नवरातà¥à¤°à¤¿ कल से -कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ और पूजा विधि
नवरातà¥à¤° के नौ दिन मां दà¥à¤°à¥à¤—ा के नव रूपों की पूजा होती है। देवी दà¥à¤°à¥à¤—ा के नौ रूप हैं शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€, चंदà¥à¤°à¤˜à¤‚टा, कà¥à¤·à¥à¤®à¤¾à¤‚डा, सà¥à¤•à¤‚धमाता, कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€, कालरातà¥à¤°à¤¿, महागौरी और सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ हैं। नवरातà¥à¤° में देवी की साधना और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का अदà¥à¤à¥à¤¤ संगम होता है। इन नौ दिनों में मां दà¥à¤°à¥à¤—ा के नौ रà¥à¤ªà¥‹à¤‚ की पूजा की जाठतो देवी का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मिलता है और मनोवांछित फलों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। साल में चार बार मां दà¥à¤°à¥à¤—ा को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ नवरातà¥à¤° आते हैं। चैतà¥à¤° या वासंतिक नवरातà¥à¤° व आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ या शारदीय नवरातà¥à¤°, जबकि इसके अतिरिकà¥à¤¤ दो और नवरातà¥à¤° à¤à¥€ हैं, जिनमें विशेष कामनाओं की सिदà¥à¤§à¤¿ की जाती है। इन नवरोतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को गà¥à¤ªà¥à¤¤ नवरातà¥à¤° कहते हैं। वरà¥à¤· में दो बार गà¥à¤ªà¥à¤¤ नवरातà¥à¤° आते हैं- माघ शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· व आषाढ़ शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· में। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कà¥à¤² मिला कर वरà¥à¤· में चार नवरातà¥à¤° होते हैं। यह चारों ही नवरातà¥à¤° ऋतॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ के समय मनाठजाते हैं।
10 अकà¥à¤¤à¥‚बर से लेकर 18 अकà¥à¤¤à¥‚बर तक नवरातà¥à¤° मनाठजाà¤à¤‚गे। इन नौ दिनों में मां के अलग-अलग रà¥à¤ªà¥‹à¤‚ का पूजन होगा। इन नौ दिनों में वà¥à¤°à¤¤ रखने का à¤à¥€ बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ है। आईठजानें, नवरातà¥à¤° में किस दिन होगी देवी के कौन से रूप की पूजा।
10 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾ - नवरातà¥à¤° के पहले दिन घट अथवा कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के साथ होगी पà¥à¤°à¤¥à¤® देवी शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और दूसरी देवी बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ की पूजा।
11 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯à¤¾ - नवरातà¥à¤° के दूसरे दिन होगी चंदà¥à¤°à¤˜à¤‚टा की पूजा।
12 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, तृतीया - नवरातà¥à¤° के तीसरे दिन होगी कà¥à¤·à¥à¤®à¤¾à¤‚डा की पूजा।
13 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ - नवरातà¥à¤° के चौथे दिन होगी सà¥à¤•à¤‚दमाता की पूजा।
14 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, पंचमी - नवरातà¥à¤° के पांचवें दिन होगी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पूजा।
15 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, षषà¥à¤ ी - नवरातà¥à¤° के छठे दिन होगी कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ की पूजा।
16 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, सपà¥à¤¤à¤®à¥€ - नवरातà¥à¤° के सातवें दिन होगी कालरातà¥à¤°à¤¿ और सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पूजा।
17 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ - नवरातà¥à¤° के आठवें दिन होगी महागौरी की पूजा, दà¥à¤°à¥à¤—ा अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ और कंजक पूजन।
18 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, नवमी - नवरातà¥à¤° के नौवें दिन होगा नवमी हवन और पारण।
19 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, दशमी - दà¥à¤°à¥à¤—ा विसरà¥à¤œà¤¨ और विजयादशमी।
शारदीय नवरातà¥à¤°à¤¿ 2018 कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾ तिथि पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤- 09:16 (09 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2018)
घट सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ तिथि और मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤- पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 06:22 से 12:25 दोपहर (10 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2018)
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾ तिथि समापà¥à¤¤- 07:25 (10 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2018)
कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ और पूजा विधि
कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ से पहले अचà¥à¤›à¥‡ से पूजा और सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ सà¥à¤¥à¤² को गंगाजल से पवितà¥à¤° कर लें. वà¥à¤°à¤¤ का संकलà¥à¤ª लेने के बाद, मिटà¥à¤Ÿà¥€ की वेदी बनाकर ‘जौ बौया’ जाता है. दरअसल हिंदूओं में किसी à¤à¥€ शà¥à¤ कारà¥à¤¯ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ से पहले सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ गणेश की पूजा की जाती है. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी जी और गणेश गौरी जी और नवगà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करें. उसके साथ जमीन पर जहां जौं बोया वहां कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करें. कलश पर मौली बांध दें और उस पर सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤• बना दे. कलश में 1 रà¥à¤ªà¤ का सिकà¥à¤•à¤¾ हलà¥à¤¦à¥€ की गांठऔर दूरà¥à¤µà¤¾ डाल दें और पांच पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से सजाà¤à¤‚.
कलश को सिकोरे से ढक दें और उसको चांवल से à¤à¤° दें. इसके बाद उस पर नारियल सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करें. कलश को à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ जी का ही रूप माना जाता है. पूजन में समसà¥à¤¤ देवी-देवताओं का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करें. मिटà¥à¤Ÿà¥€ की वेदी पर सतनज और जौ बीजे जाते हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दशमी तिथि को पारण के समय काटा जाता है. नौ दिन 'दà¥à¤°à¥à¤—ा सपà¥à¤¤à¤¶à¤¤à¥€' का पाठकिया जाता है. पाठपूजन के समय अखंड जोत जलती रहनी चाहिà¤.
नवरातà¥à¤°à¤¿ की पहली तिथि में दà¥à¤°à¥à¤—ा मां के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प मां शैलपà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की आराधना की जाती है. इस दिन सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ उपवास रखते हैं और सायंकाल में दà¥à¤°à¥à¤—ा मां का पाठऔर विधिपूरà¥à¤µà¤• पूजा करके अपना वà¥à¤°à¤¤ खोलते हैं.