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मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के संबंध में पीड़ी दर पीड़ी चली आ रही किवदंती के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आज से करीब 300 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ बंजारो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनकी मनोकामना पूरà¥à¤£ होने पर इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया था। मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ मिलने की इस कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पशà¥à¤“ं का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° करने वाले बंजारे इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® और चारे के लिठरूके। अचानक ही उनके पशॠअदृषà¥à¤¯ हो गà¤à¥¤ इस तरह बंजारे पशà¥à¤“ं को ढूंडने के लिठनिकले, तो उनमें से à¤à¤• बृदà¥à¤§ बंजारे को à¤à¤• बालिका मिली। बालिका के पूछने पर उसने सारी बात कही। तब बालिका ने कहा की आप यहां देवी के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर अपनी मनोकामना पूरà¥à¤£ कर सकते हैं। बंजारे ने कहा कि हमें नही पता है कि मां à¤à¤—वति का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कहां है। तब बालिका ने संकेत सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° फेंका। जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पतà¥à¤¥à¤° फेंका वहां मां à¤à¤—वति के दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤à¥¤à¤¶à¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जब रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ नामक देतà¥à¤¯ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर जब देवता देवी की शरण में पहà¥à¤‚चे। तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया। और इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ का संहार कर उस पर विजय पाई। मां à¤à¤—वति की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया, वही विजयासन धाम के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाया।
हिंसक जानवरों, चौसठयोग-योगिनियों का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ होने से कà¥à¤› लोग यहां पर आने में संकोच करते थे। तब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द ने यहां तपसà¥à¤¯à¤¾ कर चौसठयोग-योगिनियों के लिठà¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया तथा मंदिर के समीप ही à¤à¤• धà¥à¤¨à¥‡ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को चैतनà¥à¤¯ किया है तथा धà¥à¤¨à¥‡ में à¤à¤• अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ चिमटा, जिसे तंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ से अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर तली में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है। आज à¤à¥€ इस धà¥à¤¨à¥‡ की à¤à¤µà¥‚त को ही मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप में à¤à¤•à¥à¤¤à¤—णों को वितरित किया जाता है। और उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ मां à¤à¤—वति की पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। कà¥à¤› ही कà¥à¤·à¤£ बाद उनके खोठपशॠमिल गà¤à¥¤ मनà¥à¤¨à¤¤ पूरी होने पर बंजारों ने मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया। यह घटना बंजारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बताये जाने पर लोगों का आना शà¥à¤°à¥‚ हो गया और वे à¤à¥€ अपनी मनà¥à¤¨à¤¤ लेकर आने लगे।
जानिठकैसे बना शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ सलकनपà¥à¤° विजयासन धाम
विजयासन धाम की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿
शà¥à¤°à¥‚ से ही लोगों के मन में मां विजयासन धाम की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤Ÿà¥à¤¯, मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को लेकर जिजà¥à¤žà¤¾à¤·à¤¾ रही है। लेकिन अà¤à¥€ तक इसके कोई à¤à¥€ ठोस साकà¥à¤·à¥à¤¯ और पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ नही मिल पाठहैं। कà¥à¤› पंडितो का कहना है कि यहां मां का आसन गिरने से यह विजयासन धाम बना लेकिन विजय शबà¥à¤¦ का योग कैसे हà¥à¤†, इसका सटीक उतà¥à¤¤à¤° वे नही दे पाà¤à¤‚ है। लेकिन हम आपको बता दे कि मां विजायासन धाम के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤Ÿà¥à¤¯ का सटीक उतà¥à¤¤à¤° व उलà¥à¤²à¥‡à¤– शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत महापà¥à¤°à¤¾à¤£ में है। जो इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है-
मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के संबंध में पीड़ी दर पीड़ी चली आ रही किवदंती के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आज से करीब 300 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ बंजारो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनकी मनोकामना पूरà¥à¤£ होने पर इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया था। मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ मिलने की इस कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पशà¥à¤“ं का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° करने वाले बंजारे इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® और चारे के लिठरूके। अचानक ही उनके पशॠअदृषà¥à¤¯ हो गà¤à¥¤ इस तरह बंजारे पशà¥à¤“ं को ढूंडने के लिठनिकले, तो उनमें से à¤à¤• बृदà¥à¤§ बंजारे को à¤à¤• बालिका मिली। बालिका के पूछने पर उसने सारी बात कही। तब बालिका ने कहा की आप यहां देवी के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर अपनी मनोकामना पूरà¥à¤£ कर सकते हैं। बंजारे ने कहा कि हमें नही पता है कि मां à¤à¤—वति का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कहां है। तब बालिका ने संकेत सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° फेंका। जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पतà¥à¤¥à¤° फेंका वहां मां à¤à¤—वति के दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤à¥¤à¤¶à¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जब रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ नामक देतà¥à¤¯ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर जब देवता देवी की शरण में पहà¥à¤‚चे। तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया। और इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ का संहार कर उस पर विजय पाई। मां à¤à¤—वति की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया, वही विजयासन धाम के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाया।
हिंसक जानवरों, चौसठयोग-योगिनियों का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ होने से कà¥à¤› लोग यहां पर आने में संकोच करते थे। तब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द ने यहां तपसà¥à¤¯à¤¾ कर चौसठयोग-योगिनियों के लिठà¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया तथा मंदिर के समीप ही à¤à¤• धà¥à¤¨à¥‡ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को चैतनà¥à¤¯ किया है तथा धà¥à¤¨à¥‡ में à¤à¤• अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ चिमटा, जिसे तंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ से अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर तली में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है। आज à¤à¥€ इस धà¥à¤¨à¥‡ की à¤à¤µà¥‚त को ही मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप में à¤à¤•à¥à¤¤à¤—णों को वितरित किया जाता है। और उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ मां à¤à¤—वति की पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। कà¥à¤› ही कà¥à¤·à¤£ बाद उनके खोठपशॠमिल गà¤à¥¤ मनà¥à¤¨à¤¤ पूरी होने पर बंजारों ने मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया। यह घटना बंजारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बताये जाने पर लोगों का आना शà¥à¤°à¥‚ हो गया और वे à¤à¥€ अपनी मनà¥à¤¨à¤¤ लेकर आने लगे।