हवाओं में जहर, 200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ खरà¥à¤š से बच सकता है कहर
दिलà¥à¤²à¥€-à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤° पर पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण का हवाई हमला शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•à¤¾ है. राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ से सटे पंजाब, हरियाणा, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में खरीफ की कटाई कर रहे किसानों ने अगली फसल की तैयारी के लिठà¤à¤• बार फिर पराली (फसल की खूंट) जलाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया है. इससे उठते धà¥à¤à¤‚ से अगले कà¥à¤› दिनों में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ और आसपास के इलाकों में लोगों के लिठसांस लेना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो जाà¤à¤—ा. सवाल उठरहे हैं कि कà¥à¤¯à¤¾ सरकार इस बार à¤à¥€ पिछले साल की तरह देखती रहेगी और दिलà¥à¤²à¥€ के ऊपर धà¥à¤à¤‚ की चादर छाने के बाद हवा में हाथपैर मारेगी?
याद कीजिठपिछले साल 2017 की दीपावली, जब राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ की पहल के बाद केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार ने पटाखों के इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध लगा दिया था. इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध के वकà¥à¤¤ दावा किया गया कि दीपावली के पटाखों से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी का वातावरण बà¥à¤°à¥€ तरह पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हो जाता है और इसका खामियाजा इन पड़ोसी राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ समेत राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी की करोड़ों की आबादी को उठाना पड़ता है. 2017 में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध के साठमें पटाखे नहीं फोड़े गठलेकिन इसके बावजूद राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी और आसपास के राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª से नहीं बचाया जा सका.
पटाखों पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध इसलिठलगाया गया जिससे यह पता चल सके कि आखिर पटाखों से कितना पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण वातावरण में मिल रहा है. सरà¥à¤µà¥‡ में हैरान करने वाले तथà¥à¤¯ सामने आठकि उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण का असली विलेन पटाखे नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पंजाब, हरियाणा, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के खेतों में जलाई जाने वाली पराली है.
कà¥à¤¯à¤¾ है पराली जलाने का असर?
इंडियन à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤•à¤²à¥à¤šà¤°à¤² रिसरà¥à¤š इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट (IARI) के à¤à¤• दशक पहले दिठआंकड़ों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• देश की राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ का वातावरण पराली जलाने से लगà¤à¤— 150 मिलियन टन कारà¥à¤¬à¤¨ डाइऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡, 9 मिलियन टन कारà¥à¤¬à¤¨ मोनोऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ व 0.25 मिलियन टन बेहद जहरीली ऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ ऑफ सलà¥à¤«à¤° से à¤à¤° जाती है. IARI का दावा है कि दिलà¥à¤²à¥€ में पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के अनà¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ जैसे गाड़ियां, फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और कूड़ा जलाने से लगà¤à¤— 17 गà¥à¤¨à¤¾ अधिक पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण महज अकà¥à¤Ÿà¥‚बर-नवंबर के दौरान उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पराली जलाने से होता है. पराली जलाने से कॉरà¥à¤¬à¤¨ डाइऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ का संचार अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से लगà¤à¤— 64 गà¥à¤¨à¤¾ अधिक होता है.
किसानों के लिठकà¥à¤¯à¤¾ है पराली संकट?
पराली जलाने की परंपरा à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नई नहीं है. à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤•à¤²à¥à¤šà¤° रिसरà¥à¤š इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 2014 में à¤à¤•à¤¤à¥à¤° किठगठआंकड़ों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• 2008-09 के दौरान देश में फसल की कटाई के बाद लगà¤à¤— 620 मिलियन टन पराली खेतों में बची. इसमें से लगà¤à¤— 16 फीसदी पराली को खेतों में जला दिया गया जिसमें लगà¤à¤— 60 फीसदी पराली धान की थी और महज 22 फीसदी पराली गेहूं की थी. कृषि विà¤à¤¾à¤— के अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• अकेले पंजाब में 20 मिलियन टन धान और 20 मिलियन टन गेहूं की पराली खेतों में बच रही है.
गौरतलब है कि किसानों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पराली जलाने का काम आमतौर पर खरीफ की फसल के बाद किया जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रबी फसल में निकलने वाली पराली से जानवरों के लिठà¤à¥‚सा और चारा तैयार किया जाता है. यह किसानों के लिठअतिरिकà¥à¤¤ आय का साधन बनता है. वहीं खरीफ फसल तैयार होने के बाद अगली बà¥à¤†à¤ˆ के लिठउतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में किसानों के पास महज 15 से 20 दिन का समय रहता है. जहां à¤à¤• तरफ इस समय में उसे तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ मनाना है, उसे अगली बà¥à¤†à¤ˆ के लिठखेत को तैयार à¤à¥€ करना है. à¤à¤¸à¥‡ में कृषि जानकारों का दावा है कि इन राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में लगà¤à¤— 80 फीसदी किसान अपने खेत में पड़ी पराली को जला देते हैं.
2015 में डॉ नरेश तà¥à¤°à¥‡à¤¹à¤¾à¤¨ ने दिया था ये फोटो!
