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हिंदुत्व का विचार संघ ने नहीं खोजा, यह RSS से भी पुराना: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दिल्ली में 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' नामक तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ और हिंदुत्व के रिश्ते पर अपनी बात रख रहे हैं.

विज्ञान भवन में हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, प्रकाश जावड़ेकर, जितेंद्र सिंह, राम माधव, दलबीर सिंह सुहाग, विजय गोयल, केसी त्यागी, सुब्रमण्यम स्वामी, उमा भारती, आरके सिंह, अमर सिंह आदि राजनेता शामिल हुए.

हिंदुत्व देश का प्राचीन विचार

हिंदुत्व का विचार संघ ने नहीं खोजा, यह पहले से चलता आया है. दुनिया सुख की खोज बाहर कर रही थी, हमने अपने अंदर की. वहीं से हमारे पूर्वजों को अस्तित्व की एकता का मंत्र मिला. विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस से पूछा था कि क्या आपने भगवान को देखा है, इस पर परमहंस ने कहा कि रोज देखता हूं और मेरी सुनोगे तो तुम भी देख सकोगे. बहुत लोग आज भी हिंदुत्व नहीं सनातन धर्म कहते हैं. नौवीं सदी में हिंदू शब्द हमारे ग्रंथों में आया. लोकभाषा में विदेशी विचारकों के आगमन के साथ हिंदू शब्द आया. पहले संतों ने इस शब्द को प्रचलित किया.

रिलीजन का अनुवाद धर्म करने से भ्रम

अस्तित्व की एकता, सबके साथ चलना एकसाथ है. व्यक्ति और समाज परस्पर एकसाथ चल सकता है. हम ये कहते हैं तो लोग कहते हैं कि हिंदू विचार को व्यक्त कर रहे हैं. धर्म शब्द को लेकर भी बड़ा भ्रम है. यह शब्द भारतीय भाषाओं में ही मिलता है. रिलीजन का अनुवाद धर्म से करने में गलतफहमी होती है. धर्म शास्त्र हिंदुओं के लिए नहीं हैं, वह मानवजाति के लिए है. हमारे धर्मशास्त्र हिंदू शब्द आने से पहले ही रचे गए. हमने अपने आपको कभी विश्व से अलग नहीं माना. हम तबसे सारी विविधताओं को लेकर एक राष्ट्र और एक समाज को लेकर चल रहे हैं. इसकी व्याख्या पाश्चात्य शब्दों से नहीं की जा सकती है.

हिंदुत्व जकड़ने वाली व्यवस्था नहीं

आंबेडकर ने संसद में हिंदू कोड बिल की चर्चा करने के दौरान कहा था कि आप कोड को धर्म समझ रहे हो, मैं कोड को बदल रहा हूं, मूल्य वही रहेंगे. तब से लेकर आज तक हमारे देवी-देवता बदल गए हैं. हिंदुत्व कभी खाने-पीने के व्यवहार में जकड़ने वाली, खास पूजा, भाषा, प्रांत, प्रदेश पर जोर देने वाली व्यवस्था नहीं रही है. हिंदुत्व भारत में पैदा हुआ, लेकिन बाद में दुनिया भर में फैला. हिंदुत्व मानता है कि सारे मत सही हैं. विविधताएं स्वीकार्य होंगी, उनका सम्मान होगा, क्योंकि हम भारत के पुत्र हैं.

संघ में आना-जाना निशुल्क

मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवक समाज निर्माण के लिए अपनी इच्छानुसार कई कामों को हाथ में लेते हैं. संघ में आना-जाना निशुल्क और ऐच्छिक है और यहां पर शक्ति से कोई काम नहीं लिया जाता है. कोई भी काम कर रहा हो, अगर वह समाज की भलाई के लिए है तो सभी को उसका समर्थन करना चाहिए. इसमें विरोधी या समर्थक को नहीं देखना चाहिए.

 

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