शकà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥‚पा देवी की आराधना का परà¥à¤µ
धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤‚थों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नवरातà¥à¤° माता à¤à¤—वती की आराधना, संकलà¥à¤ª, साधना और सिदà¥à¤§à¤¿ का दिवà¥à¤¯ समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सà¥à¤…वसर à¤à¥€ है।देवी à¤à¤¾à¤—वत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° देवी ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾,विषà¥à¤£à¥ à¤à¤µà¤‚ महेश के रूप में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का सृजन,पालन और संहार करती हैं।
à¤à¤—वान महादेव के कहने पर रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ शà¥à¤‚à¤-निशà¥à¤‚à¤,मधà¥-कैटठआदि दानवों का संहार करने के लिठमां पारà¥à¤µà¤¤à¥€ ने असंखà¥à¤¯ रूप धारण किठकिंतॠनवरातà¥à¤° में देवी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नौ रूपों की ही पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की जाती है। नवरातà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दिन देवी मां के विशिषà¥à¤Ÿ रूप को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होता है और हर सà¥à¤µà¤°à¥‚प की उपासना करने से अलग-अलग पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मनोरथ पूरà¥à¤£ होते हैं।
नवरातà¥à¤° पूजन के पà¥à¤°à¤¥à¤® दिन कलश पूजा के साथ ही मां दà¥à¤°à¥à¤—ा के पहले सà¥à¤µà¤°à¥‚प 'शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी" का पूजन किया जाता है। परà¥à¤µà¤¤à¤°à¤¾à¤œ हिमालय की कनà¥à¤¯à¤¾ होने के कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ कहा गया है। वृषà¤-सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¾ इन माताजी के दाहिने हाथ में तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल और बाà¤à¤‚ हाथ में कमल पà¥à¤·à¥à¤ª सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ हैं। नवदà¥à¤°à¥à¤—ाओं में पà¥à¤°à¤¥à¤® शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ दà¥à¤°à¥à¤—ा का महतà¥à¤µ और शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ अनंत हैं। इनका पूजन करने से मूलाधार चकà¥à¤° जागृत होता है और यहां से योगसाधना आरमà¥à¤ होती है ।
पूजा फल- मां शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ देवी पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का ही सà¥à¤µà¤°à¥‚प हैं जो सहज à¤à¤¾à¤µ से पूजन करने से शीघà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¾ हो जाती हैं और à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को मनोवांछित फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं ।
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ मां दà¥à¤°à¥à¤—ा की नवशकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का दूसरा सà¥à¤µà¤°à¥‚प बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ का है। यहां बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ तपसà¥à¤¯à¤¾ है और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ तप का आचरण करने वाली। देवी बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प पूरà¥à¤£ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ और à¤à¤µà¥à¤¯ है। à¤à¤—वान शिव को पति रूप में पाने के लिठइनà¥à¤¹à¤¾à¤‚ेने हज़ारों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी। इनके à¤à¤• हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में तप की माला है। पूरà¥à¤£ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ मां पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¾ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दे रही हैं। साधक दà¥à¤°à¥à¤—ापूजा के दूसरे दिन अपने मन को सà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ ान चकà¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ करते हैं और मां की कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं।
पूजा फल- इनकी पूजा से अनंत फल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ तप, तà¥à¤¯à¤¾à¤—, वैरागà¥à¤¯, सदाचार, संयम जैसे गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। इनकी उपासना से साधक को सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° सिदà¥à¤§à¤¿ और विजय की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है।
लालसाओं से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठमां बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाना अचà¥à¤›à¤¾ होता है।
तृतीय चंदà¥à¤°à¤˜à¤‚टा-
बाघ पर सवार मां दà¥à¤°à¥à¤—ाजी की तीसरी शकà¥à¤¤à¤¿ देवी चंदà¥à¤°à¤˜à¤‚टा के शरीर का रंग सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ के समान चमकीला है। इनके मसà¥à¤¤à¤• में घंटे के आकार का अरà¥à¤§à¤šà¤‚दà¥à¤° विराजमान है, इसलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चंदà¥à¤°à¤˜à¤‚टा कहा जाता है। दस à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं वाली देवी के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हाथ में अलग-अलग शसà¥à¤¤à¥à¤° हैं, इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ रहती है। इनके घंटे की सी à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• चंडधà¥à¤µà¤¨à¤¿ से अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ दानव-दैतà¥à¤¯ राकà¥à¤·à¤¸ सदैव पà¥à¤°à¤•à¤‚पित रहते है। इस दिन साधक का मन 'मणिपà¥à¤° चकà¥à¤°" में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होता है।
