जाने इन कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ और बीजेपी नेताओं के बारे में जो चà¥à¤¨à¤¾à¤µ ..
चà¥à¤¨à¤¾à¤µ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के à¤à¤²à¤¾à¤¨ के साथ सियासी योदà¥à¤§à¤¾ रणà¤à¥‚मि में उतर आठहैं। बगैर किसी लहर और मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ के हो रहे इस चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और चेहरा ही चयन का मà¥à¤–à¥à¤¯ आधार होगा। चेहरे के मसले पर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में गफलत की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है जो अब बहà¥à¤®à¤¤ आने के बाद ही साफ हो पाà¤à¤—ी, जबकि à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शिवराज सिंह चौहान पारà¥à¤Ÿà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ घोषित चेहरा है। यूं कमलनाथ और जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ सिंधिया को कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ का चेहरा माना जा रहा है, लेकिन ताज किसके सिर पर रखा जाना है यह सिरà¥à¤« कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· राहà¥à¤² गांधी ही जानते हैं।
मपà¥à¤° में लंबे समय से दो दलीय वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ रही है। 1990 में दो सीटों पर जीत के साथ बसपा का पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की राजनीति में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हà¥à¤†à¥¤ 1996 में दो लोकसà¤à¤¾ और 1998 के विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में 11 सीटों पर जीत दरà¥à¤œ करने के बाद à¤à¤¸à¤¾ लगने लगा था कि बसपा तीसरी ताकत के रूप में उà¤à¤° रही है, लेकिन à¤à¤¸à¤¾ हो नहीं पाया। पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में बसपा का वोट बैंक तो सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ रहा, लेकिन सीट घटती-बà¥à¤¤à¥€ रही। लगà¤à¤— तीन दरà¥à¤œà¤¨ सीटों पर 20 फीसदी वोट लाने के बावजूद बसपा सीटों के मामले में कंगाल ही रही। à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² से दिलà¥à¤²à¥€ तक के कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ नेता मानकर चल रहे हैं कि 'अà¤à¥€ नहीं तो कà¤à¥€ नहीं।" बसपा और सपा के कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ से गठबंधन से इनकार के बाद साफ हो गया है कि कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ को अपने दम पर à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ से मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ करना है, तब उन चेहरों पर निगाह डालना अपरिहारà¥à¤¯ हो जाता है जो इस चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के केंदà¥à¤° में हैं।
शिवराज सिंह चौहान - कहा जा सकता है कि à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ की नैया के शिवराज अकेले खेवैया हैं, जो 14 साल से लगातार मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ हैं। लोगों से सीधा संवाद और रिशà¥à¤¤à¤¾ कायम करने में उनकी महारत है। 14 साल में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने योजनाओं की à¤à¥œà¥€ लगा दी। मेहनत के मामले में समकालीन राजनेताओं में सबसे à¤à¤¾à¤°à¥€ शिवराज पिछले दो माह से रात तीन बजे तक जन आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ यातà¥à¤°à¤¾ के जरिठपà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¤à¤° में घूमे हैं। राहà¥à¤² गांधी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घोषणा मशीन कहते हैं।कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के पास उनकी सरकार के खिलाफ कई मामले हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वह ठीक से à¤à¥à¤¨à¤¾ नहीं पाई। à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ में शिवराज के बाद सेकंड लाइन खड़ी नहीं हो पाई। संगठन पूरी तरह सरकार की शरण में रहा।
नरेंदà¥à¤° सिंह तोमर - मोदी सरकार में गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ विकास à¤à¤µà¤‚ पंचायत राज मंतà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° सिंह तोमर को शिवराज का विकलà¥à¤ª माना जाता है। तोल मोल के बोलने में सिदà¥à¤§à¤¹à¤¸à¥à¤¤ तोमर को संगठन का खासा अनà¥à¤à¤µ है। 2008 और 2013 के विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में वे पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रहे हैं।
राकेश सिंह - à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· राकेश सिंह महाकोशल कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से आते हैं। वे जबलपà¥à¤° से सांसद हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अमित शाह का निकटसà¥à¤¥ माना जाता है। सिंह को अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बने इतना कम समय हà¥à¤† है कि उनकी पहचान को लेकर बहस करना ही बेमानी है।
जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ सिंधिया- कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के यà¥à¤µà¤¾ चेहरे। आकरà¥à¤·à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ वृकà¥à¤¤à¤¤à¥à¤µ शैली के चलते कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं में लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥¤ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने इस बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ समिति का अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बनाया है। यह जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ उनके पास पिछले चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में à¤à¥€ थी। समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ को लगता है कि यदि पारà¥à¤Ÿà¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चेहरा घोषित करती तो मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ बहà¥à¤¤ नजदीक का रहता।
कमलनाथ- इनकी पहचान अपने शानदार मैनेजमेंट के लिठहोती है। हालांकि बसपा और सपा से गठबंधन की विफलता से उनकी यह छवि पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ है। पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बनने के बाद उनका पूरा जोर संगठन की मजबूती पर रहा, जिसमें वे सफल à¤à¥€ रहे। वे कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के बाद अब राहà¥à¤² गांधी के साथ कदमताल कर चल रहे हैं, लेकिन पूरे पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में उनकी सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤¤à¤¾ पर अà¤à¥€ सवालिया निशान है।
दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ सिंह - दो बार मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ रहे दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ को पारà¥à¤Ÿà¥€ ने समनà¥à¤µà¤¯ का जिमà¥à¤®à¤¾ सौंपा है। अब तक वे 45 जिलों का दौरा कर à¤à¤• लाख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं से वन-टू-वन चरà¥à¤šà¤¾ कर चà¥à¤•à¥‡ हैं। संगठन पर उनकी गहरी पकड़ है। इसके बावजूद पारà¥à¤Ÿà¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फà¥à¤°à¤‚ट पर लाने से डरती है। वजह है मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ रहते विकास को लेकर उनकी जो छवि बनी थी, उससे वे अब तक नहीं उबर पाठहैं।