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कश्मीर से लेकर राम मंदिर तक, इन 10 बड़े मुद्दों पर भागवत ने रखी संघ की राय

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के तीन दिवसीय 'भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 25 विषयों से संबंधित पूछे गए 215 सवालों में से कई सवालों का जवाब दिया. इनमें कई विषय तो संघ के पसंदीदा रहे तो कई अनचाहे विषयों पर भागवत ने खुलकर जवाब दिए.

नजर डालते हैं भागवत की इन 10 बड़े मुद्दों पर राय

1. Hinduism गलत शब्द

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व, Hinduness, Hinduism गलत शब्द हैं, इस्म (ism) एक बंद चीज मानी जाती है, यह कोई इस्म नहीं है. सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है. सतत चलने वाली प्रक्रिया है. इसलिए हिंदुइज्म नहीं कहना चाहिए. हिंदुत्व ही है जो सबके साथ तालमेल का आधार हो सकता है. भारत में रहने वाले लोग हिंदू ही हैं. कुछ लोग हिंदुत्व के बारे जानते हैं, लेकिन बोलने में संकोच करते हैं. कुछ लोग नहीं जानते हैं. भारत में कोई परायापन नहीं, परायापन हमने ही बनाया है. यह एक प्रक्रिया है जो चलती रहती है. गांधी जी ने कहा था कि सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है, एस राधाकृष्णन का कथन है कि हिंदुत्व एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है.

2. गोरक्षा हिंसा और मॉब लिंचिंग

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि गोरक्षा में जुड़े लोगों को मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं है. किसी प्रश्न पर हिंसा करना अपराध है और उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए परंतु गाय परंपरागत श्रद्धा का विषय है. अपने देश में अर्थायाम का आधार गाय बन सकती है. गौरक्षा होनी चाहिए. संविधान का यह मार्गदर्शक तत्व भी है. गाय को रखना जरूरी है. खुला छोड़ देंगे तो घटनाएं होंगी. गौरक्षा के कार्य को प्रोत्साहन मिलना चाहिए. गौ तस्करों के हमले पर आवाज नहीं उठाई जाती. यह दोगली प्रवृति हमें छोड़नी चाहिए.

3. धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए पर हमारे विचार सर्वोपरि हैं. हम उनको नहीं मानते, यानी वो दोनों नहीं रहना चाहिए, ये हमारा मत है.

4. राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि राम मंदिर पर अध्यादेश का मामला सरकार के पास है और आयोजन का मामला रामजन्म भूमि मुक्ति संघर्ष समिति के पास है और दोनों में मैं नहीं हूं. आंदोलन में क्या करना है, इसे उच्चाधिकार समिति को तय करना है. अगर वह सलाह मांगेगी तो मैं बताऊंगा. मैं संघ के नाते चाहता हूं कि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर जल्द बनना चाहिए. भगवान राम अपने देश के बहुसंख्य लोगों के लिए भगवान हैं लेकिन वे केवल भगवान नहीं हैं. उनको लोग इमाम-ए-हिंद मानते हैं. इसलिए जहां राम जन्मभूमि है वहां मंदिर बनना चाहिए.

5. संस्कृत का महत्व
भागवत ने कहा कि संस्कृत को हम महत्व नहीं देते, इसलिए सरकार भी नहीं देती, यदि हमारा आग्रह रहे कि अपनी परंपरा का सारा साहित्य संस्कृत में है, इसलिए हम संस्कृत सीखें, यदि यह हमारा मानस बने तो अपनी विरासत का अध्ययन भी ठीक से हो सकेगा. भागवत ने कहा कि अपनी परंपरा के मुताबिक नई शिक्षा नीति बनानी चाहिए. नई शिक्षा नीति आने वाली है, उम्मीद है उसमें हमारी परंपरा समाहित होगी. ग्रंथों का अध्ययन शिक्षा में अनिवार्य है, ऐसा संघ का मत है.

6. भाषा से शत्रुता नहीं

भागवत बोले कि अंग्रेजी हमारे मन में है, नीति नियामक में नहीं. मातृभाषाओं को सम्मान देना शुरू करें. अपनी भाषा का पूरा ज्ञान हो. किसी भाषा से शत्रुता नहीं करनी चाहिए. अंग्रेजी हटाओ नहीं, यथास्थान रखो. देश की उन्नति के नाते हमारी राष्ट्रभाषा को स्थान मिले, यह जरूरी है. हिंदी में काम करना पड़ता है इसलिए अन्य प्रांतों के लोग हिंदी सीखते हैं, हिंदी बोलने वालों को भी दूसरे प्रांत की एक भाषा को सीखना चाहिए, इससे मन मिलाप जल्दी होगा, और यह कार्य जल्दी हो जाएगा.

7. अतंरजातीय विवाह का समर्थन

भागवत ने कहा कि हम अंतरजातीय विवाह का समर्थन करते हैं. मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए. भारत में संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह किए हैं. समाज को अभेद दृष्टि से देखना जरूरी है. इससे हिंदू समाज नहीं बंटेगा. इसलिए हम सभी हिंदुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं.

8. आरक्षण का समर्थन

भागवत ने कहा कि सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए संविधान में जहां जितना आरक्षण दिया गया है, संघ का उसका समर्थन रहेगा. आरक्षण कब तक चलेगा इसका निर्णय वही करेंगे जिनके लिए आरक्षण तय किया गया है. सामाजिक विषमता हटाकर सबके लिए बराबरी हो इसलिए संविधान में प्रावधान किया गया है. इसलिए संविधान प्रदत्त सभी आरक्षणों को संघ का पूरा समर्थन है और रहेगा. आरक्षण समस्या नहीं, आरक्षण पर जारी राजनीति समस्या है.

9. सरसंघचालक का चुनाव

मोहन भागवत ने कहा, 'संघ में सरसंघचालक का चुनाव नहीं होता. मैं कब तक रहूंगा यह मैं तय करूंगा. मेरे बाद सरसंघचालक कौन होगा यह भी मैं तय करुंगा, लेकिन संघ के सारे अधिकार संघ के सह कार्यवाह के पास होते हैं और जो सह कार्यवाह कहेंगे वो मुझे करना अनिवार्य हैं. 3 साल के अंतराल पर सह कार्यवाह का चुनाव होता है.

10. समलैंगिकता

समाज में कुछ लोगों में (समलैंगिकता) है. ऐसे लोग समाज के अंदर ही हैं इसलिए उनकी व्यवस्था समाज को करनी चाहिए. मुद्दा बनाकर हो हल्ला करने से फायदा नहीं. समाज बहुत बदल चुका है इसलिए समाज स्वस्थ रहे ताकि वे (समलैंगिक) अलग-थलग पड़कर गर्त में न गिर जाएं.

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