पूजा फल
इनकी आराधना से साधकों को चिरायà¥,आरोगà¥à¤¯,सà¥à¤–ी और संपनà¥à¤¨à¤¾ होने का वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है तथा सà¥à¤µà¤° में दिवà¥à¤¯, अलौकिक माधà¥à¤°à¥à¤¯ का समावेश हो जाता है। पà¥à¤°à¥‡à¤¤-बाधादि से ये अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ करती है।
कà¥à¤°à¥‹à¤§à¥€,छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाने और तनाव लेने वाले तथा पितà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लोग मां चंदà¥à¤°à¤˜à¤‚टा की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ करें।
चतà¥à¤°à¥à¤¥ कूषà¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡à¤¾ -
नवरातà¥à¤° के चौथे दिन शेर पर सवार मां के कूषà¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा की जाती हैं। अपनी मंद हलà¥à¤•à¥€ हंसी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨à¤¾ करने के कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कूषà¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡à¤¾ देवी के नाम से अà¤à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ किया गया है। जब सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार परिवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ था, तब इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ देवी ने अपने 'ईषत" हासà¥à¤¯ से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ की रचना की थी अत: यही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि-सà¥à¤µà¤°à¥‚पा,आदि शकà¥à¤¤à¤¿ हैं।
इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के तेज और पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ से दसों दिशाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो रही हैं। अषà¥à¤Ÿ à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं वाली देवी के सात हाथों में कà¥à¤°à¤®à¤¶: कमंडल, धनà¥à¤·, बाण, कमलपà¥à¤·à¥à¤ª, अमृतपूरà¥à¤£ कलश, चकà¥à¤° तथा गदा है। आठवें हाथ में सà¤à¥€ सिदà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और निधियों को देने वाली जप माला है। नवरातà¥à¤° के चौथे दिन साधक अपने मन को मां के चरणों में लगाकर अदाहत चकà¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ करते हैं।
पूजा फल- देवी कूषà¥à¤®à¤¾à¤‚डा अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को रोग, शोक और विनाश से मà¥à¤•à¥à¤¤ करके आयà¥, यश, बल और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं। यदि पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के बावजूद à¤à¥€ मनोनà¥à¤•à¥‚ल परिणाम न मिलता हो,तो कूषà¥à¤®à¤¾à¤‚डा सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा से मनोवांछित फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने लगते हैं।
पंचम सà¥à¤•à¤‚दमाता-
à¤à¤—वान सà¥à¤•à¤‚द(कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें सà¥à¤µà¤°à¥‚प को सà¥à¤•à¤‚दमाता के नाम से जाना जाता है। यह कमल के आसान पर विराजमान हैं इसलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पदà¥à¤®à¤¾à¤¸à¤¨ देवी à¤à¥€ कहा जाता है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सिंह पर सवार देवी अपनी ऊपर वाली दाईं à¤à¥à¤œà¤¾ में बाल कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯ को गोद में उठाठहà¥à¤ हैं और नीचे वाली दाईं à¤à¥à¤œà¤¾ में कमल पà¥à¤·à¥à¤ª लिठहà¥à¤ हैं।
ऊपर वाली बाईं à¤à¥à¤œà¤¾ से इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जगत तारण वरदमà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ बना रखी है व नीचे वाली बाईं à¤à¥à¤œà¤¾ में कमल पà¥à¤·à¥à¤ª है।सà¥à¤•à¤‚दमाता का वरà¥à¤£ पूरà¥à¤£à¤¤: शà¥à¤à¥à¤° है। इस दिन साधक का मन 'विशà¥à¤¦à¥à¤§ चकà¥à¤°" में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है।
पूजा फल- सà¥à¤•à¤‚दमाता की साधना से साधकों को आरोगà¥à¤¯, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¤¾ तथा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है ।
विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, मंतà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ साधना की सिदà¥à¤§à¤¿ के लिठमां सà¥à¤•à¤‚दमाता का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना चाहिठ।
षषà¥à¤Ÿà¤® कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ -
मां कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ देवताओं और ऋषियों के कारà¥à¤¯ को सिदà¥à¤§ करने के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨ के आशà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤ˆà¤‚ इसलिठइनका नाम कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ पड़ा। यह देवी दानवों और शतà¥à¤°à¥à¤“ं का नाश करती है। सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ आà¤à¤¾à¤®à¤‚डल यà¥à¤•à¥à¤¤ देवी मां का सà¥à¤µà¤°à¥‚प अतà¥à¤¯à¤‚त तेजसà¥à¤µà¥€ है। शेर पर सवार मां की चार à¤à¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ हैं, इनके बाà¤à¤‚ हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤• व आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ अंकित है। à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को पतिरूप में पाने के लिठवà¥à¤°à¤œ की गोपियों ने इनकी पूजा यमà¥à¤¨à¤¾ के तट पर की थी।
नवरातà¥à¤° के छठेे दिन साधक का मन 'आजà¥à¤žà¤¾ चकà¥à¤°" में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है।
