धरà¥à¤® की विजय का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• उतà¥à¤¸à¤µ दशहरा आज मनेगा
विजयादशमी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परंपरा के महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° है। इसे बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ पर अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ की विजय के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• और संदेश के रूप में मनाया जाता है। इसे दशहरा à¤à¥€ कहा जाता है। पारंपरिक तौर पर इसे रावण पर राम की विजय के दिन के रूप में मनाया जाता है।
बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ किसी à¤à¥€ à¤à¥€ रूप में हो सकती हैं, जैसे कà¥à¤°à¥‹à¤§, असतà¥à¤¯, बैर, इरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾, दà¥à¤–, आलसà¥à¤¯ आदि। किसी à¤à¥€ आतंरिक बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ को खतà¥à¤® करना à¤à¥€ à¤à¤• आतà¥à¤® विजय है।
आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास में नवरातà¥à¤° का समापन होने के अगले दिन यानी दशमी तिथि को मनाया जाने वाला दशहरे का यह परà¥à¤µ बहà¥à¤¤ ही शà¥à¤ माना जाता है। इस दिन खासकर खरीददारी करना शà¥à¤ माना जाता है जिसमें सोना, चांदी और वाहन की खरीदी बहà¥à¤¤ ही महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। यह तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠकी समापà¥à¤¤à¤¿ का सूचक है।
दशहरे के दिन à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® की पूजा का दिन à¤à¥€ है। इस दिन घर के दरवाजों को फूलों की मालाओं से सजाया जाता है। घर में रखे शसà¥à¤¤à¥à¤°, वाहन आदि à¤à¥€ पूजा की जाती है। उसके बाद बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• के तौर पर रावण दहन किया जाता है।
यह बà¥à¤°à¥‡ आचरण पर अचà¥à¤›à¥‡ आचरण की जीत की खà¥à¤¶à¥€ में मनाया जाने वाला तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° हैं, सामानà¥à¤¯à¤¤: दशहरा à¤à¤• जीत के जशà¥à¤¨ के रूप में मनाया जाने वाला तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° हैं। जशà¥à¤¨ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ सबकी अलग-अलग होती है। जैसे किसानों के लिठनई फसलों के घर आने का जशà¥à¤¨ है।
पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वकà¥à¤¤ में इस दिन औजारों और हथियारों की पूजा की जाती थी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे इसे यà¥à¤¦à¥à¤§ में मिली जीत के जशà¥à¤¨ के तौर पर देखते थे, लेकिन इन सबके पीछे à¤à¤• ही कारण होता है बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ पर अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ की जीत। किसानों के लिठयह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलों का जशà¥à¤¨ और सैनिकों के लिठयà¥à¤¦à¥à¤§ में दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ पर जीत का जशà¥à¤¨ है।
विजयादशमी की कथा
विजयादशमी के दिन के पीछे कई कहानियां हैं, जिनमें सबसे पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कथा है à¤à¤—वान राम का यà¥à¤¦à¥à¤§ जीतना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ रावण की बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ का विनाश कर उसके घमंड को तोड़ना। वहीं इस दिन मां दà¥à¤°à¥à¤—ा ने महिषासà¥à¤° का संहार à¤à¥€ किया था। इसलिठà¤à¥€ इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है और मां दूरà¥à¤—ा की पूजा à¤à¥€ की जाती है।
माना जाता है कि à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम ने à¤à¥€ मां दूरà¥à¤—ा की पूजा कर शकà¥à¤¤à¤¿ का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ किया था, à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम की परीकà¥à¤·à¤¾ लेते हà¥à¤ पूजा के लिठरखे गठकमल के फूलों में से à¤à¤• फूल को देवी ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ गायब कर दिया। चूंकि शà¥à¤°à¥€ राम को राजीवनयन यानी कमल के समान नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ वाला कहा जाता था इसलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना à¤à¤• नेतà¥à¤° मां को अरà¥à¤ªà¤£ करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही वे अपना नेतà¥à¤° निकालने लगे देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¾ होकर उनके समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤ˆ और विजयी होने का वरदान दिया।