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जब-जब ब्राह्मण बोला, राजसिंहासन डोला

उज्जैन।  à¤•à¤°à¤£à¥€ सेना के नेतृत्व में राजपूतों का आक्रोश उभरने के बाद शुक्रवार को उज्जैन की धरती पर ब्राह्मण महाकुंभ में आक्रोश का सैलाब उमड़ पड़ा। संतों के तेवर भी तीखे दिखाई दिए। ब्राह्मणों ने कहा काला कानून खत्म होने तक जारी रहेगा विरोध। चारों तरफ भीड़ और सरकार के खिलाफ नाराजी उभर रही थी। भगवा पताकाओं के बीच महाकुंभ में नारा गूंजता रहा जब-जब ब्राह्मण बोला, राजसिंहासन डोला। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भी आक्रोश की खनक गूंजी। बच्चे, महिलाएं और युवाओं में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर विरोध का जज्बा नजर आया।

वक्ताओं ने कहा सरकार को अध्यादेश लाना ही था तो राम मंदिर बनाने के लिए लाते। दशहरा मैदान पर शुक्रवार को ब्राह्मण महाकुंभ हुआ, जिसमें उज्जैन सहित प्रदेश के विभिन्न् स्थानों से लोग उत्साह के साथ शरीक हुए। महाकुंभ के आयोजकों का दावा है दो लाख से अधिक लोग जमा हुए। पुलिस प्रशासन इस आंकड़े को महज 30 हजार ही बता रहा है। सबसे अहम् बात यह थी कि लोग एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ आंदोलित थे। आयोजकों और संतों ने इसे काला कानून बताया और कहा जब तक इसे खत्म नहीं किया जाता, तब तक विरोध इसी तरह जारी रहेगा, बल्कि और बढ़ता जाएगा।

पं. आनंदशंकर व्यास, पं. श्यामनारायण व्यास, सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर व मार्गदर्शक मंडल के अध्यक्ष रमेशचंद्र पंड्या, रामेश्वर दुबे, डॉ. केदारनारायण जोशी, डॉ. केदारनाथ शुक्ल, इंदौर के विष्णुप्रसाद शुक्ला बड़े भैया, चंद्रशेखर वशिष्ठ, डॉ. संतोष पंड्या, एडवोकेट बालकृष्ण उपाध्याय, जियालाल शर्मा, पं. योगेश व्यास, मनीष मनाना। विकास अवस्थी, महाकाल मंदिर के पं. महेश पुजारी, दिनेश त्रिपाठी, मंगलनाथ मंदिर के पुजारी पं. दिप्तेश दुबे, स्वामी मुस्कुराके शैलेंद्र व्यास व अन्य मौजूद थे।

मंच तक भीड़, बना रहा अनुशासन

एट्रोसिटी एक्ट के विरोध का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरा मंच अतिथियों से भरा था। मंच के नीचे भी लोगों की भीड़ जमा थी। यहां तक कि मंच पर चढ़ने के लिए बनाई गई अस्थाई सीढ़ियों पर भी महिलाएं बैठी थीं। वे पूरे आयोजन के दौरान सेल्फी लेती रहीं। पूरे समय अनुशासन बना रहा।

भाजपा-कांग्रेस से जुड़े नेता भी आए

महाकुंभ में ऐसे लोग भी शामिल हुए जो भाजपा और कांग्रेस के पदों पर हैं, लेकिन आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने और एट्रोसिटी एक्ट के वे भी विरोध में हैं। दोनों दलों के नेताओं ने यह दिखाने की पूरी कोशिश की कि वे ब्राह्मणों के साथ हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इसको लेकर पार्टी छोड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। संस्कृति के रंग, वैदिक बैंड ने रचा इतिहास महाकुंभ की शुरुआत में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। युवतियों और महिलाओं ने नृत्य प्रस्तुत किए। शिव तांडव नृत्य पेश करके भी अपनी नाराजी सरकार को बताई गई। 2100 बटुकों ने वैदिक बैंड बजाकर एक नया कीर्तिमान बनाया। पहली बार इसकी प्रस्तुति हुई। इस पर लंदन से आई टीम ने बैंड को विश्व कीर्तिमान का खिताब भी दिया।

रजत फरसे के साथ पहुंचे मंच पर

 