कà¥à¤› समय पहले देश के जाने-माने हॉरà¥à¤Ÿ सरà¥à¤œà¤¨ डॉ नरेश तà¥à¤°à¥‡à¤¹à¤¨ ने इंडिया टà¥à¤¡à¥‡ को बताया था कि दिलà¥à¤²à¥€ à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤° में होने वाला पॉलà¥à¤¯à¥‚शन आदमी के फेफड़ों पर बà¥à¤°à¤¾ असर डाल रहा है. यह सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठडॉ तà¥à¤°à¥‡à¤¹à¤¨ ने नई दिलà¥à¤²à¥€ में à¤à¤• आदमी के फेफड़ों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में रहने वाले à¤à¤• अनà¥à¤¯ आदमी के फेफड़ों से की थी. डॉ तà¥à¤°à¥‡à¤¹à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• दिलà¥à¤²à¥€ में जारी पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से आदमी के फेफड़ों पर बà¥à¤°à¤¾ असर पड़ रहा है और वह असà¥à¤¥à¤®à¤¾ समेत कई गंà¤à¥€à¤° बीमारियों का जनक बन रहा है.
असमंजस में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मोदी सरकार?
नीति आयोग ने 2017 में केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के इस कारण को रोकने के लिठ600 मिलियन डॉलर (3,200 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡) खरà¥à¤š करने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया था. इस सà¥à¤à¤¾à¤µ के बाद केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार ने पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· 230 मिलियन डॉलर (1,700 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡) खरà¥à¤š कर किसानों को पराली जलाने से रोकने का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ तैयार किया. केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार के पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ के तहत वह दिलà¥à¤²à¥€ से सटे तीन राजà¥à¤¯ पंजाब, हरियाणा और उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में किसानों को à¤à¤¸à¥€ मशीनें खरीदने में मदद करेगी जिससे किसानों को पराली जलाने से रोका जा सके. इन मशीनों के जरिठकिसान आसानी से खेतों में पड़े पराली को à¤à¤•à¤¤à¥à¤° कर खाद बनाने का काम कर सकते हैं. लेकिन पिछले साल तैयार हà¥à¤ इस पà¥à¤²à¤¾à¤¨ पर सरकार असमंजस में है और à¤à¤• बार फिर इन राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पराली जलाने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•à¥€ है और सरकार की सà¥à¤•à¥€à¤® फाइलों में बंद पड़ी है.
3200 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ बनाम जहर?
इस योजना के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार दो साल में 3,200 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ खरà¥à¤š कर पराली की समसà¥à¤¯à¤¾ पर पूरी तरह से काबू पा सकती हैं. गौरतलब है कि खेतों में पराली जलाना गैरकानूनी है और बीते कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से राजà¥à¤¯ सरकारें इस कानून को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ करने की कोशिशों में जà¥à¤Ÿà¥€ हैं. इसके बावजूद पराली संकट से साल दर साल राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ और आसपास के इलाकों में पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण का सà¥à¤¤à¤° खराब हो रहा है.
à¤à¤• तरफ डॉ नरेश तà¥à¤°à¥‡à¤¹à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई शोध इस समसà¥à¤¯à¤¾ का गंà¤à¥€à¤° असर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में रह रहे लोगों पर दिखा रही है. वहीं केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार पैसे खरà¥à¤š कर इस समसà¥à¤¯à¤¾ को हमेशा के लिठकाबू करने के मामले में असमंजस में दिख रही है. केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार के सामने पड़ी à¤à¤• अनà¥à¤¯ रिपोरà¥à¤Ÿ का दावा है कि पराली जलाने से पंजाब के किसानों को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· 800 से 2000 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का नà¥à¤¯à¥‚टà¥à¤°à¥€à¤¶à¥à¤¨à¤² लॉस और 500 से 1,500 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨, फॉसà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸ और पोटाश फरà¥à¤Ÿà¤¿à¤²à¤¾à¤‡à¤œà¤° पर खरà¥à¤š के जरिठहो रहा है.
गौरतलब है कि इस समसà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में यदि राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की जनसंखà¥à¤¯à¤¾ को देखें तो उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ (20 करोड़), राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ (6.8 करोड़), दिलà¥à¤²à¥€ à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤°(5 करोड़), पंजाब (2.8 करोड़) और हरियाणा (2.5 करोड़) में कà¥à¤² जनसंखà¥à¤¯à¤¾ लगà¤à¤— 37 करोड़ है. इस जनसंखà¥à¤¯à¤¾ की आधी जनसंखà¥à¤¯à¤¾ पराली से हो रहे पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से सीधे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होती है. यानी देश की 15-16 करोड़ की जनसंखà¥à¤¯à¤¾ को विषाकà¥à¤¤ वायॠसे बचाने के लिठसरकार को लगà¤à¤— 3,200 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ खरà¥à¤š करना है. पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ये खरà¥à¤š तकरीबन 200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· बैठता है. कà¥à¤¯à¤¾ ये कीमत इतनी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है कि सरकार आम आदमी को जहरीले धà¥à¤à¤‚ से बचाने के लिठइसे नहीं चà¥à¤•à¤¾ सकती? ये सवाल दिलà¥à¤²à¥€-à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤° के आसमान में छा रहे जहरीले बादलों की तरह गहरा होता जा रहा है.