो जाà¤à¤‚गे। यदि à¤à¤¸à¤¾ हो पाया तो सरकार à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® से निकाली जानेवाली राशि को 2000 से बढ़ाकर 5000 तक कर सकती है।
इस तरह सरकार को उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है कि शहरों में सैलरी निकालने का संकट नहीं आà¤à¤—ा, मगर अब उसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इलाकों पर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वहां कैश की जरूरत जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। शहरों की काफी आबादी डेबिट-कà¥à¤°à¥‡à¤¡à¤¿à¤Ÿ कारà¥à¤¡ के ज़रिठà¤à¥€ खरीदारी कर रही है। पेटीà¤à¤® जैसे à¤à¥à¤—तान के डिजिटल माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ की कई सौ गà¥à¤¨à¤¾ बढ़ी है। जबकि बिग-बाज़ार और पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पंपà¥à¤¸ पर कारà¥à¤¡ सà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤ª करके कैश देने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ से à¤à¥€ जनता को काफ़ी राहत मिलने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यही रहेगा कि कà¥à¤¯à¤¾ बैंकों के पास इतना नगद आ पाà¤à¤—ा कि लोग वहां से ख़ाली हाथ ना लौटें।