महाकाल मंदिर में गणेश मंदिर के पुजारी पं. भरत गुरु विशाल रजत फरसे के साथ मंच पर आसीन हुए। इस दौरान नारे लगाकर भी युवाओं ने अपना आक्रोश सरकार के खिलाफ जताया। कार्यक्रम में टोलियां नारे लगाते हुए, भगवा ध्वज लहराते हुए सड़कों पर निकली और आयोजन स्थल पहुंची। बोर्ड और विश्वविद्यालय की उठी पुकार महाकुंभ में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड और ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिए अनारक्षित विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। मंदिरों के सरकारीकरण को लेकर भी नाराजी के स्वर उठे तथा मठ-मंदिरों की व्यवस्थाएं पुजारियों को सौंपने की मांग उठाई गई।

संस्कृति के रंग, वैदिक बैंड ने रचा इतिहास

 

महाकुंभ की शुरुआत में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। युवतियों और महिलाओं ने नृत्य प्रस्तुत किए। शिव तांडव नृत्य पेश करके भी अपनी नाराजी सरकार को बताई गई। 2100 बटुकों ने वैदिक बैंड बजाकर एक नया कीर्तिमान बनाया। पहली बार इसकी प्रस्तुति हुई। इस पर लंदन से आई टीम ने बैंड को विश्व कीर्तिमान का खिताब भी दिया।

ब्राह्मणों को भी दिखाया आईना

 

संत पं. नागर ने महाकुंभ में आए सभी ब्राह्मणों को भी आईना दिखाया। कहा कोई प्रधानमंत्री बनता है तो कड़ा-कटार आदि नहीं छोड़ता और हम मामूली से डॉक्टर बन गए तो जनेऊ पहनना क्यों छोड़ दी। चोटी पर ध्यान नहीं और दाढ़ी बढ़ा ली। गायत्री जप और संध्या वंदन करना छोड़ दिया, तिलक नहीं तो ब्रह्मतेज कैसे बढ़ेगा। सुदामा ब्राह्मण गरीब था, लेकिन उसने श्रीकृष्ण से द्वारिका में भी कुछ नहीं मांगा। ब्राह्मण मांगता नहीं।

मंच पर मौजूद अतुलेशानंद सरस्वतीजी (आचार्य शेखर) ने अपने संबोधन में कहा

 

जूते चाटने वाले राजनीतिक लोग हमें भाजपा चाहिए न कांग्रेस, न बसपा। हमें तो समृद्ध भारत चाहिए। दलित शब्द नेताओं ने दिए हैं। पासवान करोड़ों-अरबों का मालिक है, उसे आरक्षण छोड़ना चाहिए। 16 को माईकेलाल आए थे, 21 को माईकेबाप आ गए हैं। जब जब हमारे यहां अत्याचार बढ़ा है परशु उठाकर परशुराम बना है। अब परशुराम बनने की जरूरत है। ब्राह्मण कभी किसी को गाली नहीं देता, अपमान नहीं करता लेकिन अब उस पर अत्याचार बढ़ गया है। ब्राह्मणों का बलिदान भुला दिया गया है। जब राष्ट्र के लिए अस्थियों की जरूरत पड़ी तब ब्राह्मण ही आगे आया, दधिचि ने अपनी अस्थियां वज्र बनाने के लिए दी थीं।

 

संत पं. कमलकिशोर नागर ने कहा कि आने वाले दो माह बाद आप दोगे कि लोगे

नेताओं का नाम लेकर कहा ये ही लोग आपसे कहेंगे हमारा ध्यान रखना। राजनीति चाहे कोई करें पर समाज का, सत्य का और परमात्मा का कार्य करें। सत्य को पहले रखना। ब्राह्मणों को जप, संध्या और पूजा कर अपना तेज बढ़ाना चाहिए। तेज बढ़ेगा तो ये ही लोग आपके आगे नाक रगड़ेंगे। आरक्षण से ज्यादा महत्वपूर्ण है आशीर्वाद। आरक्षण का पैसा तो माह की 1 तारीख से पहले खत्म हो जाएगा पर आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा। घर के प्रति जितना प्रेम, उतना राष्ट्र के प्रति नहीं। दो फीट जमीन के लिए लड़ते हो और भारत की कितनी बड़ी जमीन जा रही, उसकी चिंता नहीं।

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