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शशि थरूर बोले- नेहरू की वजह से आज एक चायवाला बना PM, बाद में दी सफाई

कांग्रेस नेता शशि थरूर एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बयान दिया है, जिसकी वजह से विवाद होता जा रहा है. विवाद के बाद थरूर को सफाई भी पेश करना पड़ी.

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती की पूर्व संध्या एक कार्यक्रम में शशि थरूर ने कहा कि आज अगर एक 'चायवाला' देश का प्रधानमंत्री है, वो नेहरू के कारण ही हैं. क्योंकि पंडित नेहरु ने देश के संस्थानों को इतना मजूबत बनाया कि कोई भी व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने का सपना देख सकता है.

शशि थरूर के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ा ऐतराज जताया है. जिसके बाद थरूर को सफाई भी देनी पड़ी. शशि थरूर के इस बयान पर बीजेपी तंज कसा. बीजेपी की ओर से ट्वीट किया गया कि आपके बयान में थोड़ा करेक्शन है, आज अगर मानवता है तो सिर्फ नेहरू की वजह से ही है. उनके रोल को सिर्फ प्रधानमंत्री बनाने तक ही सीमित ना करें.

बाद में दी सफाई

विवाद के बाद शशि थरूर ने सफाई देते हुए कहा कि जो मैंने बयान दिया है उससे मेरा मतलब ये था कि कोई सामान्य व्यक्ति भी देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है. ये लोकतंत्र की महानता है. मेरा मकसद किसी की छवि को नुकसान पहुंचाना नहीं था.

आपको बता दें कि शशि थरूर ने जवाहर लाल नेहरू पर एक किताब लिखी है. जिसका विमोचन मंगलवार रात को किया गया, इस मौके पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं.

थरूर के बयान पर जावडेकर का जवाब

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शशि थरूर के बयान पर जवाब दिया. जावडेकर ने 'आजतक' से बातचीत में कहा, 'जिस तरह संस्थाओं का विकास नेहरू ने किया, मुझे ताज्जुब होता है कि कांग्रेस को एक घराने के बाद कुछ नहीं दिखता. वह महात्मा गांधी का नाम नहीं लेते, सरदार पटेल का नाम नहीं लेते, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम नहीं लेते. हर चीज को कांग्रेस वाले केवल नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी तक ही क्यों लाते हैं. एक घराने के बाद उनकी सोच ही नहीं है.

प्रकाश जावडेकर ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के किसी प्रधानमंत्री की विरासत को कम नहीं किया है. उलटा मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बार-बार कहा है कि भारत के विकास में सभी प्रधानमंत्रियों का योगदान है. यह लड़ाई 'मैं वर्सेस टू' का नहीं है. यहां सभी मिलकर काम करते हैं. हम प्रधानमंत्री को याद करते हैं तो नेहरू की भी बात करते हैं. शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव को भी याद करते हैं. हम कभी संकुचित विचार नहीं रखते.

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