पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤µ का परà¥à¤µ है पितृ पकà¥à¤·
हिंदू धरà¥à¤® में वैदिक परंपरा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गरà¥à¤à¤§à¤¾à¤°à¤£ से लेकर मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त तक अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के संसà¥à¤•à¤¾à¤° किये जाते हैं। हांलाकि मृतà¥à¤¯à¥ पर अंतà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° माना जाता है, लेकिन उसके बाद à¤à¥€ मृतक की संतति के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® करना मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठअनिवारà¥à¤¯ कहा जाता है। वैसे तो पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मास की अमावसà¥à¤¯à¤¾ तिथि को शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® किया जा सकता है लेकिन à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ मास की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ से लेकर आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास की अमावसà¥à¤¯à¤¾ तक के पूरे 15 दिन पितृपकà¥à¤·à¥ के रूप में शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® के लिठसà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ किठगठहैं। इस बार ये 24 सितंबर 2018 से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो कर 8 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2018 तक चलेगा। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾ की तृपà¥à¤¤à¤¿ के लिठशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• जो अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया जाय वही शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ है। इसीलिठइस काल को शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤˜ काल या महालय à¤à¥€ कहा जाता है।
याद रखें कि शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® जिसमें पिंड दान आैर तरà¥à¤ªà¤£ आदि समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होते हैं उसे हमेशा योगà¥à¤¯ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही करवाना चाहिये। शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤˜ में दान पà¥à¤£à¥à¤¯ का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है अत: ये कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इसे अवशà¥à¤¯ करें। इसके अलावा इस दिन बनने वाले à¤à¥‹à¤œà¤¨ में से गाय, कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ आैर कौवे आदि के लिये à¤à¥€ à¤à¤• अंश जरà¥à¤° निकालें। शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करने के लिये अपने पूरà¥à¤µà¤œ की मृतà¥à¤¯à¥ की तिथि का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें आैर उसी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस करà¥à¤® को करें। यानि जिस तिथि को मृतà¥à¤¯à¥ हà¥à¤ˆ हो उसी तिथि को शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करना चाहिये। यदि तिथि जà¥à¤žà¤¾à¤¤ ना हो तो अंतिम महालय यानि आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ अमावसà¥à¤¯à¤¾ का दिन शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤® होता है आैर इसे सरà¥à¤µà¤ªà¤¿à¤¤à¥ƒ शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ योग कहा जाता है। इसी तरह सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठनवमी तिथि विशेष मानी गई है, जिसे मातृ नवमी या मातामही शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤˜ à¤à¥€ कहते हैं। मातृ नवमी इस बार 3 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° के दिन पड़ेगी। वैसे तो शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤˜ अपने निवास पर ही करना चाहिठयदि à¤à¥‡à¤¸à¤¾ ना हो सके तो गंगा नदी के किनारे पर शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® करवाना चाहिये। जिस दिन शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® हो उस दिन वà¥à¤°à¤¤ रखें आैर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œ करवा कर ही अनà¥à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करें।
शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पूजा का सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ समय दोपहर का होता है अत: इसे उसी समय करना चाहिये। इस दिन सबसे पहले हवन करें फिर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ से मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ आैर पूजन करके जल से तरà¥à¤ªà¤£ करें। फिर जो à¤à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाया है उससे à¤à¥‹à¤— की थाली लगायें, आैर उसमें से गाय, काले कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡, कौवे आदि का हिसà¥à¤¸à¤¾ अलग कर दें। पितरों का सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हà¥à¤ इन तीनों को खिला दें। इसके बाद मन ही मन पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने का निवेदन करते हà¥à¤ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तिल, जौ, कà¥à¤¶à¤¾, आदि से जलांजली दिलवा कर à¤à¥‹à¤— लगा कर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ करवायें। à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ दान दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विधि विधान से शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पूजा करने पर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पितृ ऋण से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती है आैर पितर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर सà¥à¤–, समृदà¥à¤§à¤¿ का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मिलता है।