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इंटरकास्ट मैरिज करने वालों में सबसे आगे संघ के स्वयंसेवक: भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रोग्राम का आज आखिरी दिन है. आज मोहन भागवत लोगों के सवालों का उत्तर दे रहे हैं. एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा कि अंतरजातीय विवाह करने वालों में सबसे ज्यादा आरएसएस के लोग हैं.

लोगों को एक स्लिप दी गई थी जिस पर लिखा था कि आप सवाल पूछ सकते हैं और अपना सवाल लिखकर देने का निर्देश दिया गया था.

पहले सवाल के तहत पूछा गया कि क्या हिंदुत्व को हिंदुइजम कहा जा सकता है. इसके जवाब में भागवत ने कहा, हिंदुइजम गलत शब्द है. सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है. सतत चलने वाली प्रक्रिया है. इसलिए हिंदुइजम नहीं कहना चाहिए. हिंदुत्व ही है जो सबके साथ तालमेल का आधार हो सकता है. भारत में रहने वाले लोग हिंदू ही हैं. कुछ लोग हिंदुत्व के बारे जानते हैं लेकिन बोलने में संकोच करते हैं. कुछ लोग नहीं जानते हैं. भारत में कोई परायापन नहीं, परायापन हमने ही बनाया है.

इससे पहले मोहन भागवत ने दो दिनों तक संघ के बारे में बताया कि संघ क्या काम करता है, संघ की विचारधारा क्या है, हिंदुत्व क्या है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली में 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' नामक तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ और हिंदुत्व के रिश्ते पर अपनी बात रखी. विज्ञान भवन में हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, प्रकाश जावडेकर, जितेंद्र सिंह, राम माधव, दलबीर सिंह सुहाग, विजय गोयल, केसी त्यागी, सुब्रमण्यम स्वामी, उमा भारती, आरके सिंह, अमर सिंह आदि राजनेता शामिल हुए.

कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को भागवत ने कहा कि हमारा कोई शत्रु नहीं है, न देश में और न ही विदेश में. हां, हम कई लोगों के शत्रु होंगे और उनसे अपने आपको बचाते हुए उन्हें अपने साथ लेकर चलना ही हिंदुत्व है. हम सबका संतुलित और समन्वय विकास करना चाहते हैं. हमारे यहां कहा गया है कि कमाना मुख्य नहीं है, उसको बांटना मुख्य है. हमारे हिंदुत्व के तीन आधार हैं- देशभक्ति, पूर्व गौरव और संस्कृति.

उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक लोकतंत्र में हमने संविधान को स्वीकार किया. ये हमारे लोगों ने ही बनाया है. संविधान का पालन करना सबसे अहम है, यह संघ हमेशा से मानता है. हमारे देश के मूर्धन्य और विचारवान लोगों ने संविधान बनाया है. उसके एक-एक शब्द का महत्व है. संविधान में नागरिक अधिकार, कर्तव्य और प्रस्तावना सभी कुछ है. सबको इसे मानकर ही चलना चाहिए. संविधान की प्रस्तावना में सोशलिस्ट और सेक्युलर बाद में आया सबको पता है, लेकिन अब ये है. अगर हमने अंबेडकर का कहा बंधुभाव उत्पन्न नहीं किए तो हमें कौन से दिन देखने पड़ेंगे, यह बताने की जरूरत नहीं. हिंदुत्व ही बंधुभाव लाने की कोशिश करता है.

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