कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ का हैवीवेट कैंडिडेट- शिवराज को घर में घेरने की रणनीति
मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ की सियासी रणà¤à¥‚मि में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ और बीजेपी के बीच कांटे की टकà¥à¤•à¤° है. कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे और सतà¥à¤¤à¤¾ के सिंहासन पर काबिज मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शिवराज सिंह चौहान को उनके ही 'घर' में घेरने की रणनीति के तहत अरà¥à¤£ यादव को बà¥à¤§à¤¨à¥€ सीट से उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° बनाया है. à¤à¤¸à¥‡ में देखना होगा कि शिवराज पांचवीं बार परचम फहराते हैं या फिर अरà¥à¤£ उनकी राह में रोड़ा बनते हैं?
अरà¥à¤£ यादव राजà¥à¤¯ के पूरà¥à¤µ उप मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कदà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤° नेता रहे सà¥à¤à¤¾à¤· यादव के बड़े बेटे हैं. सà¥à¤à¤¾à¤· यादव 1993 से 2008 तक कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के टिकट पर कसरावद के विधायक रहे. अरà¥à¤£ यादव कà¤à¥€ विधानसà¤à¤¾ के सदसà¥à¤¯ नहीं रहे, लेकिन दो बार लोकसà¤à¤¾ का चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीत चà¥à¤•à¥‡ हैं और मनमोहन सिंह सरकार में मंतà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ रह चà¥à¤•à¥‡ हैं.
अरà¥à¤£ 2014 में पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बने थे. इस साल अपà¥à¤°à¥ˆà¤² में जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हटाकर कमलनाथ को पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की कमान दी गई थी तो गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾à¤ अरà¥à¤£ यादव ने घोषणा की थी कि वे विधानसà¤à¤¾ या लोकसà¤à¤¾ का चà¥à¤¨à¤¾à¤µ नहीं लड़ेंगे. कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके ही जिले खरगौन से पहले चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ाना चाहती थी, लेकिन वो राजी नहीं हà¥à¤ है. इसके बाद कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की आखिरी लिसà¥à¤Ÿ में बà¥à¤§à¤¨à¥€ से उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° के तौर पर उतार दिया है.
à¤à¤¸à¥‡ में सवाल तो यही है कि यादव चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ने के लिठराजी कैसे हà¥à¤. फिर अपने गृह जिले खरगौन को छोड़कर सीहोर के बà¥à¤§à¤¨à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से पारà¥à¤Ÿà¥€ के उममीदवार बनने को कैसे राजी हà¥à¤. à¤à¤¸à¥‡ में वो शिवराज के गढ़ में कितनी बड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ साबित होंगे ये अहम सवाल है.
हालांकि कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ से बà¥à¤§à¤¨à¥€ से टिकट के दावेदार रहे अरà¥à¤œà¥à¤¨ आरà¥à¤¯ ने अरà¥à¤£ यादव को हरसंà¤à¤µ मदद करने का à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ दे रहे हैं. लेकिन शिवराज के किले को à¤à¥‡à¤¦à¤¨à¤¾ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के लिठइतना à¤à¥€ आसान नहीं नजर आ रहा है.
दरअसल, बà¥à¤§à¤¨à¥€ सीट से पांचवीं बार चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ मैदान में ताल ठोंक रहे शिवराज ने 2013 में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° महेंदà¥à¤° सिंह चौहान को करीब 84 हजार मतों से हराया था. इस बार परà¥à¤šà¤¾ दाखिल करने के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था कि अब वो यहां नहीं आà¤à¤‚गे, इस सीट पर आप लोगों को विजयशà¥à¤°à¥€ दिलानी है. शिवराज सिंह को à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ है कि 2013 से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बंपर मतों से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विजय हासिल होगी. वो इस सीट पर इसलिठदोबारा नहीं आà¤à¤‚गे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके ऊपर 229 सीटों की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है.
बà¥à¤§à¤¨à¥€ से शिवराज सिंह ने पहला चà¥à¤¨à¤¾à¤µ 1990 में लड़ा था. इसके बाद 2005 उनके लिठबदलाव लेकर आया जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में बाबूलाल गौर को हटाकर मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनाया गया. इसके बाद 2006 में अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ सीट बà¥à¤§à¤¨à¥€ से उपचà¥à¤¨à¤¾à¤µ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के राजकà¥à¤®à¤¾à¤° पटेल को करीब 36 हजार मतों से हराकर विधानसà¤à¤¾ के सदसà¥à¤¯ बने.
इसके बाद चौहान ने लगातार 2008 और 2013 के विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में बà¥à¤§à¤¨à¥€ सीट पर अपना कबà¥à¤œà¤¾ बरकरार रखा. 2008 में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के महेश सिंह राजपूत को 41 हजार वोटों से परासà¥à¤¤ किया जबकि 2013 में महेंदà¥à¤° सिंह चौहान को 84 हजार मतों से हराया था.
2018 के विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ को 2019 के लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. à¤à¤¸à¥‡ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने शिवराज के खिलाफ दिगà¥à¤—ज नेता अरà¥à¤£ यादव को मैदान में उतारा है. हालांकि अरà¥à¤£ यादव के लिठये सीट नई है. यहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी जमीन खà¥à¤¦ ही तैयार करनी है. à¤à¤¸à¥‡ में वो शिवराज की राह में कितने बड़े रोड़ा साबित होंगे, ये कहना आसान नहीं है.
दरअसल शिवराज सिंह चौहान के पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कई नेताओं की निकटता जगजाहिर है. इन नेताओं पर अकà¥à¤¸à¤° पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· या अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप से चौहान को मदद पहà¥à¤‚चाने के आरोप à¤à¥€ लगते रहे हैं. à¤à¤¸à¥‡ में सवाल उठता है कि कहीं वरà¥à¤£ यादव को उतारकर घेरने के बजाय वाक ओवर देने का संदेह पैदा हो रहा है.