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हिन्दू हो या मुसलमान, सभी रोहिंग्या होंगे बाहर: राम माधव

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने अवैध घुसपैठियों के मामले पर कहा कि हिन्दू हो या मुसलमान, सभी रोहिंग्याओं को देश से बाहर करने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने कहा कि हम संवैधानिक तरीके काम कर रहे हैं और किसी भी गैर संवैधानिक ढंग से देश में आए व्यक्ति को हम पनाह नहीं देंगे.

क्या आप असम से लाखों लोगों को डिपोर्ट करेंगे या फिर यह सिर्फ राजनीति है. इसके जवाब में राम माधव ने कहा कि किसी को भी देश से डिपोर्ट करने की तैयारी नहीं है. राम माधव ने कहा कि नेहरू सरकार ने डिपोर्ट करने का मसौदा 1950 के दशक में तैयार किया था. उन्होंने कहा कि 1950 में नेहरू ने Immigration Expulsion From Assam Act बनाया था, जिसका मकसद अवैध घुसपैठियों को असम से बाहर करना था.

राम माधव ने कहा कि हालांकि, गैरकानूनी ढंग से देश में आए लोगों को पनाह देने का काम कोई भी देश नहीं करेगा. लिहाजा, भारत भी किसी गैर-भारतीय को देश में बसने नहीं देगा लेकिन इतना ध्यान रखा जाएगा कि इस प्रक्रिया में देश का एक भी नागरिक परेशान न हो. उन्होंने सऊदी अरब का उदाहरण पेश करते हुए कि पिछले साल सउदी अरब ने 7000 लोगों को बाहर निकाला. कोई भी देश दूसरों के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकता.

लेकिन क्या आप बांग्लादेशी हिंदू को शरण देंगे और बांग्लादेशी मुसलमान को नहीं? राम माधव ने कहा कि संविधान के मुताबिक यदि कोई हिंदू, बौद्ध, जैन, इसाई इत्यादि भारत में शरण लेता है तो उसके लिए संविधान में प्रावधान है. राम माधव ने कहा कि एनआरसी रजिस्टर प्रक्रिया में धर्म का कोई कॉलम नहीं है. लेकिन सिटिजनशिप कानून यह निर्धारित करता है कि किस भी धर्म या मजहब के लोगों को शरण दी जा सकती है. कानून का यह नियम पूरे देश के लिए लागू होता है.

राम माधव ने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया जारी है, एक-एक घुसपैठिए की पहचान की जाएगी और नागरिकता से वंचित करने के बाद उन्हें निर्वासित किया जाएगा. जिनका नाम इसमें शामिल हैं वो दो महीने में अपने दस्तावेजों को सामने रखें. इसके बाद यह तय किया जाएगा कि कौन कहां जाएगा.

उन्होंने कहा, 'इससे पहले भी एक लंबी प्रक्रिया से गुरजना होगा. जो लोग किसी कारण वश अपनी पहचान का दस्तावेज जमा नहीं करा पाए हैं, वो जमा कराएं. इसके बाद भी जो लोग नागरिकता साबित करने में नाकाम रहेंगे वो फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल जा सकते हैं. अगर वहां भी साबित नहीं कर पाए तो फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. किसी भी भारतीय नागरिक को देश से बाहर नहीं किया जाएगा.'

 

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