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नहीं रहे 'दिल्ली के शेर' , 83 साल की उम्र में पूर्व सीएम का निधन

नई दिल्ली: à¤¦à¤¿à¤²à¥à¤²à¥€ के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना का लंबी बीमारी के बाद शनिवार देर रात दिल्ली में स्थिति उनके घर में निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे. उनके परिवार ने यह जानकारी दी है. खुराना के परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं. उनके एक बेटे का पिछले महीने निधन हो गया था. खुराना दिल्ली के पूर्व मुख्य्मंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री के अलावा राजस्थान के राज्यपाल भी रहे.

 

खुराना को छाती में संक्रमण था और पिछले कुछ दिनों से बुखार भी था. शनिवार सुबह से ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. उन्हें पांच साल पहले ब्रेन हेमरेज हुआ था और तब से वह बीमार चल रहे थे. परिवार ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार कल किया जाएगा.

 

अमित शाह समेत कई नेताओं ने श्रद्धांजलि
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुराना के निधन पर शोक जताया. उन्होंने ट्वीट किया, ''दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मदनलाल खुराना जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. खुराना जी एक आदर्श स्वयंसेवक, एक समर्पित विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ता व जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के एक मजबूत स्तम्भ के रूप में सदैव याद किये जायेंगे.''

कपड़ा मंत्री स्मृति ईरान ने ट्वीट किया है, मदल लाल खुरानी जी के निधन से शोकाकुल हूं. मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों के साथ हैं.

केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया. हर्षवर्धन ने कहा, ''बीजेपी परिवार और दिल्ली के हमारे पूर्व मुख्यमंत्री एवं बीजेपी के वरिष्ठ श्री मदनलाल खुरानाजी के परिवार को मेरी गहरी संवेदना. उनका लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया. मेरी संवेदनाएं उनके प्रियजनों के साथ हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.''

मदन लाल खुराना के राजनीतिक जीवन पर एक नजर
मदन लाल खुराना 1993 से 1996 तक दिल्ली के सीएम रहे. वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाए गए. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से बीजेपी में आए मदन लाल खुराना को 2004 में वाजपेयी सरकार के आखिरी दौर में राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था.

 

मदन लाल खुराना का जन्म 15 अक्टूबर 1936 में पंजाब के शहर लयालपुर में हुआ था. बंटवारे का बाद लयालपुर पाकिस्तान का हिस्सा बना और शहर का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया गया. खुराना ने करीब 12 साल की उम्र पाकिस्तान के लयालपुर से अपना घर बार छोड़कर दिल्ली कूच किया और यहीं आबाद हुए. छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले खुराना इलाहाबाद स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी चुने गए. अपनी नौजवानी की उम्र में जनसंघ से जुड़ गए.

 

खुराना का आखिरी दौर अपनी पार्टी में अच्छे तरीके से नहीं गुजरा. 20 अगस्त 2005 को खुराना को पार्टी से निकाल दिया गया, लेकिन कुछ महीने के बाद उन्हें वापस ले लिया गया. हालांकि, 2006 में एक बार फिर पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए पार्टी से उन्हें निकाला गया. राजनीतिक तौर पर खुराना की सक्रिया काफी दिनों से खत्म हो चुकी थी, हालांकि पैतृक पार्टी बीजेपी में उनकी घरवापसी हो चुकी थी.

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