आज करो नरक बाहर, घर आà¤à¤‚गी मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€
दिवाली से à¤à¤• दिन यानी आज नरक चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ का परà¥à¤µ वसà¥à¤¤à¥à¤¤: लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ के सà¥à¤µà¤¾à¤—त का परà¥à¤µ है। इसको नरक चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ के साथ ही छोटी दिवाली और रूप चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ à¤à¥€ कहते हैं। इस दिन घर के नरक यानी गंदगी को दूर किया जाता है। जहां सà¥à¤‚दर और सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ होता है, वहां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी अपने कà¥à¤² के साथ आगमन करती हैं। उनके साथ, शà¥à¤°à¥€ नारायण, गणपति, शंकर जी, समसà¥à¤¤ देवियां, कà¥à¤¬à¥‡à¤°, नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° और नवगà¥à¤°à¤¹ होते हैं। यही लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ कà¥à¤² सà¥à¤– और समृदà¥à¤§à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है।इससे दो कथाà¤à¤‚ जà¥à¥œà¥€ हैं। à¤à¤• कथा नरकासà¥à¤° की है। नरकासà¥à¤° का अंत वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ नंदन à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने किया था। शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£ में इसी नरकासà¥à¤° का अंत कारà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡à¤¯ जी ने किया था। दोनों ही कथाओं में नरकासà¥à¤° ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी से कà¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ न होने का वरदान मांग लिया था। दूसरी कथा रंती देव नामक राजा से जà¥à¥œà¥€ है। रंती ने कà¤à¥€ पाप नहीं किया, लेकिन यमराज आ गà¤à¥¤ यमराज बोले, à¤à¤• बार तà¥à¤®à¤¨à¥‡ à¤à¤• धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ को अपने दà¥à¤µà¤¾à¤° से लौटा दिया था। कालांतर में, रंती ने à¤à¤• साल की मोहलत लेकर अपने जीवन को पापमà¥à¤•à¥à¤¤ किया।
देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ धन की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं। धन का अरà¥à¤¥ केवल पैसा नहीं होता। तन-मन की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ और सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ धन का ही कारक हैं। धन और धानà¥à¤¯ की देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी को सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ अतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है। धन के नौ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बताठगठहैं। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£, गोधन, धातà¥, तन, मन, आरोगà¥à¤¯à¤¤à¤¾, सà¥à¤–, शांति समृदà¥à¤§à¤¿ à¤à¥€ धन कहे गठहैं।.
लंबी उमà¥à¤° के लिठनरक चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ के दिन घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परंपरा है। नरक चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ की रात जब घर के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯ आ जाते हैं तो गृह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ यम के नाम का दीपक जलाता है।