पूजा फल- देवी à¤à¤¾à¤—वत पà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° देवी के इस सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। इनकी आराधना से गृहसà¥à¤¥ जीवन सà¥à¤–मय रहता है। जिनके विवाह में विलंब हो रहा हो या जिनका वैवाहिक जीवन सà¥à¤–ी नहीं है वे जातक विशेष रूप से मां कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ की उपासना करें, लाठहोगा।
सपà¥à¤¤à¤® कालरातà¥à¤°à¤¿-
सातवां सà¥à¤µà¤°à¥‚प है मां कालरातà¥à¤°à¤¿ का, गरà¥à¤¦à¤ पर सवार मां का वरà¥à¤£ à¤à¤•à¤¦à¤® काला तथा बाल बिखरे हà¥à¤ हैं, इनके गले की माला बिजली के समान चमकने वाली है।इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तमाम आसà¥à¤°à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विनाश करने वाली देवी बताया गया है। इनके तीन नेतà¥à¤° और चार हाथ हैं जिनमें à¤à¤• में तलवार है तो दूसरे में लौह असà¥à¤¤à¥à¤° तथा तीसरा हाथ अà¤à¤¯ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में है,चौथा हाथ वर मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में है। अतà¥à¤¯à¤‚त à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रूप वाली मां सदैव शà¥à¤ फल ही देने वाली हैं। दà¥à¤°à¥à¤—ापूजा के सातवें दिन साधक का मन 'सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤°" में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहता हैं।
पूजा फल- ये देवी अपने उपासकों को अकाल मृतà¥à¤¯à¥ से à¤à¥€ बचाती हैं। इनके नाम के उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ मातà¥à¤° से ही à¤à¥‚त, पà¥à¤°à¥‡à¤¤, राकà¥à¤·à¤¸ और सà¤à¥€ नकारातà¥à¤®à¤• शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दूर à¤à¤¾à¤—ती हैं। मां कालरातà¥à¤°à¤¿ की पूजा से गà¥à¤°à¤¹-बाधा à¤à¥€ दूर होती हैं ।
सà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और शतà¥à¤°à¥à¤“ं से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाने के लिठमां कालरातà¥à¤°à¤¿ की आराधना विशेष फलदायी है ।
अषà¥à¤Ÿà¤® महागौरी-
दà¥à¤°à¥à¤—ाजी की आठवीं शकà¥à¤¤à¤¿ महागौरी का सà¥à¤µà¤°à¥‚प अतà¥à¤¯à¤‚त उजà¥à¤œà¤µà¤² और शà¥à¤µà¥‡à¤¤ वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण किठहà¥à¤ है व चार à¤à¥à¤œà¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ मां का वाहन बैल है। अपने पारà¥à¤µà¤¤à¥€ रूप में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤—वान शिव को पतिरूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठकठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी, जिस कारण इनका शरीर à¤à¤•à¤¦à¤® काला पड़ गया। इनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¾ होकर जब शिवजी ने इनके शरीर को गंगाजी के पवितà¥à¤° जल से धोया तब वह विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾ के समान अतà¥à¤¯à¤‚त कांतिमान-गौर हो उठा, तà¤à¥€ से इनका नाम महागौरी पड़ा à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के लिठयह देवी अनà¥à¤¨à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥‚प हैं इसलिठअषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ के दिन कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के पूजन का विधान है।
पूजा फल- इनकी पूजा से धन, वैà¤à¤µ और सà¥à¤–-शांति की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती हैं। उपासक सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पवितà¥à¤° और अकà¥à¤·à¤¯ पà¥à¤£à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अधिकारी हो जाता है। धन-धानà¥à¤¯ और सà¥à¤–-समृदà¥à¤§à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठमहागौरी उपासना की जानी चाहिà¤à¥¤
नवम सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€-
मां सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ और साधकों को सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की सिदà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने में समरà¥à¤¥ हैं । देवीपà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वान शिव ने इनकी कृपा से ही समसà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया à¤à¤µà¤‚ इनकी अनà¥à¤•à¤®à¥à¤ªà¤¾ से ही शिव का आधा शरीर देवी का हà¥à¤† था। इसी कारण महादेव जगत में अरà¥à¤§à¤¨à¤¾à¤°à¥€à¤¶à¥à¤µà¤° के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤à¥¤
कमल पर आसीन देवी के हाथों में कमल, शंख, गदा, सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° धारण किठहà¥à¤ हैं। मां सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥‚प माना गया है जो शà¥à¤µà¥‡à¤¤ वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤²à¤‚कार से यà¥à¤•à¥à¤¤ महाजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और मधà¥à¤° सà¥à¤µà¤° से अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ करती हैं। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि सà¤à¥€ देवी-देवताओं को à¤à¥€ मां सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ से ही सिदà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है ।
पूजा फल- इनकी उपासना से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सà¤à¥€ मनोकामनाà¤à¤‚ पूरà¥à¤£ हो जाती हैं। à¤à¤•à¥à¤¤ इनकी पूजा से यश,बल और धन की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करते हैं । समाज में खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने कि लिठमां सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ की उपासना विशेष फलदायी है।